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      फ़ैक्ट चेक

      क्या मोदी, केजरीवाल की तस्वीरों को पोस्ट करने पर व्हाट्सएप्प एडमिन को जेल हो सकती है?

      बूम ने पाया कि वायरल संदेश कई मायनों में भ्रामक है।

      By - Anmol Alphonso | 10 Jan 2020 2:11 PM GMT
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    • क्या मोदी, केजरीवाल की तस्वीरों को पोस्ट करने पर व्हाट्सएप्प एडमिन को जेल हो सकती है?

      सोशल मीडिया पर एक टेक्स्ट मैसेज वायरल हुआ है। इस मैसेज में सोशल मीडिया यूज़र्स, विशेष रुप से व्हाट्सएप्प एडमिन को चेतावनी दी गई है कि अगर उनके ग्रूप में कोई राहुल गांधी, अरविंद केजरीवाल, या प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी की तस्वीरें फॉरवर्ड करता है तो उन पर पुलिस कार्रवाई की जाएगी। भ्रामक संदेश में दावा किया गया है कि पुलिस अधिकारी व्हाट्सएप्प ग्रुपों पर नज़र रख रहे हैं और ग्रूप के एडमिन को सलाह दी जा रही है कि या तो ग्रूप को हटा दें या ऐसे व्यक्ति को हटा दें जो इस तरह का फ़ॉरवर्ड भेजता है।


      बूम को यह मैसेज हमारे व्हाट्सएप्प हेल्पलाइन नंबर (7700906111) पर मिली है और इस विषय पर जानकारी मांगी गई है।

      फ़ेसबुक पर वायरल

      हमने फ़ेसबुक पर इसी कैप्शन के साथ खोज की और पाया कि भ्रामक पोस्ट वायरल है।


      यह भी पढ़ें: जेएनयू हिंसा: व्हाट्सएप्प से पहले हमले की योजना बनाना इतना आसान नहीं था

      फ़ैक्ट चेक

      यह पहली बार नहीं है जब इस तरह के ऐसे मैसेज वायरल हुए हैं। बूम ने इससे पहले जुलाई 2018 में इसी तरह के मैसेज को ख़ारिज किया था और इसे कई मायने में भ्रामक पाया था। एक लाइन को छोड़कर वायरल मैसेज, पुराने मैसेज से मिलते-जुलते हैं। वह एक लाइन है, "पुणे, मुंबई, चेन्नई और दिल्ली में 260 से अधिक ग्रुप एडमिन को जेल भेज दिया गया है।"

      "पुणे, मुंबई, चेन्नई और दिल्ली में 260 से अधिक ग्रुप एडमिन को जेल भेज दिया गया है"

      इस वाक्य को दिसंबर 2018 की Mitaanexpress.com नामक वेबसाइट पर देखा जा सकता है, लेकिन यह किसी स्रोत का उल्लेख नहीं करता है। हमें ऐसी कोई समाचार रिपोर्ट नहीं मिली, जो यह दावा करती हो कि उल्लेखित शहरों में 260 व्हाट्सएप्प ग्रुप एडमिन गिरफ़्तार किए गए थे।

      यह भी पढ़ें: नेटफ़्लिक्स से लेकर सेक्स तक: अजीब ट्वीट्स कर रहे हैं सी.ए.ए हेल्पलाइन को प्रमोट

      "पुलिस व्हाट्सएप्प देख रही है 'और' साइबर क्राइम सभी समूह फ़ोल्डर पर नज़र रख रहे हैं"

      यह संभव नहीं है क्योंकि ट्विटर, फ़ेसबुक और इंस्टाग्राम जैसे अन्य सोशल मीडिया प्लेटफार्मों के विपरीत यह प्लेटफॉर्म एंड-टू-एंड एन्क्रिप्टेड है, जहां सार्वजनिक पोस्ट की जांच नहीं की जा सकती है। जुलाई 2018 में, हमने महाराष्ट्र की स्टेट साइबर क्राइम ब्रांच से संपर्क किया था, जिन्होंने मैसेज को फ़र्ज़ी बताया था और कहा था कि वे व्हाट्सएप्प, खासकर ग्रुप्स पर एन्क्रिप्शन की वजह से वहां प्रसारित होने वाली सूचनाओं पर नज़र नहीं रख सकते।

      "सांप्रदायिक पोस्ट को ट्रैक करने के लिए एक जांच समिति बनाई गई है और आईपी एड्रेस को ट्रेस करके धारा 44-58 या सीपीसी के तहत दंडित किया जाएगा"

      फॉरवर्ड मैसेज में उल्लेखित सिविल प्रक्रिया संहिता (सीपीसी) के तहत धारा 44-58 के बारे में किए गए दावे ग़लत हैं क्योंकि वे असंबंधित हैं और सोशल मीडिया पर किसी भी गतिविधियों से संबंधित नहीं हैं। बूम ने 2018 में साइबर सुरक्षा वकील अपार गुप्ता से बात की थी, जिन्होंने इसकी पुष्टि की थी।

      यह भी पढ़ें: इजरायली स्पायवेयर 'पेगासस' का उपयोग करते हुए भारतीय व्हाट्सएप्प यूज़र्स को लक्ष्य किसने बनाया?

      व्हाट्सएप्प एडमिन को जिम्मेदार ठहराने पर कानूनी पेंच

      बूम ने तब गुप्ता से पूछा था कि क्या कंटेंट के लिए ग्रूप एडमिन को जिम्मेदार ठहराया जा सकता है, जिसके लिए उन्होंने कहा था कि, "व्हाट्सएप्प एडमिन को जिम्मेदार नहीं ठहराया जाना चाहिए। ये कॉलेज के पूर्व छात्रों, मित्रों और परिवार के ग्रूप हैं और आपराधिक इरादे से नहीं बनाए गए हैं। एडिमनों को पता नहीं है कि इसके सदस्य भविष्य में क्या पोस्ट करेंगे।

      क्या पुलिस ने पिछले दिनों व्हाट्सएप्प एडमिन को गिरफ़्तार किया है?

      अतीत में, ग्रूप एडमिन को उनके ग्रूप पर पोस्ट की गई कंटेंट के लिए जिम्मेदार ठहराया जाता रहा है।उदाहरण के लिए, मध्य प्रदेश के राजगढ़ जिले में 21 वर्षीय जुनैद खान को किसी अन्य व्यक्ति द्वारा भेजे गए व्हाट्सएप्प मैसेज के लिए पांच महीने के लिए सलाखों के पीछे रखा गया था, जैसा कि 23 जुलाई 2018 को टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट में बताया गया है।

      वह एक व्हाट्सएप्प ग्रुप का हिस्सा था, जिसमें एडमिन इरफान ने एक आपत्तिजनक फॉरवर्ड पोस्ट किया था। कुछ स्थानीय लोगों ने तालन पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज की और इरफान और "एडमिन" के ख़िलाफ मामला दर्ज़ किया गया।

      यह भी पढ़ें: फ़ेसबुक ने व्हाट्सएप्प, मैसेंजर, इंस्टाडायरेक्ट में बैकडोर एंट्री से किया इंकार

      पुलिस ने तब कहा था कि जब मामला उनके संज्ञान में आया था तब जुनैद व्हाट्सएप्प ग्रुप एडमिन था, हालांकि उसके परिवार के सदस्यों ने इस बात का विरोध किया था।

      जुनैद के चचेरे भाई, फारुख खान ने टीओआई को बताया, "जुनैद ग्रूप का सदस्य था, लेकिन एडमिन नहीं था। जब मामला प्रकाश में आया, तो वह पारिवारिक काम से रतलाम में था। तब एडमिन ने ग्रूप छोड़ दिया और एक अन्य सदस्य डिफ़ॉल्ट रूप से एडमिन बन गया। लेकिन बाद में उन्होंने भी ग्रूप छोड़ दिया। तब जा कर डिफ़ॉल्ट रूप से जुनैद ग्रुप एडमिन बन गया। लेकिन जब वह पोस्ट मूल रूप से शेयर किया गया था, तो वह एडमिन नहीं था।"

      15 मार्च, 2019 की प्रेस ट्रस्ट ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार एक अन्य मामले में, एक व्हाट्सएप्प ग्रुप एडमिन को झारखंड के चतरा जिले में सोशल मीडिया ग्रुप पर भड़काऊ टिप्पणी और वीडियो पोस्ट करने के आरोप में गिरफ़्तार किया गया था।

      पुलिस के अनुसार, ग्रूप में एक उत्तेजक वीडियो और मैसेज पोस्ट किए जाने के बाद, रंजीत कुमार राम को गिरफ़्तार कर 14 दिनों के लिए न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया।

      ऐसी स्थितियों से बचने के लिए ग्रूप एडमिन क्या कर सकते हैं?

      यह भी पढ़ें: जानिए क्या होता है जब आप 4 महीने तक व्हाट्सएप्प इस्तेमाल नहीं करते

      एडमिन या यहां तक ​​कि समूह के सदस्य अपने निकटतम पुलिस स्टेशन से अभद्र भाषा या अन्य आपत्तिजनक कंटेंट की रिपोर्ट कर सकते हैं। हालांकि सीआरपीसी की धारा 39 के तहत ऐसी कोई बाध्यता नहीं है। वकीलों का कहना है कि कानूनी तौर पर, पुलिस के पास घृणास्पद भाषण की सूचना न देने पर लोगों को गिरफ़्तार करने का कोई अधिकार नहीं है।

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      Read Full Article
      Claim :   सारे ग्रुप सदस्यों से अपील कि कोई भी सोनिया, राहुल, मोदी, केजरीवाल या अन्य राजनेता या राजनैतिक पार्टी कि तसवीरें फॉरवर्ड न करें
      Claimed By :  WhatsApp, Facebook
      Fact Check :  False
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