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      केरल के होम स्टे की तस्वीर आरक्षण विरोधी दावे के साथ सोशल मीडिया पर वायरल

      बूम ने पाया कि यह तस्वीर केरल के एक होम स्टे की है, जिसे करीब दो साल पहले ही बेचा जा चुका है.

      By -  Runjay Kumar & Sujith A
      Published -  6 Aug 2022 4:03 PM
    • केरल के होम स्टे की तस्वीर आरक्षण विरोधी दावे के साथ सोशल मीडिया पर वायरल

      सोशल मीडिया पर एक बेहद सुंदर घर की तस्वीर काफ़ी वायरल हो रही है, जिसे शेयर करते हुए यह दावा किया जा रहा है कि यह घर एक निम्न जाति से आने वाले व्यक्ति की है. जिसने आरक्षण के तहत पहले एनआईटी में एडमिशन लिया और उसके बाद उसी आरक्षण का फ़ायदा उठाते हुए सरकारी विभाग में नौकरी पाई. इसके बाद उसने फ़िर से आरक्षण का उपयोग करते हुए आईआईएम में एडमिशन लिया जहां से उसने एमबीए की डिग्री हासिल की.

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      हालांकि बूम ने पाया कि सोशल मीडिया पर किया जा रहा दावा ग़लत है. यह केरल के पथानामथिट्टा में मौजूद एक घर की तस्वीर है, जो पहले एक होम स्टे हुआ करता था. जिसे बाद में उसके मालिक ने खाड़ी देश में रहने वाले एक व्यक्ति को बेच दिया.


      सफ़ेद और ईंट के रंग में मौजूद आकर्षक घर की तस्वीर को सोशल मीडिया पर अंग्रेज़ी कैप्शन के साथ साझा किया जा रहा है. जिसका हिंदी अनुवाद है " यह घर निचली जाति से आने वाले एक व्यक्ति की है. उसे मुझसे कम अंक के बावजूद कोटे के आधार पर एनआईटी में प्रवेश मिला. उसने फिर से उसी आरक्षण का इस्तेमाल एक सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम(PSU) में नौकरी पाने के लिए किया. वह अपनी नौकरी से खुश नहीं था, इसलिए उसने आईआईएम में प्रवेश पाने के लिए भी उसी आरक्षण का इस्तेमाल किया".

      आगे कैप्शन में लिखा गया है "उसे आज भी भारत में आरक्षण मिल रहा है क्योंकि 50 साल पहले उनके दादा गरीब थे. IIM से MBA पूरा करने के बाद उसने हाल ही में लिंक्डइन पर पोस्ट किया- 'कड़ी मेहनत रंग लाती है' सच में? भारत हमेशा एक विकासशील गरीब देश ही रहेगा, अगर वह इसी तरह योग्यता और प्रदर्शन की उपेक्षा करता है. आरक्षण से न केवल सामान्य वर्ग के लोगों का बल्कि पूरे देश को नुकसान हो रहा है. यह व्यवस्था मूल रूप से 10 वर्षों के लिए ही थी. आजादी के 75 साल बाद इस देश में अब 75 फीसदी से ज्यादा आरक्षित हैं. इसे खत्म करने का समय आ गया है."

      इसी तरह के कैप्शन के साथ वायरल फ़ोटो को फ़ेसबुक पर शेयर किया जा रहा है, जिसे यहां, यहां और यहां देखा जा सकता है.

      अनुराधा नाम की एक ट्विटर यूज़र ने भी इसी दावे के साथ वायरल फ़ोटो को अपने अकाउंट से ट्वीट किया लेकिन बाद में कई लोगों ने जब इसपर सवाल उठाया तो उन्होंने इसे व्यंग्य का नाम दे दिया.


      फ़ैक्ट चेक

      बूम ने वायरल फ़ोटो की पड़ताल के लिए सबसे पहले इससे जुड़े सोशल मीडिया पोस्ट्स को खोज़ना शुरू किया तो हमें एक ट्वीट के रिप्लाई में इसी घर की तस्वीर मिली. ट्वीट के रिप्लाई में घर को केरल के अरनमुला का एक होम स्टे बताया गया था. साथ ही यह भी लिखा गया था कि केरल इन्फो वेबसाइट के अनुसार यह जॉय मैथ्यू की संपत्ति है. रिप्लाई में फ़ोटो भी मौजूद था, जिसमें साफ़ साफ़ लिखा था कि यह केरल के पथानामथिट्टा के डीजे होम स्टे की तस्वीर है.


      इसके बाद हमने प्राप्त जानकारी के आधार पर गूगल सर्च किया तो हमें जस्टडायल और ट्रिप डॉट कॉम की वेबसाइट पर यही तस्वीर मिली. दोनों ही वेबसाइट पर इसे पथानामथिट्टा का डीजे होम स्टे ही बताया गया था.


      जांच के दौरान हम जॉय मैथ्यू के आवास पर भी गए जो तस्वीर में दिख रहे घर के पास ही रहते हैं. मैथ्यू ने वायरल दावों का खंडन करते हुए उन्होंने न तो एनआईटी और न ही आईआईएम से पढ़ाई की है. उन्होंने खुद को मर्थोमा ईसाई बताया, जो सामान्य श्रेणी में आते हैं. मैथ्यू ने यह भी बताया कि वे ख़ुद भी एक एनआरआई हैं और वे 1994 में अमेरिका चले गए थे.

      मैथ्यू ने आगे बताया कि उन्होंने 2014 से 2017 तक होम स्टे का व्यापार चलाया लेकिन 2018 में उन्होंने वायरल तस्वीर में दिख रहे घर को संतोष नाम के व्यक्ति को बेच दिया. संतोष भी अपनी स्नातक की पढ़ाई करने के बाद संयुक्त अरब अमीरात में बस गए और उन्होंने भी न तो एनआईटी और न ही आईआईएम से पढ़ाई की है.

      जब बूम ने उस जगह का दौरा किया, तो हमें बताया गया कि वर्तमान में इसके मौजूदा मालिक संतोष द्वारा इसका नवीनीकरण किया जा रहा है. नीचे मौजूद तस्वीर में दिख रही जगह वायरल फोटो से मेल खाती है.


      बूम ने इस जगह के मौजूदा मालिक संतोष से भी संपर्क किया है, उनका जवाब मिलने के बाद स्टोरी को अपडेट किया जाएगा.

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      Tags

      ReservationCasteViral PhotoFake claimFact Check
      Read Full Article
      Claim :   आरक्षण का फ़ायदा उठाकर एनआईटी एवं आईआईएम में एडमिशन लेनेवाले और सरकारी नौकरी करने वाले पिछड़ी जाति के व्यक्ति के घर की तस्वीर
      Claimed By :  Social Media Users
      Fact Check :  False
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