आपातकाल के सवाल पर चुप्पी साधने के दावे से इंदिरा गांधी का AI जनरेटेड वीडियो वायरल
कई एआई डिटेक्टर टूल्स ने इंदिरा गांधी के इस वीडियो के आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की मदद से बनाए जाने की संभावना व्यक्त की.

सोशल मीडिया पर 'इमरजेंसी' के सवाल पर चुप्पी साधने के दावे से देश की पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी का एक वीडियो वायरल हो रहा है. इस वीडियो में इंदिरा गांधी इंटरव्यू देती नजर आ रही हैं.
बूम ने फैक्ट चेक में पाया कि इंदिरा गांधी का यह वीडियो वास्तविक नहीं है. इसे आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की मदद से निर्मित किया गया है. कई एआई डिटेक्टर टूल्स ने भी इसकी पुष्टि की है.
बता दें कि इंदिरा गांधी के शासनकाल में 25 जून 1975 से 21 मार्च 1977 तक आपातकाल लागू रहा था. इस अवधि में नागरिक स्वतंत्रताओं पर रोक लगाई गई, विपक्ष की गतिविधियों को सीमित किया गया तथा मीडिया पर कड़ी सेंसरशिप लागू की गई. इन्हीं वजहों से इंदिरा गांधी के उस दौर का यह फैसला लगातार विवादों और सवालों के घेरे में रहा.
सोशल मीडिया पर क्या है वायरल?
सोशल मीडिया के विभिन्न माध्यमों पर पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी का यह वीडियो बड़े पैमाने पर शेयर किया जा रहा है. करीब 10 सेकंड के इस इंटरव्यू वाले वीडियो में एक शख्स उनसे पूछता है, "आपातकाल लगाकर आपने किसका लोकतंत्र बचाया था- देश का या अपनी कुर्सी का?" सवाल सुनकर इंदिरा गांधी निरुत्तर होती नजर आ रही हैं.
फेसबुक, इंस्टाग्राम और एक्स पर इस वीडियो को साझा करते हुए यूजर्स तंज कस रहे हैं और लिख रहे हैं कि इस सवाल का इंदिरा गांधी के पास कोई जवाब नहीं था. आर्काइव लिंक यहां, यहां और यहां देखे जा सकते हैं.
पड़ताल में क्या मिला:
तब इंदिरा गांधी ने आपातकाल से जुड़े सवालों का सामना किया था
रिवर्स इमेज और संबंधित कीवर्ड सर्च करने पर हमें इंदिरा गांधी के ऐसे किसी इंटरव्यू का कोई वीडियो नहीं मिला. इस दौरान हमें उनका 1975 में बीबीसी को दिया गया एक इंटरव्यू जरूर मिला. इस इंटरव्यू में इमरजेंसी पर सवाल पूछे जाने पर इंदिरा गांधी ने कहा था कि उन्होंने किसी का कोई अधिकार नहीं छीना है और संविधान के दायरे में रहकर ही काम किया है.
इससे स्पष्ट होता है कि उस दौरान इंदिरा गांधी ने आपातकाल से जुड़े सवालों का सामना किया था और अपने फैसले का बचाव करते हुए अपना पक्ष रखा था. हमने वीडियो को गौर से देखा तो पाया कि बातचीत के दौरान इंदिरा गांधी के एक्सप्रेशन में कोई बदलाव नहीं हो रहा जबकि आमतौर पर दोतरफा संवाद में चेहरे के भाव बदलते रहते हैं. उनके चेहरे के स्थिर भाव को देखकर हमें अंदेशा हुआ कि वीडियो फेक है.
वीडियो एआई जनरेटेड है
इसकी जांच के लिए हमने वीडियो को एआई डिटेक्टर टूल Hivemoderation और DeepFake-O-Meter पर चेक किया. Hivemoderation ने 99.8 प्रतिशत स्कोर के साथ इसमें एआई जनित या डीपफेक कंटेंट मौजूद होने की संभावना जताई.
टूल DeepFake-O-Meter के ज्यादातर मॉडल्स ने भी संकेत दिया कि वीडियो और इसकी आवाज एआई जनरेटेड है. इसके लिप-सिंक्ड डीपफेक डिटेक्शन मॉडल ने इसे शत प्रतिशत फेक बताया, जिसका मतलब था कि वीडियो में एआई की मदद से छेड़छाड़ की गई है.
पुष्टि के लिए हमने आवाज को डीपफेक वॉयस डिटेक्टर टूल Hiya पर भी चेक किया. Hiya ने आवाज को 1/100 का ऑथेंटिसिटी स्कोर दिया, जो इसके डीपफेक होने की प्रबल संभावना को दर्शाता है.


