मथुरा में मज़ार तोड़ने की पुरानी तस्वीरें भ्रामक दावे के साथ वायरल
बूम ने पाया कि वायरल दावा भ्रामक है. गोवर्धन थाने के CO रविकांत ने बताया कि मज़ार तोड़ने की तस्वीरें हाल के दिनों की नहीं हैं.
इस बार के उत्तरप्रदेश विधानसभा चुनाव में बुलडोजर शब्द अधिकांश लोगों की ज़ुबान पर छाया रहा. दरअसल उत्तरप्रदेश में योगी आदित्यनाथ सरकार ने अवैध निर्माण, माफ़ियाओं और अपराधियों की संपत्ति पर जमकर बुलडोजर चलाया. इसी बीच सोशल मीडिया पर एक तस्वीर बहुत ज़्यादा वायरल है जिसे शेयर करते हुए यह दावा किया जा रहा है कि योगी सरकार ने गोवर्धन परिक्रमा के रास्ते में आने वाली मज़ारों पर जेसीबी (JCB) चलाकर अतिक्रमण हटा दिया.
बूम ने पाया कि ये तस्वीर पुरानी है. हमने जब इस संबंध में गोवर्धन थाने के CO रविकांत से साल 2020 में बात की थी तब उन्होंने बताया था कि मज़ार तोड़ने की तस्वीरें हाल के दिनों की नहीं हैं.
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वायरल तस्वीरों में देखा जा सकता है कि एक जेसीबी हरे रंग की मज़ार को ढहा रही है. वायरल तस्वीर एक कोलाज का हिस्सा है. एक तस्वीर में मज़ार पूर्ण रूप से एक जगह पर मौजूद दिखाई दे रही है तो वहीं दूसरी तस्वीर में मज़ार टूटी हुई दिखाई दे रही है और वहीं एक जेसीबी भी मौजूद है.
यह तस्वीर फ़ेसबुक और ट्विटर पर हालिया दिनों में काफ़ी वायरल हुई है.
I Support Yogi Adityanath नाम के फ़ेसबुक पेज ने बीते 8 अप्रैल को वायरल तस्वीर को शेयर करते हुए लिखा 'गोवर्धन परिक्रिमा मार्ग में अवैध रूप से अतिक्रमण कर बनी मजारो पर J C B चला कर साफ किया जा रहा है, यह काम करने की क्षमता केवल योगी बाबा में ही है!! योगी बाबा जिंदाबाद!!'
महादेव सेना नाम के फ़ेसबुक पेज ने भी 8 अप्रैल को ही वायरल तस्वीर को इसी तरह के दावे के साथ शेयर करते हुए लिखा है 'धर्म के लिए हमेशा तत्पर रहने वाले योगी जी को नमन'.
वायरल पोस्ट यहां, यहां और यहां देखें.
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फ़ैक्ट चेक
बूम ने वायरल तस्वीरों की पड़ताल के लिए सबसे पहले उसे गूगल रिवर्स इमेज से सर्च करना शुरू किया. तो हमें दो साल पहले किए गए कई ट्वीट में भी इस तरह की तस्वीर देखने को मिली. साथ ही हमें 2018 की एक न्यूज़ रिपोर्ट भी मिली जिसमें गोवर्धन परिक्रमा के रास्ते में आने वाले मज़ार को हटाने का ज़िक्र था.
इसके बाद हमने अलग-अलग कीवर्ड से वायरल तस्वीर को ट्विटर पर खोजना शुरू किया तो हमें एक ट्वीट मिला जिसे 2018 के नवंबर महीने में शेयर किया गया था, जिसमें वायरल हो रही तस्वीर मौजूद थी.
आगे हमने गूगल पर गोवर्धन परिक्रमा 2018 जैसे कीवर्ड की मदद से मज़ार हटाने वाली ख़बर को खोजना शुरू किया तो हमें दैनिक जागरण की एक रिपोर्ट मिली और साथ ही नियो न्यूज के यूट्यूब चैनल पर अपलोड की गई एक वीडियो रिपोर्ट मिली जिसमें मज़ार हटाने का ज़िक्र था.
नियो न्यूज के रिपोर्ट में दिख रही तस्वीर और वायरल तस्वीर में काफ़ी समानता थी. यहां तक कि दोनों जगहों पर दिख रहा ट्रैक्टर जिसे अतिक्रमण हटाने में प्रयोग किया गया था वो एक जैसा ही था. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार 12 नवंबर 2018 को पीडब्ल्यूडी ने गोवर्धन परिक्रमा के रास्ते में आने वाली कई मज़ारो को हटाया था.
इसके अलावा 'इनख़बर' की 22 नवंबर 2018 की 'यूपी प्रशासन ने मथुरा में गोवर्धन परिक्रमा मार्ग से हटाईं 7 मजार' शीर्षक के साथ एक रिपोर्ट में कहा गया है कि 12 नवंबर को करीब 7 मज़ारें गिरा दी गयी जो गिरिराज या गोवर्धन पर्वत के पास अवैध रूप से बनी हुई थीं. प्रशासन ने अतिक्रमण और पर्वत के आस-पास ट्रैफिक की समस्या को देखते हुए मज़ारों को गिराने का फ़ैसला किया था.
बूम ने वायरल तस्वीरों के संबंध में गोवर्धन थाने के CO रविकांत से साल नवंबर, 2020 में संपर्क किया था, जब ये तस्वीरें इसी दावे के साथ वायरल हुई थीं. CO रविकांत ने बताया था कि "जो तस्वीरें वायरल हो रही हैं वो हाल के दिनों के नहीं है. गोवर्धन परिक्रमा मार्ग पर पिछले एक साल से किसी भी तरह का अतिक्रमण अभियान नहीं चलाया गया है."
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