दैनिक भास्कर की एडिटेड क्लिप हुई वायरल; नेटिज़ेंस ने किया फ़र्ज़ी दावा
बूम ने पाया कि राजस्थान में प्रकाशित दैनिक भास्कर की इस रिपोर्ट में वायरल हो रही लाइन नहीं है. उसे फ़ोटोशॉप किया गया है.
"राजस्थान सरकार ने एक सर्कुलर जारी कर कहा है कि अंतिम संस्कार के लिए 4 दिन पहले एसडीएम को सुचना देना अनिवार्य है," दावों के साथ दैनिक भास्कर अखबार की एक एडिट की हुई क्लिप वायरल हो रही है. इस न्यूज़ क्लिपिंग में भी यही लिखा है कि यदि अंतिम संस्कार करना है तो एस.डी.एम को चार दिन पहले सूचना देना होगा.
आपको बता दें कि यह फ़र्ज़ी खबर है. दैनिक भास्कर की यह क्लिपिंग एडिट की गयी है. वास्तविक खबर में इस तरह एस.डी.एम को सूचना देने जैसा कोई उल्लेख नहीं है.
हाल ही में भारत में कोविड-19 की दूसरी लहर आयी है. इसके चलते हॉस्पिटल्स में बेड, ऑक्सीजन, और अंतिम संस्कार के लिए जगह की कमी कई इलाकों में दिखाई दी. भारत में पिछले चौबीस घंटों में 314,835 मामले रिपोर्ट हुए हैं.
किसान आंदोलन: क्या राकेश टिकैत के चेहरे पर पोती गयी कालिख?
इसी दौरान नेटिज़ेंस राजस्थान सरकार द्वारा जारी दिशानिर्देश की एक रिपोर्ट को एडिट कर शेयर कर रहे हैं और फ़र्ज़ी खबर फ़ैला रहे हैं. यह न्यूज़ क्लिपिंग फ़ेसबुक और ट्विटर पर ज़ोरों से वायरल है.
नेटिज़ेंस इस क्लिपिंग के साथ लिख रहे हैं: "राजस्थान सरकार ने एक सर्कुलर जारी कर कहा है कि अंतिम संस्कार के लिए 4 दिन पहले एसडीएम को सुचना देना अनिवार्य है. कोरोना के साथ साथ राजस्थान कि कांग्रेस सरकार अपने सरदार कि तरह ही बहकी बहकी बाते ओर कार्य करती हैं. और हाँ कांग्रेसियों मे पागलपन की लहर भी चल रही है... अब इनको कोन बताए कि मरने का पता कैसे चलेगा वो भी 4 दिन पहले"
नीचे पोस्ट्स देखें और इनके आर्काइव्ड वर्शन यहां और यहां देखें.
यही दावा ट्विटर पर भी ज़ोरों से वायरल हो रहा है.
क्या कपूर और अजवाइन शरीर में ऑक्सीजन का स्तर बढ़ा सकते हैं? फ़ैक्ट चेक
फ़ैक्ट चेक
बूम ने न्यूज़ रिपोर्ट्स खंगाली. हालांकि राजस्थान सरकार ने लॉकडाउन नहीं लगाया है पर कई कठोर नियमों की घोषणा की है परन्तु हमें किसी भी रिपोर्ट में वायरल दावा नहीं दिखा. सरकार ने अंतिम संस्कार में शामिल होने वाले लोगों की अधिकतम संख्या 20 निर्धारित की है पर एस.डी.एम को चार दिन पहले सूचना देने का कोई आदेश नहीं दिया है.
यह नियम 16 अप्रैल से लागू हुए हैं. नीचे स्टैण्डर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर देखा जा सकता है.
इसके बाद हमें दैनिक भास्कर की वेबसाइट को खंगाला. हमें 14 अप्रैल को जारी एस.ओ.पी के साथ दैनिक भास्कर की वेबसाइट पर वही आर्टिकल मिला जिसे एडिट कर शेयर किया जा रहा है. इससे पुष्टि होती है कि वायरल क्लिपिंग एडिट की गयी है.
इ-पेपर पर हमें 15 अप्रैल की एक रिपोर्ट मिली जिसमें यही खबर एक अलग फॉर्मेट में प्रकाशित हुई थी. इसमें भी वायरल दावों जैसा कोई उल्लेख नहीं है.
बूम ने इस खबर पर अधिक जानकारी के लिए जयपुर दैनिक भास्कर के एक पत्रकार से संपर्क किया है. जवाब मिलते ही लेख अपडेट किया जाएगा.
जानिए सोशल मीडिया पर वायरल तस्वीर में दिख रहे यह आई.पी.एस कौन हैं?