भारतीय रिजर्व बैंक की वार्षिक
रिपोर्ट से पता चला कि 99.3 फीसदी नोटबंदी मुद्रा बैंकिंग प्रणाली में लौट आई है। इस रिपोर्ट आने के एक दिन बाद वित्त राज्यमंत्री शिव प्रताप शुक्ला ने कहा कि प्रधान मंत्री मोदी ने कभी नहीं कहा कि नोटबंदी काले धन को रोकने के लिए किया जा रहा है। बूम इस दावे का तथ्य जांच करता है और आधिकारिक प्रेस विज्ञप्ति के माध्यम से नोटबंदी के उद्घोषणा के बाद से इसके बातए जा रहे लक्ष्य में परिवर्तन की कहानी का पता लगाता है।
दावा:प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने कभी नहीं कहा कि नोटबंदी काले धन को रोकने के लिए किया जा रहा था।
तथ्य:झूठ । प्रधान मंत्री ने कहा था कि काला धन को रोकने के लिए नोटबंदी एक कदम था। 8 नवंबर, 2016 को उन्होंने नोटबंदी की घोषणा करते हुए अपने भाषण में 17 बार 'काला धन' का उल्लेख किया है। इंडिया टुडे को दिए गए एक साक्षात्कार में शुक्ला ने
कहा, “आदरणीय प्रधानमंत्री जी ने कभी ये नहीं कहा कि हम ये काले धन के नाते कर रहे हैं। बल्कि साफ-साफ कहा था कि देश की अर्थव्यवस्था को सुधारने के लिए कर रहे हैं। उन सब लोगों को हर चीज में काला धन दिखता है। उसका क्या किया जा सकता है।”
मोदी के नोटबंदी भाषण में 'काला धन' का 17 बार उल्लेख किया गया शुक्ला का बयान 8 नवंबर, 2016 को मोदी के नोटबंदी की घोषणा के विपरीत है। मोदी ने
कहा था कि, “भाइयों और बहनों, भ्रष्टाचार और काले धन की पकड़ को तोड़ने के लिए, हमने फैसला किया है कि वर्तमान में उपयोग आने वाले पांच सौ रुपये और हजार रुपए के नोट आज मध्यरात्री से, यानी 8 नवंबर 2016 से कानूनी रुप से अवैध होगें। ” शुक्ला का बयान स्पष्ट रूप से झूठा है क्योंकि मोदी ने अपने भाषण में न केवल नोटबंदी को काले धन को खत्म करने के लिए एक कड़े कदम के रूप में बताया था बल्कि अपने भाषण में काला धन' का उल्लेख 17 बार किया था। भ्रष्टाचार शब्द का उल्लेख 16 बार किया गया था, जबकि, प्रधान मंत्री के भाषण में डिजिटलकरण जो औपचारिक अर्थव्यवस्था की ओर मूल कदम है, उसका कोई उल्लेख नहीं मिला है। अगस्त 2017 से बूम की कहानी
यहांपढ़ें।
Full View नोटबंदी के बचाव में वित्त मंत्रालय की प्रेस विज्ञप्ति कैसे दिखाता है कहानी मेंबदलाव प्रताप शुक्ला, वित्त के लिए एमओएस, अपने बयान के माध्यम से जो कहना चाहते हैं, उसे वित्त मंत्रालय के प्रेस विज्ञप्ति में एक सूक्ष्म भेद युक्त तरीके से देखा जाता है। समय बीतने के साथ, 'काले धन को रोकने' के मुद्दे को हलका करने के रुप में देखा जा सकता है। 30 अगस्त, 2018 को, वित्त मंत्री अरुण जेटली ने एक फेसबुक
पोस्ट में कहा, "नोटबंदी का बड़ा उद्देश्य भारत को गैर टैक्स अनुपालन से टैक्स अनुपालन समाज में स्थानांतरित करना था। " वित्त मंत्रालय ने
पीआईबी के माध्यम से भी पोस्ट जारी किया है। जेटली ने कहा कि, नोटबंदी के बाद दो साल में आयकर रिटर्न की फाइलिंग में '19 फीसदी और 25 फीसदी' वृद्धि देखी गई है। हालांकि उन्होंने टैक्स अनुपालन में 'अर्थव्यवस्था का औपचारिकरण और काले धन के लिए झटका' शामिल होने का उल्लेख किया है, जेटली काले धन के उन्मूलन के बजाय कर अनुपालन पर अधिक महत्व रखते है।
लेकिन अगस्त 2017 में, वित्त मंत्रालय से पीआईबी
रिलीजने राजनीतिकता के 5 उद्देश्यों को सूचीबद्ध किया, जैसे कि काले धन को दूर करना, नकली मुद्रा को खत्म करना, आतंकवाद रोकना, कर आधार का विस्तार करने और डिजिटलीकरण को बढ़ावा देने के लिए अर्थव्यवस्था का औपचारिकरण।
हालांकि, नोटबंदी की घोषणा के दिन, 8 नवंबर, 2016 को मंत्रालय की पीआईबी
रिलीज ने इसे आतंकवादी वित्तपोषण को कम करने, नकली मुद्रा को रोकने और काले धन को खत्म करने जैसे विशिष्ट लक्ष्यों के लिए अभ्यास के रुप में चित्रित किया गया था। तब इसमें टैक्स अनुपालन का कोई उल्लेख नहीं किया गया था।
अगस्त 2017 में बूम के लेख से पता चलता है कि कैसे नोटबंदी की कहानी में डिजिटलीकरण जोड़ा गया था। पिछले 20 महीनों में सरकार भारी आलोचना का सामना करना पड़ रहा है क्योंकि यह स्पष्ट हो गया है कि 99 फीसदी से अधिक नोटबंदी नोट बैंकिंग प्रणाली में वापस आ गए है। यह बताता है कि क्यों नोटबंदी के बारे में सरकार की कहानी काले धन के उन्मूलन से बदल कर हाल के महीनों में टैक्स अनुपालन और अर्थव्यवस्था तक पहुंचा है। ( स्नेहा अलेक्जेंडर एक नीति विश्लेषक है और डेटा तथ्य जांच करती हैं। वह संख्याओं के पीछे कहानियों की तलाश करती हैं और इसे पाठकों को दोस्ताना तरीके से प्रस्तुत करती है। उन्होंने डेटा के गलत उपयोग के लिए देश के कुछ शीर्ष मंत्रियों और मीडिया प्रकाशनों की जांच की है। उनकी तथ्य जांच की गई कहानियां कई अन्य प्रमुख डिजिटल वेबसाइटों द्वारा प्रकाशित की गई हैं। )