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जेट एयरवेज ब्लीड एयर स्विच विफलता: क्यों हो सकता था यह घातक?

ब्लीड एयर स्विच क्या है और यह एक विमान के लिए इतना महत्वपूर्ण क्यों है? अगर ब्लीड एयर सिस्टम विफल हो जाता है तो विमान के केबिन-क्रू और यात्रियों के लिए क्या खतरा हो सकता है?

By - Sneha | 24 Sept 2018 11:54 AM IST

  गुरुवार को मुंबई-जयपुर जेट एयरवेज की उड़ान को मुंबई हवाई अड्डे पर लौटना पड़ा था। उड़ान में केबिन दबाव बनाए रखने में केबिन क्रू की विफलता के कारण यात्रियों को सरदर्द और नाक-कान से खून निकलने की शिकायत हुई थी।   विमानन नियामक नागरिक उड्डयन महानिदेशालय या डीजीसीए के अनुसार 9W 697 उड़ान का क्रू ब्लीड एयर स्विच ( जो केबिन दबाव को बनाए रखता है ) दबाना भूल गया था, जिसके कारण केबिन दबाव को बनाए नहीं रखा जा सका है। उड़ान में 166 यात्री थे जिनमें से 30 प्रभावित थे। केबिन क्रू के 5 सदस्यों को लंबित जांच को हटा दिया गया है।  
    जेट एयरवेज ने एक बयान में कहा,       लेकिन ब्लीड एयर स्विच क्या है और यह एक विमान और इसके यात्रियों के लिए इतना महत्वपूर्ण क्यों है? बूम ब्लीड एयर स्विच के बारे में कुछ महत्वपूर्ण जानकारी देता है।   ब्लीड एयर क्या है?   ब्लीड एयर गर्म हवा है जो कंप्रेसर स्टेज के निकासी से ली जाती है। जब हवा एक टरबाइन इंजन में प्रवेश करती है, यह कंप्रेसर की एक श्रृंखला के माध्यम से जाता है, जो उस हवा को ईंधन के साथ मिलने और उत्तेजित करने से पहले हवा के तापमान और दबाव में काफी वृद्धि करता है। उस संपीड़ित हवा का एक छोटा सा हिस्सा हवा को ठंडा करने के लिए ताप विनिमायकों से भेजा जाता है और पर्याप्त केबिन दबाव प्रदान करने के लिए केबिन क्षेत्र के विभिन्न क्षेत्रों में पारित किया जाता है।   बूम ने विमानन विशेषज्ञ विपुल सक्सेना से बात की है। उन्होंने बताया कि कॉकपिट में मौजूद ब्लीड स्विच यात्री केबिन में दबाव प्रणाली को कार्यशील रखता है। कॉकपिट में दोनों इंजनों के लिए दो ब्लीड स्विच होते हैं।   सक्सेना ने कहा कि स्विच को 8000 फीट तक बंद रखना ठीक है क्योंकि इससे ज्यादा असुविधा नहीं होती है। और, छोटे रनवे के मामलों में जहां पायलट इंजन से अतिरिक्त जोर चाहते हैं, स्विच अस्थायी रूप से निष्क्रिय हो सकता है। हालांकि, माना जाता है कि इसके बाद पायलट इसे जल्द ही सक्रिय कर लेंगे।  
उड़ान के दौरान केबिन दबाव को बनाए रखना क्यों महत्वपूर्ण है?
  जब एक विमान ऊंचाई प्राप्त करता है, केबिन दबाव गिरता है जिससे ऑक्सीजन का अन्तर्ग्रहण कम होता है। हालाकिं, वायुमंडल में ऑक्सीजन का स्तर उच्च ऊंचाई पर रहता है जहां दबाव कम होता है, ऑक्सीजन अणु अधिक फैलते हैं और इससे सांस में कम ऑक्सीजन जाता है।   इस स्थिति को दूर करने के लिए, 36,000-40,000 फीट की ऊंचाई पर चढ़ने के बावजूद केबिन दबाव कम स्तर पर बनाए रखा जाता है। केबिन दबाव आमतौर पर समुद्र तल से 6000-8000 फीट पर वायुमंडलीय दबाव के रूप में बनाए रखा जाता है। केबिन दबाव का यह स्तर जो जमीन के स्तर के दबाव से कम है स्वस्थ यात्रियों द्वारा नियंत्रित किया जा सकता है।   इस प्रकार, जब यह चढ़ता है तो विमान केबिन दाबानुकूलित किए जाते हैं और बाद में उतरने पर विदाबन किया जाता है। उड़ान ऊंचाई पर जाने के बावजूद केबिन दबावीकरण के कारण यात्रियों को आरामदायक रहने और सामान्य रुप से सांस लेने में मदद मिलती है।  
यदि केबिन दबाव बनाए रखा नहीं जाता है तो क्या होता है?
उच्च ऊंचाई पर ऑक्सीजन का कम अन्तर्ग्रहण (हाइपोक्सिया) यात्रियों पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकता है। केबिन दबाव के नुकसान की स्थिति में, ऑक्सीजन मास्क स्वचालित रूप से गिराए जाते हैं क्योंकि सेंसर, दबाव में गिरावट का पता लगाते हैं। हालांकि, ये ऑक्सीजन मास्क केवल कुछ ही मिनटों तक ही बनाए रख सकते हैं।   हाइपोक्सिया या शरीर के ऊतकों में ऑक्सीजन की कमी से मतली, सिरदर्द, नाक और कान ऊतक में क्षति, रक्तस्राव और चेतना का नुकसान हो सकता है।   बूम ने मुबंई के भाटिया अस्पताल के ईएनटी विशेषज्ञ, डॉ प्रभात दिव्य से बात की है। उन्होंने बताया कि नाक वाहिकाओं और कान के पर्दे के टूटने के कारण नाक और कान से खून निकलता है। और लंबे समय तक ऑक्सीजन की कमी घातक हो सकती है क्योंकि इससे हृदय गति प्रभावित होने की संभावना हो सकती है।   टीएन मेडिकल कॉलेज में हेड और नेक सर्जरी के ईएनटी के प्रमुख डॉ बाची हथिरम ने बताया कि कार्डियो-संवहनी रोग, बुजुर्ग, गर्भवती महिलाओं और बच्चों, विशेष रूप से शिशुओं में होने की जोखिम सबसे ज्यादा होता है।  
दोषपूर्ण ब्लीड-एयर सिस्टम के कारण विमानन घटनाओं का इतिहास
  जबकि कम केबिन दबाव के कारण यात्रियों को चोट पहुंचने का बड़ा खतरा होता है और किसी का भी विमान पर नियंत्रण रखने और इसे सुरक्षित रूप से जमीन पर उतारने के लिए उपलब्ध नहीं होने के साथ जो घातक साबित हो सकता है वह केबिन क्रू की एक त्वरित अक्षमता है।   14 अगस्त 2005 को, हेलीओस एयरवेज द्वारा संचालित लार्नका से एथेंस की अंतरराष्ट्रीय यात्री उड़ान भरने वाली बोइंग 737-300 (5 बी-डीबीवाई) का एटीसी के साथ संपर्क टूट गया था। विमान को दो सैन्य विमानों द्वारा मार्ग रोका गया था, जिन्होंने पाया कि पायलटों और केबिन क्रू को अक्षम कर दिया गया था और विमान ऑटोपायलट पर उड़ रहा था। ग्रीस के पास विमान दुर्घटनाग्रस्त हो गया, जिसमें सभी 121 लोग मारे गए थे।   बाद की जांच से पता चला कि एक ग्राउंड इंजीनियर जिसने टेकऑफ से पहले विमान पर कुछ रखरखाव परीक्षण चलाए थे, उसने दबाव प्रणाली को "मैनुअल" पर सेट किया था। लेकिन अपने काम को खत्म करने के बाद इसे "ऑटो" पर रीसेट करने में विफल रहा था। जब विमान ने चढ़ाई शुरु की तो विमान केबिन क्रू भी इस त्रुटि को हल करने में असफल रहा था और परिणामस्वरुप और ऑक्सीजन की कमी के कारण कॉकपिट और केबिन क्रू चेतना खोने लगे। कॉकपिट में प्रवेश करने वाले एक उड़ान परिचर ने विमान को बचाने की कोशिश की लेकिन असफल रहा क्योंकि उसे विमान पर नियंत्रण रखने के लिए प्रशिक्षित नहीं किया गया था।   दोषपूर्ण ब्लीड एयर सिस्टम अन्य जटिलताओं का भी कारण बन सकती है यदि विषाक्त धुआं केबिन तक पहुंचता है, जिससे कंपकंपी, स्मृति हानि और गंभीर सिरदर्द हो सकते हैं। कई केबिन क्रू और नियमित रुप से विमान से यात्रा करने वालों ने प्रदूषित केबिन हवा के निरंतर संपर्क के कारण स्वास्थ्य संबंधी खतरों की शिकायत की है। बोइंग और एयरलाइंस जैसी विमान कंपनियों पर भी दीर्घकालिक प्रभाव का सामना करने के बाद केबिन क्रू द्वारा मुकदमा चलाई गई हैं। इसके कारण न केवल उन्हें काम से बाहर नहीं किया गया है बल्कि अपने स्वास्थ्य के लिए मंहगा उपचार भी कराना पड़ा है।   लेख के लिए समिक्षा खंडेलवाल से इनपुट लिया गया है। समिक्षा बूम के साथ जुड़ी हैं और ट्रेनी पत्रकार हैं।   ( स्नेहा अलेक्जेंडर एक नीति विश्लेषक है और डेटा तथ्य जांच करती हैं। वह संख्याओं के पीछे कहानियों की तलाश करती हैं और इसे पाठकों को दोस्ताना तरीके से प्रस्तुत करती है। उन्होंने डेटा के गलत उपयोग के लिए देश के कुछ शीर्ष मंत्रियों और मीडिया प्रकाशनों की जांच की है। उनकी तथ्य जांच की गई कहानियां कई अन्य प्रमुख डिजिटल वेबसाइटों द्वारा प्रकाशित की गई हैं। )

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