उत्तर प्रदेश के स्व-घोषित साधु नरसिंह वाणी का एक वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से फैल रहा है। वीडियो में तेलंगाना में हाल ही वेटनरी डॉक्टर के साथ हुए सामूहिक बलात्कार और हत्या के बारे में झूठा सांप्रदायिक दावा किया गया है। वाणी का दावा है कि गिरफ़्तार किए गए चार आरोपियों में से तीन शिव, नवीन और चेन्नाकेशवुलु मुस्लिम समुदाय से नाबालिग हैं और पुलिस ने उन्हें झूठी हिंदू पहचान दी है।
28 नवंबर को, तेलंगाना के एक 26 वर्षीय वेटनरी डॉक्टर का शव मिला था, जिसके साथ सामूहिक बलात्कार किया गया था और बाद में उसे मार डाला गया था। इस घटना के कारण पूरे देश में आक्रोश फैल गया और चार लोगों की गिरफ़्तारी हुई। आरोपियों के नाम मोहम्मद अरीफ, जोलू शिवा, जोलू नवीन और चिंतकुनता चेन्नेकशवुलु हैं।
घटना को साम्प्रदायिक मोड़ देने वाला केवल वाणी का ही वीडियो नहीं है, बल्कि कई दक्षिणपंथी झुकाव वाले ट्वीटर हैंडल और वेबसाइटों ने केवल एक आरोपी, मोहम्मद के नाम को फोकस करते हुए दावा किया है कि यह भयावह अपराध करने वाला आरोपी मुस्लिम है। पोस्टकार्ड के संस्थापक महेश हेगड़े और सुदर्शन न्यूज़ के संस्थापक सुरेश चव्हाणके जैसे ट्विटर यूज़रों द्वारा इस दिल दहला देने वाली घटना को सांप्रदायिक कोण दिया गया था, जिन्होंने इस बात पर जोर दिया कि पुलिस ने उन तीनों आरोपियों को ग़लत तरीके से गिरफ़्तार किया है जो हिंदू हैं। दक्षिणपंथी झुकाव समाचार आउटलेट, स्वराज्य ने केवल एक आरोपी, मोहम्मद के नाम का उल्लेख किया।
2 दिसंबर को, वाणी ने अपने फ़ेसबुक पेज 'यति नरसिंहानंद सरस्वती' पर एक वीडियो पोस्ट किया, जिसमें दावा किया गया कि बलात्कार मामले के सभी चार आरोपी मुस्लिम थे लेकिन उनमें से तीन को "सरकार द्वारा एक हिंदू पहचान" दी गई थी।
वीडियो में वाणी का दावा है कि "पुलिस ने चार आरोपियों को गिरफ़्तार किया जिनमें से तीन नाबालिग थे।" वह आगे कहते हैं कि, "चूंकि आरोपी नाबालिग हैं इसलिए उन्हें झूठी पहचान दी गई है"। वाणी आगे दावा करते हैं, "सच्चाई यह है कि तीनों मुस्लिम हैं और उन्हें इस्लाम में बुराईयों से बचाने और हिंदुओं का अपमान करने के लिए हिंदू नाम दिए गए हैं।" वह तब "देश के हिंदुओं को जागने" के लिए कहता है और सरकार से "हिंदू धर्म का अपमान करने" के ख़िलाफ़ "सख़्त कार्रवाई" करने के लिए कहता है।
वाणी जो 'यति नरसिंहानंद सरस्वती' के नाम से भी जाना जाता है, गाज़ियाबाद स्थित स्वघोषित साधु है। वह गाज़ियाबाद में दसना देवी मंदिर के मुख्य पुजारी हैं।
वीडियो तेजी से ट्विटर और फ़ेसबुक और व्हाट्सएप्प पर वायरल हुआ और बूम को यह वीडियो अपने हेल्पलाइन पर मिला है।
ऐसा ही आरोप अन्य ट्विटर हैंडलों ने भी लगाया था, जिन्होंने दावा किया था कि तीन आरोपी- शिवा, नवीन, चेन्नेकशावा नाबालिग थे।
फ़ैक्ट चेक
बूम ने गिरफ़्तारी के घंटों बाद 29 नवंबर को साइबराबाद पुलिस द्वारा आयोजित एक संवाददाता सम्मेलन में आरोपी और घटना के बारे में विवरण पाया।
साइबराबाद पुलिस द्वारा जारी किए गए प्रेस बयान में, अभियुक्तों के नाम- मोहम्मद उर्फ अराइफ, जोलू शिवा, जोलु नवीन, चिंताकुंटा चेन्नेकशवुलु - और उनकी उम्र का उल्लेख किया गया था।
बूम प्रेस स्टेटमेंट की एक कॉपी तक पहुंने में सक्षम था, जिसमें जिसमें साइबराबाद पुलिस ने कहा, "अभियुक्तों के बयान और एकत्र किए गए सबूतों के आधार पर, यह पता चलता है कि निम्नलिखित चार व्यक्ति अपराध में शामिल थे:
"ए -1 मोहम्मद @अरीफ, हुसैन का बेटा उम्र 26 साल
ए-2 जोलू शिवा, राजप्पा का बेटा, उम्र 20 साल
ए-3 जोलू नवीन, यल्लप्पा का बेटा, उम्र : लगभग 20 वर्ष
ए-4 चिंताकुंता चेन्नेकशवुलु आयु: लगभग 20 वर्ष"
इसके अलावा, हमें कई खबरें मिलीं जिनमें आरोपियों के परिवार का साक्षात्कार लिया गया था।समाचार संगठन द क्विंट ने शिव, नवीन और चेन्नेकशवुलु के परिवारों सहित सभी चार आरोपियों के परिवार का साक्षात्कार लिया।
आरोपियों के नामों के बारे में परिवारों द्वारा प्रदान किए गए विवरण, साइबराबाद पुलिस द्वारा जारी विवरण के साथ मेल खाते हैं, जिसमें आरोपी के पिता के नाम भी शामिल हैं।
बूम ने वीसी सज्जन से भी संपर्क किया जिन्होंने इस बात से इनकार किया कि गिरफ्तार आरोपी शिवा, नवीन और चेन्नेकशवुलु नाबालिग हैं।