देश भर के छात्रों और अभिभावकों ने कोविड-19 महामारी के कारण नीट (NEET), यूजी और जेईई (JEE) परीक्षाओं को स्थगित करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से अपील की है। नीट परीक्षा 3 मई को आयोजित होने वाली थी लेकिन महामारी के कारण इसे 26 जुलाई तक स्थगित कर दिया गया। फिर इसे 13 सितंबर के लिए स्थगित कर दिया गया।
नीट-जेईई परीक्षा को लेकर क्या है मामला
छात्रों और अभिभावकों ने केंद्र सरकार से कोरोना महामारी के कारण दोनों परीक्षाओं को रद्द करने की मांग उठाई हैं। पहले परीक्षा मई में आयोजित होनी थी, जिसे जुलाई तक स्थगित कर दिया गया और बाद में इसे सितंबर तक बढ़ा दिया गया।
सुप्रीम कोर्ट ने यह कहते हुए परीक्षा रद्द करने की याचिका खारिज कर दी कि छात्रों के कैरियर को खतरे में नहीं डाला जा सकता।
वहीं विपक्ष ने केंद्र से परीक्षा आयोजित करने के फ़ैसले पर पुनर्विचार करने को कहा है। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने कांग्रेस शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों और पश्चिम बंगाल, झारखंड और महाराष्ट्र की सरकारों की बैठक बुलाई है।
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से परीक्षा को स्थगित करने की अपील की है, इससे पहले महाराष्ट्र सरकार के पर्यटन मंत्री आदित्य ठाकरे भी प्रधानमंत्री से नीट-जेईई परीक्षा को आगे बढ़ाने की अपील कर चुके हैं।
In our last video conference with the Hon'ble PM Shri @narendramodi Ji, I had been vocal against the UGC guidelines mandating completion of terminal examinations in Universities/Colleges by the end of September 2020, which had a huge potential to put student lives at risk. (1/2)
— Mamata Banerjee (@MamataOfficial) August 24, 2020
इस मुद्दे ने वैश्विक स्तर पर भी अपना ध्यान खींचा है। जानी-मानी स्वीडिश एनवायरनमेंटल और क्लाइमेट एक्टिविस्ट ग्रेटा थनबर्ग ने परीक्षा स्थगित करने की मांग का समर्थन करते हुए ट्वीट किया और कोरोना महामारी के बीच परीक्षा आयोजित करने के फ़ैसले को 'अनुचित' बताया।
It's deeply unfair that students of India are asked to sit national exams during the Covid-19 pandemic and while millions have also been impacted by the extreme floods. I stand with their call to #PostponeJEE_NEETinCOVID
— Greta Thunberg (@GretaThunberg) August 25, 2020
छात्र परीक्षा को स्थगित करने की मांग क्यों कर रहे हैं?
नीट-जेईई परीक्षा आयोजित करने के विरोध का मुख्य कारण कोविड-19 महामारी है। लाइव लॉ में लिखे अपने लेख में अधिवक्ता अलख अलोक श्रीवास्तव कहते हैं कि 'कुछ छात्रों की शिक्षा में गहरी रूचि के लिए शिक्षा के अधिकार और छात्रों व उनके परिवार के सदस्यों के जीवन के अधिकार के ऊपर तरजीह नहीं दिया जा सकता।' श्रीवास्तव ने सुप्रीम कोर्ट में रिट याचिकाएं दायर की हैं, जिसमें महामारी के कारण विभिन्न परीक्षाओं को रद्द करने या स्थगित करने की मांग की गयी है।
छात्रों और अभिभावकों का तर्क है कि महामारी के दौरान परीक्षा आयोजित करने से छात्रों और उनके परिवारों का जीवन खतरे में पड़ जाएगा। करीब 16 लाख और 10 लाख छात्रों ने नीट और जेईई के लिए अपना पंजीकरण कराया है।
उनका तर्क है कि अप्रैल में कोरोना संक्रमितों की संख्या कम थी, जबकि अब रोज़ बड़ी तादाद में कोरोना के मामलों में बढ़ोतरी हो रही है। सरकार ने स्वास्थ्य संबंधी जोखिमों का हवाला देते हुए जुलाई में होने वाली परीक्षाओं को स्थगित कर दिया था, जो महामारी के कारण बिगड़ते हालात को देखते हुए फिर स्थगित कर दी गई थी।
याचिकाकर्ताओं का तर्क है कि परीक्षा में बैठने वाले छात्रों की संख्या अधिक है, जबकि परीक्षा केन्द्रों की संख्या कम है। ऐसे में छात्रों के बीच शारीरिक दूरी बनाये रखना मुश्किल होगा।
बिहार और असम के बाढ़ प्रभावित राज्यों में रहने वाले छात्रों को परीक्षा केंद्रों तक पहुंचना बेहद मुश्किल होगा। यह भी कहा जा रहा है कि महामारी के कारण अधिकतर छात्र अपने गृहनगर जा चुके हैं। ट्रेन, सड़क और हवाई यात्रा में कई तरह की पाबंदियां लगी हुईं हैं, ऐसे में छात्रों को परीक्षा के लिए यात्रा करने में मुश्किलों का सामना करना पड़ेगा।
इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट ने देश छोड़ चुके छात्रों के लिए विदेशों में परीक्षा केंद्र की मांग करने वाली याचिका को ख़ारिज कर दिया है। हालांकि जेईई परीक्षा के केन्द्र विदेशों में भी बनाये गए हैं, जिन छात्रों को नीट की परीक्षा में शामिल होना है उन्हें भारत आना होगा।
जेईई परीक्षा 1 से 6 सितंबर के बीच आयोजित की जाएगी, जबकि नीट 13 सितंबर को आयोजित की जाएगी। विदेशों से लौटने वाले लोगों पर क्वारंटाइन नियम लागू होते हैं। ऐसी स्थिति में छात्रों के लिए 6 दिनों के अंदर दोनों जेईई और परीक्षा में शामिल होना असंभव है।
सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?
सुप्रीम कोर्ट ने यह कहते हुए रिट याचिका खारिज कर दी कि परीक्षा सावधानी के साथ आयोजित की जाएगी और स्थगित नहीं की जाएगी। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फ़ैसले में कहा कि "हम पाते हैं कि नीट के साथ-साथ जेईई (मुख्य) अप्रैल, 2020 से जुड़े सवालों और प्रार्थनाओं का कोई मतलब नहीं बनता। हमारी राय में कोरोना वायरस के कारण देश में सब-कुछ नहीं रोका जा सकता है। यह महामारी का दौर है लेकिन जीवन चलते रहना है। जीवन को आगे बढ़ना है। छात्रों के कैरियर को लंबे समय तक खराब नहीं किया जा सकता है और बच्चों के एक कीमती साल को यूं ही बर्बाद नहीं किया जा सकता।
सुप्रीम कोर्ट ने देश से बाहर परीक्षा केंद्र की मांग करने वाली याचिका को ख़ारिज करते हुए केंद्र सरकार को निर्देश दिया कि वह 'वंदे भारत मिशन' के तहत विदेशी छात्रों को 13 सितंबर को परीक्षा देने के लिए भारत आने की अनुमति दे। कोर्ट ने राज्य सरकारों से भी आग्रह किया क्वारंटाइन नियम तय करते समय छात्रों के हालात पर भी विचार करें।
तीन जजों वाली बेंच ने मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया को अगले साल से परीक्षाओं को ऑनलाइन आयोजित करने पर विचार करने का भी सुझाव दिया है।