प्रधानमंत्री द्वारा हाल ही में शुरू किये गए प्राइम मिनिस्टर सिटीजन असिस्टेंस एंड रिलीफ़ इन इमरजेंसी सिचुएशन फ़ंड या पी.एम केयर्स फ़ंड और पहले से स्थापित प्रधानमंत्री (प्राइम मिनिस्टर) राष्ट्रिय राहत कोष में कई समानताएं हैं, यदि कुछ अपवाद अंतरों जैसे उन पर लागू शासनआदेश तथा सेटअप वगैरह के अंतर को किनारे रख दें तो, जैसा की इन दोनों कोषों पर पब्लिक इनफार्मेशन की तुलना दर्शाती है |
प्रधानमंत्री राष्ट्रिय राहत कोष या पी.एम.एन.आर.ऍफ़ 70 से ज़्यादा वर्षों पहले स्थापित किया गया था ताकि आपदा में, आपातकालीन स्थितियों में मेडिकल खर्चों को उठाया जा सके | पी.एम केयर्स कोष एक कदम आगे काम करता है और अनुसंधान, आधारिक संरचना, दवाओं और हेल्थकेयर की ज़रूरतें पूरी करता है |
जबकि पी.एम.एन.आर.ऍफ़ का सेटअप कुछ यूँ है की इसमें प्रधानमंत्री, वित्त मंत्री, इंडियन नेशनल कांग्रेस के अध्यक्ष, और इंडस्ट्री एंड कॉमर्स और टाटा ट्रस्टी के एक एक प्रतिनिधि होते हैं, पी.एम केयर्स का सेटअप है की इसमें प्रधानमंत्री, वित्त, डिफ़ेंस और गृह मंत्री होते हैं | हालांकि दोनों कोषों में ज़्यादा ट्रस्टी नॉमिनेट या नियुक्त किये जा सकते हैं |
पी.एम केयर्स फ़ंड विशेष रूप से अलग अलग छेत्र के तीन विशेषज्ञों को नियुक्त करने की बात करता है |
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इसके अलावा इन फ़ंड्स की समान विशेषताएँ भी हैं जैसे कोई बजटीय समर्थन नहीं, इनकम टैक्स में छूट, विदेशी योगदान की अनुमति, एवं इन ट्रस्ट को चलाने में शामिल लोगों के लिए अवैतनिक सेवा |
कोविड-19 महामारी के चलते, 28 मार्च को भारतीय सरकार ने पी.एम केयर्स कोष के गठन का ऐलान किया | यह कोष प्रधानमंत्री कार्यालय द्वारा प्रबंधित तीसरा कोष है | प्रधानमंत्री राष्ट्रिय राहत कोष और प्रधान मंत्री रक्षा कोष, पहले दो हैं |
पी.एम राष्ट्रिय राहत कोष और पी.एम केयर्स कोष के समान प्रकृति के चलते कई लोग पी.एम केयर्स की आवश्यक्ता पर सवाल उठा रहे हैं | अंतरिम कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गाँधी ने 7 अप्रैल को प्रधानमंत्री से एक 'फ़ाइव-पॉइंट लेटर' द्वारा सिफ़ारिश की कि पी.एम केयर्स कोष का सारा पैसा पी.एम राष्ट्रिय राहत कोष में डाल दें जिससे कार्यक्षमता, पारदर्शिता और जवाबदेही के साथ साथ इस कोष के खर्चों के ऑडिट को सुनिश्चित किया जा सके |
बूम ने इन दोनों कोषों कि तुलना की |
उद्देश्य
सार्वजनिक रूप से मौजूद सूचना के अनुसार इन दोनों कोषों का उद्देश्य एक जैसा हैं | प्रधानमंत्री राष्ट्रिय राहत कोष जवाहर लाल नेहरू द्वारा जनवरी 1948 में स्थापित किया गया था जो शुरुआत में पाकिस्तान से विस्थापित लोगों कि सहायता के लिए था, जैसा कि पी.एम.एन.आर.ऍफ़ पर जानकारी दी गयी है |
हालांकि अब यह कोष उन लोगों कि मदद भी करता हैं जो किसी आपदा जैसे बाढ़, भूकंप, तूफ़ान से पीड़ित हैं या दुर्घटना और दंगों के पीड़ित हैं | यह कोष कई चिकित्सा व्यय जैसे हार्ट सर्जरी, किडनी ट्रांसप्लांट, कैंसर या एसिड अटैक, को भी सहारा देता है | इस कोष के अंतर्गत कई हॉस्पिटल्स भी आते हैं - केंद्रीय या राज्य स्तरीय - और प्राइवेट अस्पताल जिसमें इस कोष के माध्यम से व्यय उठाया जाता है |
पी.एम केयर्स कोष उल्लेखित करता हैं कि किसी भी सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल के वक़्त यह काम आएगा - जैसे कोविड-19 | इसमें दवाइयों, हेल्थकेयर, अनुसंधान, और कोई अन्य आपातकाल या विपदा शामिल हैं |
ट्रस्टी/बोर्ड मेंबर्स
प्रधानमंत्री राष्ट्रिय राहत कोष, जनवरी 24, 1948 में - प्रेस इनफार्मेशन ब्यूरो के एक दस्तावेज के अनुसार - जवाहरलाल नेहरू की एक अपील के मुताबिक़ एक ट्रस्ट है जिसमें निम्लिखित लोग होंगे
- प्रधान मंत्री
- डिप्टी प्रधानमंत्री
- इंडियन नेशनल कांग्रेस के अध्यक्ष
- वित्त मंत्री
- टाटा ट्रस्टी का एक प्रतिनिधि
- इंडस्ट्री एंड कॉमर्स का एक सदस्य जो फ़ेडेरेशन ऑफ़ इंडियन चैम्बर ऑफ़ कॉमर्स निर्धारित करेगा
इस रिलीज़ में यह भी कहा गया था की और सदस्य जोड़े जा सकेंगे | हालांकि पी.एम.एन.आर.ऍफ़ के अनुसार, "कोष से पैसों का वितरण प्रधानमंत्री के निर्णय और प्रधानमंत्री के निर्देशों पर होगा|"
एक पोस्ट ने हाल में फ़र्ज़ी तरह से यह विवरण दिया की प्रधानमंत्री इस कोष से पैसे नहीं निकाल सकता तब तक जब तक कांग्रेस के अध्यक्ष की हामी न हो, क्योंकि बोर्ड में कांग्रेस अध्यक्ष भी होता है |
पोस्ट का आर्काइव्ड वर्शन यहाँ देखें|
यदि पी.एम केयर्स कोष देखें तो उसमें नीचे दिए गए सदस्य होते हैं
- प्रधानमंत्री
- वित्त मंत्री
- गृह मंत्री
- रक्षा मंत्री
इनके अलावा प्रधानमंत्री तीन विशेषज्ञों को भी इस कमिटी में नियुक्त कर सकता है|
कोष यह भी कहता है की पी.एम केयर्स का वित्तीय वितरण ट्रस्टी द्वारा निर्धारित नियमों और मापदंडों के आधार पर किया जाएगा |
"पीएम केयर्स फ़ंड के ट्रस्टियों के पास ट्रस्ट के किसी भी उद्देश्य को पूरा करने के लिए नियम / मानदंड तैयार करने की शक्तियां हैं," कोष कहता है |
कोष एवं वित्त
पी.एम.एन.आर.ऍफ़ खातों का ऑडिट वित्तीय वर्ष 2019 (31 मार्च 2019) तक हो चूका है | खातों के अनुसार इस कोष में 783.18 करोड़ रूपए की आवक थी, और 212.5 करोड़ रूपए के खर्चे | बचा हुआ पैसा और पहले से मौजूद कोष ने इस फण्ड को कुल 3800.44 करोड़ रूपए का बनाया | इस कोष की ऑडिट रिपोर्ट ने यह भी बताया की कोष ने फ़िक्सड डिपॉज़िट, बचत खातों, डेवलपमेंट लोन (जो राज्यों को दिए गए थे), पर ब्याज के रूप में पैसा कमाया और नए योगदान भी पाए |
कोष के विश्लेषण से पता चलता है की कोष का व्यय राज्यों को लोन, फ़िक्सड डिपॉज़ि, लोगों और हॉस्पिटलों को मेडिकल हेल्प देने में हुआ था | कोष ने तूफानों, पुनर्वास और जनकल्याण में वित्तीय वर्ष 2019 में कोई व्यय नहीं किया था |
पी.एम केयर्स का आय और व्यय की कोई सार्वजनिक प्रोफ़ाइल अब तक नहीं है | यह दोनों कोष पी.एस.यु से कोई योगदान नहीं लेते हैं, जो बजटीय आवंटन से होते हैं | परन्तु, पी.एम केयर्स कोष कहता है की कंपनियों और पी.एस.यु द्वारा योगदान कॉर्पोरेट सोशल रिस्पांसिबिलिटी के तहत माना जाएगा | दोनों कोष विदेशी निधिकरण भी लेते हैं जिसे ऍफ़.सी.आर.ऐ 2010 के तहत मुक्त किया गया है|
"पी.एम केयर्स फ़ंड को भी FCRA के तहत छूट है और विदेशी दान प्राप्त करने के लिए एक अलग खाता खोला गया है और इसे जल्द ही चालू कर दिया जाएगा। यह पीएम केयर्स फ़ंड को विदेशों में स्थित व्यक्तियों और संगठनों से दान और योगदान को स्वीकार करने में सक्षम करेगा। यह प्रधानमंत्री के राष्ट्रीय राहत कोष के संबंध में है। पी.एम.एन.आर.ऍफ़ को 2011 से एक सार्वजनिक ट्रस्ट के रूप में विदेशी योगदान भी मिला है," पी.एम केयर्स यहाँ उल्लेखित करता है|
यह दोनों फंड्स आय कर के बाहर हैं और इनमे दिए गए सहयोग भी आयकर मुक्त हैं | इन कोषों में सहयोग नगद, चेक, डिमांड ड्राफ्ट, ऑनलाइन चैनल्स द्वारा किया जा सकता है | दोनों कोष लेन-देन यूनाइटेड पेमेंट इंटरफ़ेस या यु.पी.आई द्वारा और कार्ड्स द्वारा भी सक्षम बनाते हैं |