फैक्ट चेक

फैक्ट चेक: ईरान पर हमले के लिए अमेरिका ने इंडियन एयरस्पेस का इस्तेमाल नहीं किया

बूम ने जांच में पाया कि अमेरिकी बमवर्षक विमानों (B2) ने ईरान तक पहुंचने के लिए लेबनान, सीरिया और ईराक के ऊपर से उड़ान भरी थी.

By -  Archis Chowdhury |

25 Jun 2025 2:01 PM IST

Claim that US used Indian airspace to attack Iran is false

ईरान पर अमेरिका के हवाई हमले ‘मिडनाइट हैमर’ ऑपरेशन के दौरान अमेरिका द्वारा भारतीय हवाई क्षेत्र के प्रयोग करने का दावा सोशल मीडिया पर वायरल है. यूजर का दावा है कि अमेरिकी बमवर्षक विमानों ने ईरानी परमाणु ठिकानों फोर्डो, नतांज और इस्फाहान पर हमले के दौरान भारतीय हवाई क्षेत्र का इस्तेमाल किया.

क्या है वायरल दावा : 


फेसबुक यूजर ने दावे से संबंधित स्क्रीनशॉट को शेयर करते हुए लिखा है, 'अमेरिकी सेना ने ईरान पर हमला करने के लिए भारतीय हवाई क्षेत्र का इस्तेमाल किया. नई दिल्ली की मूक मिलीभगत अब उसे इतिहास के गलत पक्ष पर ले जाती है. ईरान इसे कभी नहीं भूलेगा.' आर्काइव लिंक


पड़ताल में क्या मिला : 


यूएस अधिकारियों द्वारा ब्रीफिंग में दी गई जानकारी के अनुसार, अमेरिकी सेना के B‑2 बमवर्षक विमान और सहायक विमान लेबनान, सीरिया और  ईराक के ऊपर से उड़कर ईरान पहुंचे थे. भारतीय अधिकारियों ने भी ‘मिडनाइट हैमर’ ऑपरेशन के दौरान भारतीय हवाई क्षेत्र के उपयोग के दावे को खारिज किया है. 

पेंटागन ने दी रूट की जानकारी

अमेरिकी रक्षा विभाग के मुख्यालय (पेंटागन) द्वारा जारी की गई जानकारी के अनुसार, अमेरिकी B‑2 स्टील्थ विमान ने ईरान तक पहुंचने के लिए लेबनान, सीरिया और ईराक के ऊपर से उड़ान भरी थी, न कि भारतीय वायुमार्ग से.

अमेरिकी रक्षा विभाग मुख्यालय, पेंटागन द्वारा PBS News के साथ शेयर किया गया Visual 


अमेरिकी रक्षा विभाग ने की फ्लाइट रूट की पुष्टि की 

ज्वाइंट चीफ ऑफ स्टाफ जनरल डैन केन द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार, बी-2 बॉम्बर को मध्य पूर्व एयरस्पेस में प्रवेश करने के बाद एस्कॉर्ट और सपोर्ट एयरक्राफ्ट का साथ मिला. यह ऑपरेशन जटिल और समय की पाबंदी से जुड़ा था जिसमें कई तरह के विमानों को एक संकीर्ण हवाई क्षेत्र में सटीक समय पर एक साथ पहुंचना था. इससे स्पष्ट है कि बम वर्षक विमानों ने मध्य पूर्व हवाई क्षेत्र का प्रयोग किया था न कि दक्षिण एशियाई हवाई क्षेत्र का. 

पीआईबी ने वायरल दावे का किया खंडन 

भारत सरकार के प्रेस इंफॉर्मेशन ब्यूरो की फैक्ट‑चेक यूनिट ने भी इस दावे को फेक बताया है. 





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