HomeNo Image is Available
AuthorsNo Image is Available
CareersNo Image is Available
फैक्ट चेकNo Image is Available
एक्सप्लेनर्सNo Image is Available
फास्ट चेकNo Image is Available
अंतर्राष्ट्रीयNo Image is Available
वेब स्टोरीज़No Image is Available
राजनीतिNo Image is Available
वीडियोNo Image is Available
HomeNo Image is Available
AuthorsNo Image is Available
CareersNo Image is Available
फैक्ट चेकNo Image is Available
एक्सप्लेनर्सNo Image is Available
फास्ट चेकNo Image is Available
अंतर्राष्ट्रीयNo Image is Available
वेब स्टोरीज़No Image is Available
राजनीतिNo Image is Available
वीडियोNo Image is Available
फैक्ट चेक

बंगाल में विसर्जन के लिए मूर्ति खंडित करने का वीडियो बांग्लादेश के दावे से वायरल

बूम ने अपनी जांच में पाया कि वायरल वीडियो पश्चिम बंगाल के पूर्वी बर्धमान जिले के सुल्तानपुर गांव का है. मंदिर समिति के सदस्य ने बूम को बताया कि विसर्जन के लिए मूर्ति को तोड़ा जा रहा था.

By -  Rishabh Raj |

2 Dec 2024 5:55 PM IST

सोशल मीडिया पर एक वीडियो सांप्रदायिक दावे के साथ वायरल है जिसमें कुछ लोगों को मां काली की प्रतिमा को तोड़ते हुए देखा जा सकता है. यूजर्स इस वीडियो को शेयर करते हुए दावा कर रहे हैं कि वायरल वीडियो बांग्लादेश का है जहां कट्टरपंथियों ने कालीबाड़ी मंदिर पर हमला कर देवी-देवताओं की मूर्ति के साथ तोड़-फोड़ की.

बूम ने अपनी जांच में पाया कि वायरल वीडियो के साथ किया जा रहा सांप्रदायिक दावा गलत है. वायरल वीडियो पश्चिम बंगाल के पूर्वी बर्धमान जिले के सुल्तानपुर गांव का है. सुल्तानपुर काली पूजा समिति के सदस्य देबाशीष मंडल ने बताया कि देवी काली की प्रतिमा को विसर्जित करने के लिए ऐसा किया जा रहा था.

सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर वायरल वीडियो को शेयर करते हुए दक्षिणपंथी न्यूज चैनल Sudarshan News ने लिखा, 'बांग्लादेश में कट्टरपंथियों ने कालीबाड़ी मंदिर पर किया हमला, काली माता और अन्य हिंदू देवी-देवताओं की मूर्तियों को तोड़ा.' (पोस्ट का आर्काइव लिंक)



सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म फेसबुक पर भी यह वीडियो इसी दावे के साथ वायरल है. (पोस्ट का आर्काइव लिंक)


फैक्ट चेक: वायरल वीडियो पश्चिम बंगाल का है

बूम ने वायरल दावे की पड़ताल के लिए जब इससे जुड़े बंगाली कीवर्ड को गूगल पर सर्च किया तो हमें बांग्ला न्यूज वेबसाइट दैनिक स्टेट्समैन की 21 अक्टूबर 2024 की एक रिपोर्ट मिली.

 इस रिपोर्ट में दिख रही देवी काली की मूर्ति का बैकग्राउंड वायरल वीडियो जैसा ही है.


इस रिपोर्ट के मुताबिक, 600 साल पुरानी काली पूजा पूर्वी बर्धमान के खंडाघोष ब्लॉक के सुल्तानपुर गांव में होती है.

रिपोर्ट के अनुसार, गांव के लोहार समुदाय ने पूजा की शुरुआत की, लेकिन बाद में इसकी जिम्मेदारी गांव के मंडल परिवार को सौंप दी गई. इसके लिए गांव में एक समिति बनाई गई. गांव के सभी परिवार इस पूजा में हिस्सा लेते हैं और अनुष्ठान पूरा करने में एक दूसरे की मदद करते हैं.

इसमें आगे कहा गया कि मंदिर में नियमित रूप से 12 फीट की देवी काली की मूर्ति की पूजा होती है और हर 12 साल बाद मूर्ति का विसर्जन कर दिया जाता है. इस साल परंपरा के मुताबिक, मूर्ति का विसर्जन किया जाएगा. इसके बाद फिर से पूजा के लिए नई मूर्ति बनाई जाएगी और उसका विसर्जन अगले 12 साल बाद होगा.

सुल्तानपुर में काली पूजा के बारे में बंगाली कीवर्ड सर्च करने पर हमें इससे जुड़ा एक फेसबुक पोस्ट भी मिला, जिसमें उसी घटना का एक वीडियो था. (आर्काइव लिंक)

Full View


600 साल पुरानी परंपरा

बूम ने पड़ताल के लिए सुल्तानपुर काली पूजा समिति के सदस्य देबाशीष मंडल से बात की. उन्होंने भी इस बात की पुष्टि की वीडियो परंपरा के अनुसार देवी काली की प्रतिमा के विसर्जन का है, जो 26 नवंबर 2024 को हुआ था. उन्होंने इस घटना में किसी भी प्रकार के सांप्रदायिक एंगल से इनकार किया.

उन्होंने बूम से कहा, "हमारी काली पूजा कई सौ साल पुरानी है. हर 12 साल बाद इस तरीके से मूर्ति का विसर्जन किया जाता है. चूंकि, माता काली की मूर्ति बड़ी है, इसलिए हम बाहर निकालने के लिए मूर्ति को खंडित कर देते हैं. हालांकि, मूर्ति को खंडित करने से पहले हम उनकी प्राण प्रतिष्ठा करते हैं,"

उन्होंने आगे कहा, "किंवदंती के मुताबिक, देवी ने एक सपने में दर्शन दिए और ग्रामीणों को इसी तरह मूर्ति को खंडित करने का आदेश दिया. मूर्ति को खंडित करने से पहले एक मिट्टी के बर्तन में प्राण प्रतिष्ठा की जाती है और बाद में मूर्ति को मंदिर के पास के तालाब में विसर्जित कर दिया जाता है."

मंडल ने इस घटना में किसी भी प्रकार के सांप्रदायिक पहलू को खारिज करते हुए कहा कि यह पूजा सुल्तानपुर गांव के लोग ही करते हैं और इसका मंदिर में तोड़फोड़ से कोई लेना-देना नहीं है.

Tags:

Related Stories