सोशल मीडिया पर जलते चर्च का एक वीडियो वायरल हो रहा है. वीडियो को इस दावे से शेयर किया जा रहा है कि “यह मणिपुर का 300 साल पुराना सेंट जोसेफ़ चर्च है, जिसे भाजपा समर्थक उग्रवादियों ने जला दिया”.
हालांकि, बूम ने अपनी जांच में पाया कि यह वीडियो फ़्रांस के मार्ने(प्रशासनिक विभाग) के ड्रोस्ने क्षेत्र में एक ऐतिहासिक चर्च में लगी आग का है.
बीते दो महीने से मणिपुर हाईकोर्ट के उस आदेश के बाद से राज्य में तनावपूर्ण हालात बने हुए हैं, जिसमें सरकार को गैर जनजाति मैतेई समुदाय को जनजाति में शामिल करने का आदेश दिया गया है. इस आदेश का राज्य के नगा और कूकी जनजाति विरोध कर रहे हैं. कई जगहों पर यह विरोध हिंसा में भी बदल गया. इस हिंसा में अब तक क़रीब 100 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है और हज़ारों लोग विस्थापित हुए हैं.
क़रीब 25 सेकेंड के इस वीडियो को फ़ेसबुक पर मणिपुर में भड़की हिंसा से जोड़कर शेयर किया गया है. वीडियो के साथ मौजूद कैप्शन में लिखा हुआ है, “नही थम रही हिंसा आगजनी, भाजपा समर्थक उग्रवादियो ने 300 साल से ज्यादा पुरानी St. Joseph's चर्च जलाई 74 दिनो से मणिपुर जल रहा है”.
फ़ेसबुक पर मौजूद वायरल वीडियो से जुड़े अन्य पोस्ट्स आप यहां, यहां और यहां देख सकते हैं.
फ़ैक्ट चेक
बूम ने वायरल वीडियो की पड़ताल के लिए उसके कीफ़्रेम की मदद से रिवर्स इमेज सर्च किया तो हमें euro.dayfr.com की वेबसाइट पर 7 जुलाई 2023 को प्रकाशित रिपोर्ट मिली. इसमें वायरल वीडियो से जुड़ा दृश्य फ़ीचर इमेज के रूप में मौजूद था.
न्यूज़ रिपोर्ट के अनुसार, बीते 7 जुलाई की सुबह को फ़्रांस के मार्ने (प्रशासनिक विभाग) के ड्रोस्ने क्षेत्र में आग लगने की वजह से लकड़ी से बना एक ऐतिहासिक चर्च नष्ट हो गया. यह 16वीं सदी में बना एक चर्च था. हालांकि, रिपोर्ट में आग लगने के कारणों का उल्लेख नहीं किया गया था.
इसी दौरान हमें bnn.network पर 8 जुलाई 2023 को प्रकाशित रिपोर्ट भी मिली. इस रिपोर्ट में भी जलते चर्च की तस्वीर फ़ीचर इमेज के रूप में मौजूद थी.
रिपोर्ट के अनुसार 7 जुलाई की सुबह आग लगने की वजह से ड्रोस्ने का यह ऐतिहासिक चर्च जलकर नष्ट हो गया. चर्च का आधा हिस्सा लड़की से बने होने की वजह से आग जल्दी फ़ैल गई और यह ऐतिहासिक धरोहर राख हो गई. रिपोर्ट में स्थानीय व्यक्ति मैथिस पेरार्ड का बयान भी मौजूद था, जो इस घटना के प्रत्यक्षदर्शी थे.
रिपोर्ट में यह भी बताया गया था कि घटना की सूचना मिलने पर अग्निशमन कर्मियों को भी भेजा गया था. उन्होंने चर्च में लगी आग को बुझाने का भरसक प्रयास किया, लेकिन चर्च को जलने से नहीं बचाया जा सका. इस रिपोर्ट के लिखे जाने तक आग लगने के कारणों का पता नहीं चल पाया था.
इस दौरान हमें फ़्रांस के लूव्र म्यूजियम के क्यूरेटर निकोलस मिलोवानोविक के द्वारा 8 जुलाई को किया गया एक ट्विटर थ्रेड मिला. थ्रेड में वायरल वीडियो भी मौजूद था.
थ्रेड में भी उन्होंने इसे ड्रोस्ने का नोट्रे-डेम-डी-एल'एसोम्प्शन चर्च बताया था. साथ ही उन्होंने यह भी बताया कि इस चर्च का आधा हिस्सा लकड़ी से तैयार किया गया था और इसे 1982 में ऐतिहासिक स्मारकों की सूची में शामिल किया गया था.
जांच में हमें फ़्रांस के सांस्कृतिक मंत्रालय की वेबसाइट पर भी 7 जुलाई को प्रकाशित रिपोर्ट मिली.
रिपोर्ट में चर्च में आगे लगने की घटना से जुड़ी सभी जानकारियां दी गई थी. चर्च में जिन-जिन हिस्सों में क्षति हुई थी, उनका भी उल्लेख किया गया था और यह भी बताया गया था कि आग पर काबू पाने के लिए 41 अग्निशामकों को भी भेजा गया था. रिपोर्ट के अनुसार, मंत्रालय ने चर्च में आग लगने के कारणों का पता लगाने के लिए जांच का भी आदेश दिया है.
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