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एक्सप्लेनर्स

क्या है पेगासस स्पाईवेयर, जानिए दस महत्वपूर्ण बातें

इज़राएल की साइबर सुरक्षा कंपनी NSO द्वारा तैयार किया गया Pegasus Spyware एक बार फिर चर्चे में है. जानिए क्यों

By - Devesh Mishra | 19 July 2021 12:43 PM GMT

भारत में 'पेगासस' स्पाईवेयर (Pegasus) इस समय चर्चा का केन्द्र है. कहा जा रहा है कि इस बग (bug) के ज़रिये देश के तमाम बड़े पत्रकारों, बुद्धिजीवियों और एक्टिविस्टों की स्मार्टफ़ोन के ज़रिये जासूसी की जा रही थी.

The Wire और कई अन्य अंतर्राष्ट्रीय न्यूज़ आर्गेनाइजेशन ने एक जॉइंट इन्वेस्टीगेशन के तहत ऐसे कई भारतीय नागरिकों का नाम पता लगाया है जिनके फ़ोन नंबर्स पर Pegasus Spyware के ज़रिये 'नज़र' रखी जा रही थी. हालाँकि अभी तक ये स्पष्ट तो नहीं हुआ कि इस स्पाईवेयर को भारत में किस अथॉरिटी ने ख़रीदा और प्रयोग किया लेकिन सरकार इस मामले में ज़रूर संदेह के दायरे में है. आइये आपको पेगासस स्पाईवेयर के बारे में कुछ महत्वपूर्ण बातें बताते हैं. 

  1. Pegasus एक स्पाईवेयर है जिसे Israel की सुरक्षा कंपनी NSO ने तैयार किया है. वैसे पेगासस ग्रीक मिथकों के एक देवता का नाम है
  2. NSO का कहना है कि वो इस प्रोग्राम को केवल मान्यता प्राप्त सरकारी एजेंसियों को बेचते हैं जिसका उद्देश्य आतंकवाद और अपराध के ख़िलाफ़ लड़ना है
  3. Pegasus एक ऐसा प्रोग्राम है जिसे अगर किसी स्मार्टफ़ोन फ़ोन में डाल दिया जाए, तो कोई हैकर उस स्मार्टफोन की सारी गतिविधि पर नज़र रख सकता है
  4. इस स्पाईवेयर को WhatsApp पे किये गए एक मिस्ड कॉल से भी किसी फ़ोन में इंस्टॉल किया जा सकता है
  5. प्रोग्राम के इंस्टॉल होते ही हैकर स्मार्टफ़ोन के ऑडियो,टेक्स्ट मैसेज,माइक्रोफ़ोन,ईमेल और लोकेशन तक की जानकारी आसानी से हासिल कर लेते हैं
  6. कई रिसर्च रिपोर्ट्स के मुताबिक़ पेगासस व्हाट्सएप की एनक्रिप्टेड संदेशों को भी हैक कर सकता है
  7. सऊदी अरब, मेक्सिको और बांग्लादेश की सरकारों पर इस स्पाईवेयर के ज़रिये अपने देश के मानवाधिकार कार्यकर्ताओं की जासूसी का आरोप भी लग चुका है
  8. भारत में भी ये आरोप लग रहा है कि कई पत्रकारों, मानवाधिकार कार्यकर्ताओं और केन्द्रीय मंत्रियों के फ़ोन हैक कर उनकी जासूसी की गयी है
  9. फ़ेसबुक और व्हाट्सएप जैसे मैसेजिंग प्लेटफ़ॉर्म ने इज़राइली एजेंसी पर लोगों की सुरक्षा से खिलवाड़ का आरोप भी लगाया है
  10. भारत में अभी तक ये स्पष्ट नहीं हो पाया है कि इस प्रोग्राम को किसने ख़रीदा है. भारत सरकार ने भी आधिकारिक तौर पर अभी ये नहीं बताया है 

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