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फैक्ट चेक

चाबुक से मार खाते व्यक्ति की तस्वीर भगत सिंह बताकर वायरल

बूम ने पाया कि शहीद-ए-आज़म भगत सिंह की आज तक कुल चार तस्वीरें ही मिली हैं और वायरल तस्वीर उनमें से एक नहीं है।

By - Sumit |
Published -  23 Oct 2020 1:18 PM IST
  • चाबुक से मार खाते व्यक्ति की तस्वीर भगत सिंह बताकर वायरल

    सोशल मीडिया पर एक पुलिसकर्मी द्वारा एक व्यक्ति को कोड़े लगाती ब्लैक एंड वाइट तस्वीर फ़र्ज़ी दावे के साथ वायरल हो रही है। दावा किया जा रहा है कि तस्वीर में क्रांतिकारी भगत सिंह हैं जिन्हें अंग्रेज़ पुलिस अधिकारी चाबुक से मार रहा है।

    बूम ने पाया कि वायरल तस्वीर 1919 की है और इसमें स्वतंत्रता सेनानी को नहीं दिखाया गया है। हमने भगत सिंह के जीवन पर किताबों के माध्यम से भी जाना और पाया कि क्रांतिकारी की बचपन से लेकर उनके क़ैद होने तक केवल चार तस्वीरें हैं। वायरल तस्वीर उनमें से एक नहीं है। यह तस्वीर उन चारों में से एक नहीं है।

    भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के सबसे प्रभावशाली क्रांतिकारियों में से एक, भगत सिंह का जन्म 1907 में ब्रिटिश भारत में पंजाब ( अब पाकिस्तान) के लायलपुर जिले में हुआ था। उन्हें पहली बार 29 मई 1927 में दशहरा बम कांड के सिलसिले में गिरफ़्तार किया गया था। 4 जुलाई, 1927 को जमानत दिए जाने से पहले भगत सिंह पांच हफ़्ते तक पुलिस हिरासत में थे।

    बाद में 8 अप्रैल 1929 को भगत सिंह ने अपने क्रांतिकारी साथी बटुकेश्वर दत्त के साथ दिल्ली के सेंट्रल असेंबली (जिसे अब भारतीय संसद कहा जाता है) में विज़िटर्स गैलरी से बम और पर्चे फेंके थे। महीनों तक चली सुनवाई के बाद भगत सिंह, शिवराम राजगुरु और सुखदेव थापर को 7 अक्टूबर 1930 को मौत की सज़ा सुनाई गई।

    भगत सिंह को 27 अक्टूबर को फांसी दी जानी थी लेकिन भगत सिंह ने प्रिवी काउंसिल में अपील दायर की जिसकी सुनवाई फ़रवरी 1931 में हुई। हालांकि उनकी अपील ख़ारिज कर दी गयी। आख़िरकार 23 मार्च 1931 के दिन तीन स्वतंत्रता सेनानियों - भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव को फांसी दे दी गई।

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    वायरल पोस्ट में एक व्यक्ति की तस्वीर दिखाई दे रही है जिसके हाथ एक खंभे में बंधे हुए हैं। उसका निचला आधा भाग उसके नितंबों को दिखा रहा है जबकि उसके करीब एक पुलिसकर्मी वर्दी में खड़ा है। उसी तस्वीर को दिखाने वाले एक अखबार की क्लिप तस्वीर के इनसेट में शेयर की गई है।

    तस्वीर शेयर करते हुए एक यूज़र ने लिखा, "आज़ादी के लिए कोड़े खाते भगत सिंह जी की तस्वीर उस समय के अखबार में छपी थी ताकि और कोई भगत सिंह ना बने भारत में........जिस समय भगत सिंह सहित सभी क्रांतिकारी आज़ादी के लिए लड़ रहे थे वही अम्बेडकर,गाँधी और नेहरू जैसे लोग बैरिस्टर होते हुये भी क्रांतिकारीयो के लिय कुछ नही किया। अंग्रेजों के चाटुकार बनकर सुख-सुविधा से जी रहे थे। क्रांतिकारियों ने जेल काटी, दर्द सहा यहाँ तक की फांसी चढ़ गए देश के लोगों के खातिर लेकिन लोगो को आज भी महान गाँधी, अम्बेडकर और नेहरू को बताया जाता है।"

    पोस्ट का आर्काइव वर्ज़न यहां देखें

    तस्वीर ट्विटर और फ़ेसबुक पर बड़े पैमाने पर एक ही दावे के साथ वायरल है।

    आजादी के लिए कोड़े खाते भगत सिंह जी की तस्वीर उस समय के अखबार में छपी थी ताकि और कोई भगत सिंह ना बने भारत में!!
    जिस समय भगत सिंह सहित सभी क्रांतिकारी आज़ादी के लिए लङ रहे थे वही संघी लोग अंग्रेजों के तलवे चाटकर क्रांतिकारीयो को मरवा रहे थे!!! pic.twitter.com/fyny1zoQM4

    — REHAN WALA (@hussian_rw) September 28, 2020

    आर्काइव वर्ज़न यहां देखें


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    फ़ैक्ट चेक

    बूम ने वायरल तस्वीर को रिवर्स इमेज सर्च पर खोजा तो 2019 में बायलाइन टाइम्स में प्रकाशित एक लेख पाया। इसमें कैप्शन को पढ़ने के साथ एक ही तस्वीर है, '1919 में अमृतसर नरसंहार के बाद भारतीयों को यातनाएं दी गयी थीं।'


    यहां अमृतसर नरसंहार का मतलब जलियांवाला बाग हत्याकांड है, जो 13 अप्रैल, 1919 को अमृतसर पंजाब में हुआ था। कार्यवाहक ब्रिगेडियर-जनरल रेगिनाल्ड डायर ने ब्रिटिश भारतीय सेना की टुकड़ियों को निहत्थे लोगों की भीड़ पर गोलियां चलाने का आदेश दिया था, जो बैसाखी मनाने के लिए जलियांवाला बाग में इकट्ठे हुए थे।

    फिर हमने 'इंडियंस', 'कोड़े', 'अमृतसर', '1919' और 'नरसंहार' शब्दों के साथ एक कीवर्ड खोज की और अन्य लेखों में एक समान कैप्शन के साथ उसी तस्वीर को पाया।

    17 अप्रैल 2019 को द क्लेरियन में 'रिमेंबरिंग हीरोज़ ऑफ़ जलियांवाला बाग नरसंहार' के शीर्षक के साथ प्रकाशित लेख में '1919 तत्कालीन पंजाब में कोड़ों की बरसात' कैप्शन के साथ उसी तस्वीर को दिखाया गया है।


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    सबरंग इंडिया की वेबसाइट पर प्रकाशित एक अन्य लेख में उसी कैप्शन के साथ तस्वीर है।

    कैप्शन के अनुसार यदि हम यह निष्कर्ष निकालते हैं कि चित्र 1919 का है तो भगत सिंह उस समय 12 वर्ष के थे।

    बूम ने तब जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के रिटायर्ड प्रोफ़ेसर चमन लाल द्वारा संपादित पुस्तक 'भगत सिंह रीडर' का उल्लेख किया। वह भगत सिंह अभिलेखागार और संसाधन केंद्र, दिल्ली अभिलेखागार के मानद सलाहकार हैं।

    पुस्तक भगत सिंह के सभी लेखों का एक शानदार संग्रह प्रस्तुत करती है जिसमें उनके पत्र, तार, नोटिस और साथ ही जेल नोटबुक भी शामिल हैं।

    यह पुस्तक युवा क्रांतिकारी की चार तस्वीरों को भी संग्रहित करती है और स्पष्ट रूप से उनका उल्लेख करती है कि 'भगत सिंह की अब तक की केवल चार तस्वीरें' हैं।

    तस्वीर नीचे देखें


    उपरोक्त तस्वीरें स्वतंत्रता सेनानी की चार सबसे व्यापक रूप से शेयर की गई तस्वीरें हैं।

    हालांकि बूम स्वतंत्र रूप से सत्यापित नहीं कर सका कि वायरल तस्वीर में दिख रहा व्यक्ति कौन है।

    नहीं, दिल्ली स्थित जामा मस्जिद ने तनिष्क के ख़िलाफ़ फ़तवा जारी नहीं किया है

    Tags

    Bhagat SinghBritish IndiaBhagat Singh FloggedJalianwala MassacreAmritsar 1919Fact CheckFake News
    Read Full Article
    Claim :   फोटो में दिखाया गया है कि स्वतंत्रता सेनानी भगत सिंह को ब्रिटिश पुलिस ने कोड़े से पीटा था
    Claimed By :  Social Media
    Fact Check :  False
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