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      टाइम्स ऑफ इंडिया ने दी ग़लत जानकारी, कोरोनोवायरस टेस्ट के बाद महिला भाग कर नहीं गई थी आगरा

      बूम ने दंपत्ति के परिवार से बात की। उन्होंने टाइम्स ऑफ इंडिया के दावों पर आपत्ति व्यक्त की और कहा कि महिला बैंगलोर से आगरा भाग कर नहीं आई थी।

      By - Nivedita Niranjankumar |
      Published -  16 March 2020 10:04 AM
    • टाइम्स ऑफ इंडिया ने दी ग़लत जानकारी, कोरोनोवायरस टेस्ट के बाद महिला भाग कर नहीं गई थी आगरा

      हाल ही में टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट में दावा किया गया था कि गूगल कर्मचारी की पत्नी बैंगलोर से भाग कर आगरा चली गई थी जिन्हें कोरोनावायरस से संक्रमित होने के कारण सबसे दूर रखा गया था। यह दावा ग़लत है।

      बूम ने दंपति के परिवार के सदस्यों से बात की, जिन्होंने हमें टिकट और प्रमाण दिखाए जिससे पता चलता है कि वह भाग कर नहीं आई थी। साथ ही उन्होंने बताया कि महिला कि रिपोर्ट अब तक नहीं आई है जिससे यह साबित हो सके कि वह कोरोनावायरस से संक्रमित है। महिला के पति बैंगलोर में क्वारेंटीन हैं। 12 मार्च को उनके टेस्ट से पता चला था कि वे कोरोनावायरस से संक्रमित हैं।

      14 मार्च को प्रकाशित टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट में झूठा दावा किया गया है कि एक महिला हाल ही में अपने पति के साथ इटली से हनीमून मना कर वापस आई। वह "COVID -19 संक्रमित हो गई और वह वहां से "नई दिल्ली और फिर आगरा भाग गई।" साथ ही उन्होंने उपचार कराने का विरोध भी किया।

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      14 मार्च को टाइम्स ऑफ इंडिया के सभी एडिशन में पहले पन्ने पर यह ख़बर छपी थी जिसके साथ महिला के गृहनगर आगरा में स्वास्थ्य अधिकारियों का कोट शामिल था।


      बूम ने महिला के देवर से बात की, जिसने हमें बताया कि दंपति ने इटली की यात्रा की ही नहीं है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि "टाइम्स ऑफ इंडिया में दावा किया गया है कि उनकी भाभी कोरोनावायरस से संक्रमित हैं, लेकिन उनकी भाभी का रिपोर्ट अब तक आना बाकि है। लेख पूरी तरह से ग़लत और असत्य है। इसने मेरी भाभी और हमारे परिवार को बहुत दुःख और तनाव में डाल दिया है।" बूम ने परिवार की गोपनीयता को ध्यान में रखते हुए, युगल या परिवार के किसी भी सदस्य का नाम नहीं लेने का फैसला किया है।

      फ़ैक्टचेक

      दावा - दंपत्ति इटली से लौटे थे

      फ़ैक्ट - ग़लत

      अपनी कहानी में, टाइम्स ऑफ इंडिया ने एक अनाम स्वास्थ्य अधिकारी के हवाले से कहा, 'वह महिला जो हाल ही में इटली और ग्रीस में हनीमून से लौटी है।' यह दावा ग़लत है।

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      महिला के देवर ने बूम को बताया, "वे कभी इटली नहीं गए थे, यह कभी योजना में ही नहीं था। वे ग्रीस, स्विटज़रलैंड और फ्रांस गए थे। इटली में ठहराव भी नहीं था।" बूम ने दंपत्ति के हवाई टिकटों को भी देखा जिनसे उनके भाई द्वारा बताया गया कार्यक्रम सही होने का पता चलता है।

      टिकटों से पता चलता है कि दंपत्ति ने 23 फ़रवरी को दिल्ली से एथेंस, ग्रीस की यात्रा की और फिर 6 मार्च को म्यूनिक, जर्मनी के रास्ते मुंबई लौट आए।


      दावा - 8 मार्च को बंगलौर से भाग आई

      फ़ैक्ट - यह जोड़ा 6 मार्च से 8 मार्च की सुबह तक मुंबई में था। वे 8 मार्च को रात 9.45 बजे मुंबई से बैंगलोर एयरपोर्ट पहुंचे।


      हमें आगे बताया गया कि महिला बेंगलुरु हवाई अड्डे से सीधे दिल्ली के लिए रवाना हुई थी। "वह हवाई अड्डे से कहीं बाहर नहीं गई। बैंगलोर में उतरने के कुछ घंटों के भीतर उनकी दिल्ली के लिए फ्लाइट थी और मेरे भाई और भाभी हवाई अड्डे पर एक साथ रहे, जब तक भाभी फ्लाइट में बैठ नहीं गई। उसके बाद मेरा भाई 9 मार्च को सुबह 3 बजे हवाई अड्डे से मेरे घर पहुंचा।

      बैंगलोर-दिल्ली की ली गई टिकटें इसकी पुष्टि करते हैं।


      उनके देवर ने बताया, "वह 9 मार्च को सुबह दिल्ली पहुंची और फिर सुबह 10 बजे नई दिल्ली से आगरा के लिए गतिमान एक्सप्रेस में सवार हुई। उसी दिन वह आगरा में अपने घर पहुंची।"

      दावा - 27 फ़रवरी को मुंबई हवाईअड्डे पहुंची

      फ़ैक्ट - दोनों 27 फ़रवरी को भारत में नहीं थे।

      उनके देवर ने बताया, "वे 23 फ़रवरी को अपने हनीमून के लिए रवाना हुए और 6 मार्च को मुंबई पहुंच गए। 27 फरवारी को वे भारत में कैसे हो सकते हैं? टाइम्स ऑफ इंडिया को ऐसे झूठ प्रकाशित करने से पहले कम से कम हमें तारीखों और यात्रा विवरण के बारे में पूछना चाहिए था।"

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      दावा- पति की रिपोर्ट 7 मार्च को पॉजिटिव आयी

      फ़ैक्ट - उनका टेस्ट 10 मार्च को किया गया और 12 मार्च को टेस्ट पॉजिटिव आया।

      उसके भाई ने बताया है, "मेरा भाई 9 मार्च को गूगल इंडिया के आरएमजेड ऑफिस में काम करने गया और ऑफिस द्वारा आयोजित की जा रही आंतरिक स्क्रीनिंग में कोई लक्षण नहीं दिखा। बाद में उस दिन उसे बुखार हो गया और कोरोनावायरस का टेस्ट कराने की सलाह मिलने पर हम उसे राजीव गांधी इंस्टीट्यूट ऑफ चेस्ट डिजीज में ले गए।" उन्होंने आगे बताया कि अस्पताल में उन्होंने यात्रा इतिहास की घोषणा की और टेस्ट कराया। "हमने उनसे पूछा कि अब क्या करना चाहिए और उन्होंने कहा कि हमें घर जाना चाहिए। हम इस प्रक्रिया को नहीं समझ पाए इसलिए पूछा कि अगर वह टेस्ट पॉजिटिव आता है तब हमें क्या करना चाहिए? उन्होंने कहा कि अगर टेस्ट पॉजिटि आता है तो 24 घंटे के भीतर हम आपसे संपर्क करेंगे।"

      उन्होंने हमें बताया कि, उस दिन वह अपने भाई को घर ले गए और 11 मार्च को उन्हें एक डॉक्टर का फोन आया जिसमें कहा गया कि "एक एम्बुलेंस उनके घर पहुंच रही है क्योंकि उनके भाई का टेस्ट पॉजिटिव होने का संदेह था।

      उसके बाद मरीज़ को 24 घंटे तक अलग-थलग रखा गया। डॉक्टरों ने परिवार को समझाया कि उन्हें 12 मार्च को अंतिम निर्णायक रिजल्ट मिलेंगे।' 12 मार्च को हमें नतीजे सौंपे गए, जिसमें कहा गया था कि मेरा भाई COVID-19 से संक्रमित था।"

      बूम ने टेस्ट के परिणामों को देखा और पाया कि उस रिपोर्ट में 'टेस्ट के लिए एकत्र किए गए नमूने की तारीख' 11 मार्च थी। रोगियों के लिए गोपनीयता कानूनों को देखते हुए बूम ने रिपोर्ट को कहानी में शामिल नहीं करने का फैसला किया है।

      दावा - दंपत्ति को पहले बैंगलोर में क्वारिन्टीन में रखा गया था, बाद में पत्नी भाग कर आगरा चली गई

      फ़ैक्ट - दंपत्ति कभी एक साथ बैंगलोर में नहीं रहे

      बंगलौर और आगरा में इनका अलग-अलग टेस्ट किया गया। उन्होंने हमें बताया, "जब मेरे भाई का 12 मार्च को बैंगलोर में टेस्ट पॉजिटिव आया तो हमने तुरंत अपनी भाभी और उसके परिवार को सूचित किया। वे तब एसएनएल अस्पताल गए जहां उन्होंने खुद का टेस्ट कराया।" उन्होंने आगे कहा कि उनकी भाभी की यात्रा इतिहास सुनने के बाद उन्हें अलग-थलग रहने के लिए कहा गया था, लेकिन अस्पताल की अस्वस्थ परिस्थितियों ने उन्हें चिंतित कर दिया। उन्होंने स्वास्थ्य अधिकारियों के साथ इस मुद्दे को उठाया और उन्होंने उन्हें घर जाने दिया। उन्होंने कहा, "उसने अस्पताल से उचित अनुमति ली। उनसे घर पर खुद को अलग रहने की बात कही गई जिससे वह सहमत हो गई और अस्पताल से वापस आ गई।"

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      इस दंपत्ति का कभी एक साथ टेस्ट नहीं किया गया और महिला कभी भी बैंगलोर में एक साथ नहीं रहीं।

      हमने आगरा के मुख्य चिकित्सा अधिकारी मुकेश वत्स के साथ इस बात पुष्टि की, जिन्होंने कहा कि महिला का 12 मार्च को टेस्ट किया गया और उसके परिणाम का इंतजार है। वत्स ने कहा, "परिवार ने अस्पताल की स्थितियों के बारे में चिंता जताई, लेकिन उनके यात्रा इतिहास को देखते हुए हम उनके घर पहुंचे और उनसे अलग रहने के लिए कहा।" उन्होंने बताया कि पहले तो परिवार ने साथ नहीं दिया और महिला को अस्पताल के आइसोलेशन वार्ड में भेजने के लिए अनिच्छुक थे। "हमने उनके घर का दौरा किया और उन्होंने कहा कि वह घर पर नहीं थी। लेकिन बाद में वह हमें घर पर ही मिली इसलिए हमने उनसे बात की और उनसे अस्पताल में अलग-थलग रहने देने का अनुरोध किया।"

      वत्स ने कहा कि महिला के परिवार के सदस्यों ने भी टेस्ट किए लेकिन सबसे टेस्ट निगेटिव आए। उन्होंने कहा, "महिला के टेस्ट रिजल्ट का इंतजार किया जा रहा है। अंतिम टेस्ट के रिजल्ट प्राप्त होने तक हम इसके बारे में कोई टिप्पणी नहीं कर सकते।"

      टाइम्स ऑफ इंडिया ने स्पष्टीकरण जारी किया

      टाइम्स ऑफ इंडिया की भ्रामक कहानी प्रकाशित होने के एक दिन बाद, समाचार आउटलेट ने पिछली कहानी की हेडलाइन को ऑनलाइन संस्करण में बदल दिया है। इसके साथ एक अपडेट भी जोड़ा गया है, जिसमें लिखा गया है - "अपडेट: गूगल ने कहा है कि पति का टेस्ट 12 मार्च को किया गया था ना कि 7 मार्च को जैसे कि कहानी मेें दावा किया गया है। हालांकि, कहानी में अभी भी भ्रामक दावों का उल्लेख किया गया है कि दंपति 'इटली में अपने हनीमून से लौटे हैं' और वह '8 मार्च को बेंगलुरु से भाग गई'।

      बूम ने पेपर के आगरा ब्यूरो में एक वरिष्ठ संपादक से संपर्क किया जिन्होंने हमें उनकी फॉलो-अप कहानी पढ़ने के लिए कहा लेकिन रिकॉर्ड पर आने से इंकार कर दिया।

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