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फैक्ट चेक

कृषि बिल्स 2020: पुराने प्रदर्शनों की तस्वीरें फ़र्ज़ी दावों के साथ वायरल

बूम ने सभी वायरल वीडियोज़ और तस्वीरों की जांच की और पाया कि ये अलग अलग घटनाओ को दिखाती हैं |

By - Saket Tiwari |
Published -  28 Sept 2020 6:54 PM IST
  • कृषि बिल्स 2020: पुराने प्रदर्शनों की तस्वीरें फ़र्ज़ी दावों के साथ वायरल

    देश के कई हिस्सों में किसान संसद में पारित कृषि बिल्स के ख़िलाफ़ आंदोलन कर रहे हैं | इन्हीं विरोध प्रदर्शनों के दौरान पुराने वीडियो क्लिप्स और तस्वीरें इन फ़र्ज़ी दावों के साथ वायरल हैं कि यह हाल में हो रहे आन्दोलनों से हैं |

    बूम ने ऐसे ही कुछ वीडियो क्लिप्स और तस्वीरों कि पड़ताल की और पाया कि यह 5 जून 2020 को पारित अध्यादेश से लेकर भारतीय संसद में पारित बिल्स तक हुए प्रदर्शनों से सम्बंधित नहीं है |

    कृषि सुधार विधेयकों पर चर्चा क्यों हो रही है?

    कांग्रेस, भारतीय किसान संघ और भारतीय किसान यूनियन का मानना है कि हाल में संसद में पारित हुए यह बिल्स किसान विरोधी हैं और इनसे किसानों का भविष्य बड़े कॉर्पोरेट खिलाड़ियों के हाथ में चला जाएगा | इसके चलते किसानों और किसान संघों ने भारत बंद की घोषणा की है | पिछले तीन महीनों से कई आंदोलन और प्रदर्शन किये गए हैं |

    वायरल वीडियो क्लिप्स

    दो क्लिप्स वायरल हो रहे हैं | पहली क्लिप के साथ दावा किया गया है कि यह दिल्ली के बारहखंभा रोड पर किसानों का प्रदर्शन है जो हाल में ही हुआ है और दूसरे वीडियो - जिसके साथ कई तस्वीरें भी हैं - के साथ दावा है कि यह पानीपत पंजाब में किसानों का जत्था है |

    वीडियो के साथ कैप्शन में लिखा है 'कल दिल्ली के बाराखम्बा रोड पर किसान जुलुस निकालते हुए | 25 डी-डे है | और इन्हें तब तक नहीं रुकना चाहिए जब तक यह तड़ीपार और फेकू को रोड पर न घसीटें और दूसरा फ्रीडम स्ट्रगल न शुरू कर दें |"

    (English: Farmers marching in #delhi #barakhamba road yesterday. 25th is D DAY. And they should not stop until they drag tadipaar and feku in the streets and start the second freedom struggle (Sic)


    दूसरा वीडियो, जिसके साथ कई तस्वीरें हैं, इस कैप्शन के साथ वायरल है: पानीपत में उमड़ा किसानों का ये सैलाब बता रहा है, भाजपा के अंतिम विसर्जन का समय आ चुका है..कुछ ही समय मे हम दिल्ली की ओर कूच करेंगे, जितना जोर है सरकार लगा ले, हम रुकेंगे नही..|


    नहीं, कृषि बिल्स पारित होते ही अडानी का यह साइलो नहीं बनाया गया है

    फ़ैक्ट चेक

    बूम ने ऊपर दिए गए वीडियोज़ और तस्वीरों को एक-एक कर जांचा |

    पहला वीडियो

    बूम ने इस वीडियो को गौर से देखा और हमें ऊपरी दायीं ओर एशिया न्यूज़ इंटरनेशनल का लोगो दिखा | इसके बाद हमें इसकी एक कीफ़्रेम के साथ रिवर्स इमेज सर्च किया |

    एशिया न्यूज़ इंटरनेशनल के आधिकारिक ट्विटर हैंडल पर हमें यही वीडियो मिला जो है तो बारहखंभा रोड से ही है परन्तु 30 नवंबर 2018 को पोस्ट किया गया है | यह दो साल पुराना है | यह प्रदर्शन कर्ज़ा माफ़ी और मिनिमम सपोर्ट प्राइस के लिए थी ना ही किसी बिल के ख़िलाफ |

    Delhi: Farmers from all across the nation hold protest for the second day over their demands of debt relief, better MSP for crops, among others; latest #visuals from near Barakhamba Road. pic.twitter.com/Po5aGAhuSk

    — ANI (@ANI) November 30, 2018


    दूसरा वीडियो

    कुछ तस्वीरों के साथ वायरल हो रहा एक वीडियो दरअसल 'किसान लॉन्ग मार्च' का है जो नाशिक से मुंबई के रास्ते पर 21 फ़रवरी 2019 को रिकॉर्ड किया गया था |

    हमने रिवर्स इमेज सर्च में पाया कि यही वीडियो कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ़ इंडिया के आधिकारिक ट्विटर हैंडल पर 21 फ़रवरी 2019 को पोस्ट किया गया था | इसपर हमें ज़ी न्यूज़ की एक रिपोर्ट मिली | यहाँ पढ़ें |

    #KisanLongMarch is on its way leaving Nashik towards Mumbai despite refusal of permission by police. #KisanMarchesAgain #BJPBetraysKisans pic.twitter.com/cFUH6lLh9V

    — CPI (M) (@cpimspeak) February 21, 2019


    तस्वीरें

    इसके बाद हमनें तस्वीरों को एक-एक कर जांचा |

    पहली तस्वीर


    पड़ताल करने पर यह तस्वीर 13 मार्च 2018 को योरस्टोरी नामक वेबसाइट पर प्रकाशित हुई मिली | इस तस्वीर के नीचे योरस्टोरी वेबसाइट ने क्रेडिट सुजेश के को दिया है | कस्टम डेट डालकर गूगल कीवर्ड्स सर्च करने पर हमें स्क्रॉल और इंडियन एक्सप्रेस के लेख मिले जिनमें दूसरे कोण से यही तस्वीर प्रकाशित है |

    इंडियन एक्सप्रेस में प्रकाशित इस तस्वीर के कैप्शन में लिखा है कि यह मुलुंड से सायन के बीच की है |

    बूम ने स्क्रॉल में प्रकाशित तस्वीर का एक्सिफ़ डाटा देखा और पाया कि यह तस्वीर 11 मार्च 2018 को ली गयी थी | इसके अलावा हमें स्क्रॉल में प्रकाशित तस्वीर और योरस्टोरी की तस्वीर में कई समानताएं मिली | कुछ समानताएं है: सीढ़ियों के पास खड़ा काले शर्ट वाला व्यक्ति, साइन बोर्ड, पीछे दिख रही बिल्डिंग्स |



    दूसरी तस्वीर


    रिवर्स इमेज सर्च करने पर हमें 5 सितम्बर 2017 की एक फ़ेसबुक पोस्ट मिली जिसमें यही तस्वीर थी | रिवर्स इमेज सर्च करने पर हमें 5 सितम्बर 2017 की एक फ़ेसबुक पोस्ट मिली जिसमें यही तस्वीर थी | रिवर्स इमेज के परिणामों को खंगालने पर हमें द वायर की एक रिपोर्ट मिली | इस रिपोर्ट में यही तस्वीर इस्तेमाल की गयी थी और तस्वीर का क्रेडिट विकीमीडिया कॉमन्स को दिया गया था |

    विकीमीडिया कॉमन्स के अनुसार यह तस्वीर 3 सितम्बर 2017 को सीकर, राजस्थान, में ली गयी थी |


    पांच तस्वीरों का कोलाज

    पांच तस्वीर के इस कोलाज की एक-एक तस्वीर को छांट कर हमनें जांचा |

    कोलाज की पहली तस्वीर 2018 की महाराष्ट्र में हुए किसान मार्च की तस्वीर है, साक्षी नामक वेबसाइट पर प्रकाशित विवरण के मुताबिक़ | हमें बीबीसी हिंदी द्वारा 29 नवंबर 2018 को प्रकाशित एक लेख मिला जिसमें इसी तस्वीर का इस्तेमाल हुआ था |


    कोलाज में दूसरी तस्वीर हमें ब्रिटिश न्यूज़पेपर गार्डियन की वेबसाइट पर मिली | 12 मार्च 2013 को प्रकाशित इस रिपोर्ट में भारत में पानी की कमी को बताया गया था |


    तीसरी तस्वीर को रिवर्स इमेज सर्च करने पर लोकमत की रिपोर्ट मिली | यही तस्वीर 18 नवंबर 2019 को प्रकाशित इस लेख में इस्तेमाल हुई थी | कोलाज की चौथी तस्वीर हमें स्टॉक वेबसाइट गेट्टी इमेजेज़ पर मिली | तस्वीर के कैप्शन के मुताबिक़ इसे हैदराबाद के गंडीपेट में 7 जून 2010 को फ़ोटोग्राफर नोआ सीलम ने ए.ऍफ़.पी के लिए खिंचा था | पांचवी तस्वीर किसी वृद्ध की बंद मुट्ठी है |



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    Claim :   कृषि बिल्स के ख़िलाफ़ किसानो ने निकाली रैलियां
    Claimed By :  Social media
    Fact Check :  False
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