जी नहीं, ये मक्का-मदीना में देखा गया शिवलिंग नहीं है
बूम ने पाया की यह काबा का एक कोना है जिसे रुक्न-ए-यमनी कहते हैं, इसका स्पर्श पवित्र माना जाता है
एक तस्वीर महीनों से सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है जिसके साथ एक फ़र्ज़ी दावा किया जा रहा है | तस्वीर में मुस्लिमों से घिरा एक पत्थर देखा जा सकता है | इसके साथ दावा है की यह एक शिवलिंग है जो मक्का मदीना में पहली बार लोगों को दिखाया गया | बूम ने पता लगाया कि ये दावा फ़र्ज़ी है और तस्वीर में दिख रहा पत्थर दरअसल काबा का एक कोना है जिसे रुक्न-ए-यमनी कहते हैं | इसे इस्लाम में पवित्र माना जाता है |
यह तस्वीर पिछले कई महीनों से वायरल हो रही है और दावा हर वक़्त एक जैसा किया गया है | तस्वीर के साथ या तो कैप्शन लिखा होता है या किसी पोस्ट का स्क्रीनशॉट वायरल होता है | कैप्शन में लिखा है: "इतिहास में पहली बार मक्का मदीना का शिवलिंग दिखया गया |कोई भी चुके नहीं हर हर महादेव लिखने से |"
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नीचे पोस्ट देखें और इसका अर्काइव्ड वर्शन यहाँ देखें |
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फ़ैक्टचेक
बूम ने इस तस्वीर को रिवर्स इमेज सर्च किया और पाया कि ये दरअसल रुक्न-ए-यमनी के नाम से जाना जाता है |
रुक्न-ए-यमनी या यमन का कोना असल में काबा कि दीवार का वो कोना है जो उसके दक्षिण-पश्चिमी छोर पर स्थित है | काबा कि परिक्रमा करते वक़्त इसका स्पर्श करना पवित्र मन जाता है |
इसके बाद हमनें रुक्न-ए-यमनी कीवर्ड्स के साथ खोज की और पाया की कई यूट्यूब चैनल हैं जहाँ वीडियोज़ में इसी जगह को दर्शाया गया है| यह वीडियोज़ पिछले कई सालों के दौरान अपलोड किये गए हैं | कहीं भी इसके शिवलिंग होने जैसी बात नहीं लिखी है |
आगे खोज करने पर हमें सी.आई.सी सऊदी अरब नामक एक वेरीफ़ाइड ट्विटर हैंडल मिला | यह सेंटर ऑफ़ इंटरनेशनल कम्युनिकेशन का हैंडल है जो सऊदी अरब के अंतराष्ट्रीय संबंधों में मुख्य भूमिका निभाता है | इस हैंडल पर हमें एक मैप मिला जिसमें इस कोने की अहमियत बताई गयी है | वायरल तस्वीर में दिख रहा पत्थर शिवलिंग नहीं है बल्क़ि इसे येमेनी कोना कहा जाता है | इस कोने के अलावा तीन और कोनों की अहमियत के बारे में भी इस मैप में बताया गया है|
अगर द गार्डियन की इस रिपोर्ट की माने तो इस साल की हज यात्रा भी कोरोना वायरस महामारी की वजह से स्थगित कर दी जाएगी |