क्या इंदिरा गांधी ने सीताराम येचुरी को माफ़ीनामे के लिए किया था मजबूर?
मोहनदास पाई ने संदर्भ से बाहर की एक तस्वीर शेयर की है, जिसमें यह भ्रामक दावा किया गया है।
इंफोसिस के पूर्व निदेशक और निजी इक्विटी निवेशक मोहनदास पाई ने साल 1977 से कम्युनिस्ट पार्टी के नेता सीताराम येचुरी की एक तस्वीर पोस्ट की है। तस्वीर में उन्हें जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के छात्रों की ओर से पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के समक्ष एक ज्ञापन पढ़ रहे हैं और उनसे विश्वविद्यालय के चांसलर के पद से इस्तीफ़े की मांग कर रहे हैं।
पाई द्वारा शेयर किए गए इमेज के साथ टेक्स्ट दिया गया है, जिसमें झूठा दावा किया गया है कि1975 में गांधी द्वारा जेएनयू छात्र संघ अध्यक्ष पद से इस्तीफ़ा देने के लिए मजबूर होने के बाद येचुरी माफ़ीनामा पढ़ रहे थे।
यह भी पढ़ें: पीएम मोदी का दावा, 2014 से एनआरसी पर सरकार द्वारा कोई चर्चा नहीं की गई
पाई ने तस्वीर ट्वीट की और कैप्शन में पूछा है कि क्या यह सच है। उन्होंने अपने पोस्ट में येचुरी को भी टैग किया था।
Folks is this true @SitaramYechury ? pic.twitter.com/kS5fqAeYi2
— Mohandas Pai (@TVMohandasPai) January 10, 2020
तस्वीर में लोगों की भीड़ को गांधी के सामने खड़े हुए दिखाया गया है, जबकि येचुरी उसके बगल में खड़े हैं, जो अपने हाथ में एक कागज़ के टुकड़े को पढ़ते हुए दिखाई देते है। वर्दी में पुलिस की चारो ओर से घेराबंदी है। इमेज के साथ टेक्स्ट में लिखा है -
"1975, इमरजेंसी इंदिरा गांधी ने दिल्ली पुलिस के साथ जेएनयू में प्रवेश किया और सीपीआई नेता, सीताराम येचुरी को हराया जो उस समय जेएनयू छात्र संघ के अध्यक्ष थे, और उन्हें इस्तीफ़ा देने और आपातकाल का विरोध करने के लिए माफ़ी पत्र पढ़ने के लिए मजबूर किया। इसे कम्युनिस्टों के साथ किए जाने वाले व्यवहार को आयरन हैंड कहा जाता है। अमित शाह उनके सामने संत दिखते हैं ।"
केवल यह जानने के लिए कि क्या यह तस्वीर ट्वीटर और फ़ेसबुक प्लेटफ़र्म पर पोस्ट किया गया है, बूम ने कैप्शन से कुछ कीवर्ड लिए और ट्विटर और फ़ेसबुक पर त्वरित खोज की।
पिछले रविवार को नकाबपोश भीड़ द्वारा जेएनयू छात्रों पर किए गए हमले के बैकग्राउंड में इस तस्वीर को वायरल कैप्शन के साथ शेयर किया जा रहा है।
यह भी पढ़ें: क्या बीजेपी विधायक ने की राजनाथ सिंह से सी.ए.ए-एन.आर.सी वापसी की मांग?
फ़ैक्ट चेक
बूम ने टेक्स्ट को वायरल तस्वीर से क्रॉप किया और एक रिवर्स इमेज सर्च किया, जिससे हम कई लिंक तक पहुंचे जो फ़ोटो के पीछे के संदर्भ पर प्रकाश डालते हैं। उनमें से यह एक ट्वीट था, जिसमें एक अलग कहानी बताई गई थी।
यूज़र कोराह अब्राहम (@thekorahabraham) के अनुसार, तस्वीर "सीताराम येचुरी को जेएनयू में एक छात्र नेता के रूप में दिखाती है, जो छात्रों द्वारा 5 सितंबर, 1977 को इंदिरा गांधी को दिए गए ज्ञापन को पढ़ते हुए, उनसे विश्वविद्यालय के चांसलर के पद से इस्तीफ़े की मांग करते हैं ।" अब्राहम यह भी कहते हैं कि इस विरोध के बाद गांधी ने इस्तीफ़ा दे दिया।
Pic 1: Sitaram Yechury as a student leader in JNU reading the memorandum presented by students on September 5, 1977 to Indira Gandhi, demanding her resignation as chancellor of the university. She resigned after this.
— Korah Abraham (@thekorahabraham) December 19, 2019
Pic 2: Being arrested in #CAAProtest today. pic.twitter.com/wUe9o3skDC
कैप्शन से संकेत लेते हुए, हमने प्रासंगिक कीवर्ड के साथ दोबारा खोज की और हिंदुस्तान टाइम्स और इंडिया रेसिस्ट्स के लेखों तक पहुंचे जिसमें अब्राहम के दावे की पुष्टि होती है।
42 साल पहले विश्वविद्यालय में क्या हुआ था, यह जानने के लिए बूम ने येचुरी से संपर्क किया। येचुरी ने भी उसी बात की पुष्टि जो एचटी और इंडिया रेसिस्टेंस के लेखों में बताया गया है।
उन्होंने बताया कि, "यह तस्वीर 1975 में नहीं ली गई थी, यह 1977 सितंबर की है। छात्रों ने मांग की कि वे विश्वविद्यालय के चांसलर के पद से इस्तीफ़ा दे, जो उन्होंने दिया था ।" येचुरी ने बूम को इंडिया रेसिस्ट आर्टिकल का लिंक भी भेजा, जो जेएनयू से हिंदी अनुवाद में सेवानिवृत्त प्रोफेसर, चमन लाल द्वारा प्रस्तुत दावों की पुष्टि करता है।
क्या इंदिरा गांधी ने येचुरी के प्रति आक्रामकता दिखाई, जैसा कि वायरल तस्वीर में बताया गया है?
उस दिन से येचुरी की यादें अलग तरह से दावा करती थीं। "वह सभ्य थी, ठीक थी। और फिर वह बस चली गई ।"