'आप' के नेता और दिल्ली पुलिस के बीच बहस का वीडियो राहुल गाँधी के नाम पर वायरल
बूम ने पाया कि वीडियो में दिख रहा शख़्स आप पार्टी के लीडर अजय दत्त हैं जिसके साथ दिल्ली पुलिस ने धक्का मुक्की की थी |
करीब 36 सेकंड का एक वीडियो जिसमें दिल्ली पुलिस के कुछ अधिकारी आम आदमी पार्टी के लीडर अजय दत्त से धक्का मुक्की कर रहे हैं, फ़र्ज़ी दावों के साथ वायरल है कि वह राहुल गाँधी हैं ।
बूम ने पाया कि वीडियो में आप के नेता अजय दत्त है और इस बात की पुष्टि उन्होंने खुद बूम से की है । "इस वीडियो में मैं ही हूँ, मैं हाथरस पीड़िता के परिवार की मदद के लिए सफदरजंग अस्पताल गया था जहाँ पुलिस ने मेरे साथ बदतमीज़ी की," उन्होंने कहा ।
यह वीडियो उस वक़्त वायरल हो रहा है जब कांग्रेस नेता राहुल गाँधी और प्रियंका गाँधी को पुलिस कर्मियों द्वारा हाथरस जाने से रोका गया था । उन्हें गिरफ्तार भी किया गया था । हालांकि बाद में दोनों हाथरस में 19 वर्षीय बलात्कार पीड़िता के परिवार से मिले ।
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यह वीडियो सोशल मीडिया पर मलयालम में एक कैप्शन के साथ वायरल हो रहा है । मलयालम में कैप्शन का अनुवाद कुछ यूँ है: "यह भविष्य के प्रधानमंत्री हैं । इनके पिता प्रधानमंत्री थे, पिता की माँ प्रधानमंत्री थीं । जब इनकी यह हालत है तो आम आदमी का क्या होगा ।"
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फ़ैक्ट चेक
हमनें पाया कि वीडियो में राहुल गाँधी नहीं बल्कि आम आदमी पार्टी यानी आप के नेता अजय दत्त हैं ।
यही वीडियो आप के आधिकारिक ट्विटर हैंडल से पोस्ट किया गया था जहाँ उल्लेख था कि कैसे हाथरस बलात्कार पीड़िता के परिवार की मदद करने पहुंचे आप नेता अजय दत्त के साथ पुलिस ने बदसलूकी की ।
वीडियो को करीब से देखने पर हमें "एसीपी साहब तानाशाही नहीं चलेगी" सुनाई दिया । इसके अलावा वीडियो के अंत में "दिल्ली पुलिस मुर्दाबाद" भी सुनने में आता है ।
बूम ने इसके बाद अजय दत्त से संपर्क किया और उनके साथ वीडियो शेयर किया । उन्होंने यह पुष्टि की है कि वीडियो में वे ही हैं ।
"मैंने सुना कि पुलिस हाथरस बलात्कार पीड़िता के परिवार से बदतमीज़ी कर रही है तो मैं सफदरजंग अस्पताल पहुँचा ताकि मदद कर सकूं । मैंने पुलिस से कहा कि पीड़िता का शव परिवार को दें जिसके बाद पुलिस मेरे साथ भी बदतमीज़ी करने लगी और मुझे खिंचकर अंदर ले गए जैसा आप वीडियो में देख सकते हैं," उन्होंने कहा ।
इस घटना को कई न्यूज़ संस्थानों ने रिपोर्ट किया था । हिंदुस्तान टाइम्स ने दिल्ली पुलिस प्रवक्ता का बयान प्रकाशित किया जिन्होंने बदतमीज़ी या धक्का मुक्की का आरोप नकारा है ।
"यह हो सकता है कि कुछ लोग पुलिस के द्वारा जारी सलाह नहीं मान रहे हों और बहस कर रहे हों । कोई ताक़त का इस्तेमाल नहीं हुआ है और धक्का नहीं दिया गया है । पब्लिक एड्रेस सिस्टम पर घोषणा की गई थी ताकि सोशल डिस्टनसिंग का पालन हो । मौके पर मौजूद किसी अन्य समूह ने ऐसे धक्का मुक्की या मारपीट की शिकायत नहीं की है," प्रवक्ता के बयान के अनुसार ।
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