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फैक्ट चेक

आज तक, टाइम्स नाउ ने 1962 वॉर मेमोरियल के वीडियो को 'गलवान का सबूत' बताकर प्रसारित किया

बूम ने पाया कि वीडियो कांग्सीवा कब्रगाह से है जिसे 1962 इंडो-चाइना युद्ध मे मारे गए सैनिको के लिए बनाया गया था

null -  Anmol Alphonso & | null -  Nivedita Niranjankumar
Published -  7 Sept 2020 8:09 PM IST
  • आज तक, टाइम्स नाउ ने 1962 वॉर मेमोरियल के वीडियो को गलवान का सबूत बताकर प्रसारित किया

    टाइम्स नाउ और आज तक ने 1962 के भारत-चीन युद्ध में मारे गए चीनी सैनिकों के कब्रिस्तान को भ्रामक दावे के साथ प्रसारित किया है। चैनलों ने दावा किया कि यह कब्रिस्तान में जून 2020 में गलवान घाटी में भारतीय सैनिकों के साथ संघर्ष में मारे गए चीनी सैनिकों की है।

    बूम ने पाया कि समाचार चैनलों द्वारा प्रसारित वीडियो 1962 के भारत-चीन युद्ध में पीपुल्स लिबरेशन आर्मी के शहीदों के साथ जान गंवाने वाले सैनिकों के लिए बनाए गए कांगक्सिवा कब्रिस्तान का है। शिनजियांग प्रांत के कांगक्सिवा युद्ध स्मारक का उपयोग लंबे समय से अक्साई चिन क्षेत्र में मारे गए चीनी सेना के सैनिकों के लिए भी किया जाता है।

    टाइम्स नाउ और आज तक ने वीडियो प्रसारित करते हुए दावा किया कि वीडियो में दिख रही क़ब्रें गलवान झड़प में मारे गए चीनी सैनिकों की हैं, बिना यह जांच किये कि यह कब्रिस्तान पुराना है और यहां 1962 के युद्ध के शहीदों और अन्य सैनिकों की कब्रें हैं।

    आजतक स्टोरी

    31 अगस्त को ऐंकर रोहित सरदाना ने आज तक पर अपने शो में दावा किया कि "आज तक एक्सक्लूसिव तस्वीरें। "ए प्रूफ़ ऑफ़ गैलवन"। गलवान में जो झड़प हुई थी उसमें जो चीनी सैनिक मारे गए थे, जिसके लिए देश में भी बहुत सारे लोग खड़े हो गए थे कि सबूत कहां है उसका? उसका सबूत ये सामने टेलीविज़न स्क्रीन पर है। भारत से झड़प में चीन के 40 से ज़्यादा जवान मारे गए थे और उनकी कब्रों पर आप देख सकते है उनको श्रद्धांजली दी जा रही है।"

    सरदाना ने वीडियो ट्वीट करते हुए लिखा कि "गलवान में मारे गए चीनी सैनिकों की क़ब्रों की तस्वीरें हैं. जिसको गिनना हो गिन ले. और दोबारा सुबूत माँग कर भारतीय सेना के शौर्य पर सवाल न उठाए।"

    गलवान में मारे गए चीनी सैनिकों की क़ब्रों की तस्वीरें हैं. जिसको गिनना हो गिन ले. और दोबारा सुबूत माँग कर भारतीय सेना के शौर्य पर सवाल न उठाए. pic.twitter.com/DkcKUVnIP7

    — रोहित सरदाना (@sardanarohit) August 31, 2020

    आर्काइव देखने के लिए यहां क्लिक करें।

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    टाइम्स नाउ

    टाइम्स नाउ ने उसी तस्वीर को प्रसारित किया और दावा किया कि भारत के पास पहले से ही 35 चीनी सैनिकों के मारे जाने का सबूत था लेकिन अब ये तस्वीरें 35 से ज्यादा चीनी जवानों के मरने का सबूत दे रही हैं।

    टाइम्स नाउ चैनल की वेब स्टोरी ने एक भ्रामक दावा किया कि कब्र की तस्वीरें "चीनी सैनिकों के हताहत होने का प्रमाण" हैं।

    #Breaking | 47 days later after the Galwan Valley clash, proof of PLA casualties is finally out. Pictures of graves of Chinese soldiers killed in the clash are going viral on social media. These pictures prove that our braves took down more than 35 Chinese soldiers. pic.twitter.com/rBRbrLdpEX

    — TIMES NOW (@TimesNow) August 31, 2020

    आर्काइव देखने के लिए यहां क्लिक करें

    फ़ैक्ट चेक

    बूम ने पाया कि आजतक ने जो वीडियो प्रसारित किया, टाइम्स नाउ ने जिस तस्वीर का इस्तेमाल किया और कब्रिस्तान की जो तस्वीर वायरल हो रही है, वो शिनजियांग प्रांत में कांगक्सिवा युद्ध स्मारक की वेबसाइट से ली गयी है।

    हमने पाया कि पीएलए के आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार 2019 में यहां 107 कब्रें थीं। हमने आगे पाया कि 2019 में मारे गए एक सैनिक को उसी स्थल पर दफनाया गया, इस तरह आधिकारिक आंकड़ा 108 पहुंचता है।

    हमने आजतक में प्रसारित वीडियो का विश्लेषण किया और ट्विटर पर हमें यही वीडियो चीनी मीडिया आउटलेट सीसीटीवी के लोगो के साथ मिला। इसी हिंट के सहारे हमने मंदारिन कीवर्ड के साथ खोज की तो यही वीडियो एक चीनी वीडियो शेयरिंग साईट 'बिलिबिली' पर मिला।

    बिलिबिली पर वीडियो 24 अगस्त, 2020 को अपलोड किया गया था, जिसमें कैप्शन था कि "भाईयों को अलविदा कहो; सीमा के दिग्गज रिटायर होने से पहले शहीद और साथियों की कब्र पर सफाई करते हुए"। " 2:02 सेकंड लंबा यह वीडियो चीनी समाचार आउटलेट्स के एक शो का हिस्सा है - सीसीटीवी जिसे डिफेंस स्टोरीज कहा जाता है। सीसीटीवी चैनल नियमित रूप से चीन के सुरक्षा बलों के सदस्यों के दैनिक जीवन को दिखाता है।

    हमने तब चीनी सोशल मीडिया साइट वीबो पर वीडियो की तलाश की और 24 अगस्त, 2020 को सीसीटीवी मिलिट्री चैनल के आधिकारिक हैंडल से पोस्ट की गयी एक वीडियो मिली। पोस्ट के कैप्शन में बताया गया है कि कैसे पीएलए के बॉर्डर रेजिमेंट ने सालों से परंपरा का पालन किया है जिसमें रिटायर होने होने से कांगक्सिवा स्मारक जाकर शहीदों को श्रद्धांजलि देते हैं।


    वीडियो में लिखे चीनी शब्दों को समझने के लिए हमने गूगल ट्रांसलेट की मदद ली, हमने पाया कि वीडियो के टेक्स्ट में बताया गया कि रिटायर होने से पहले चीनी सैनिक कांगक्सिवा स्मारक जाकर शहीद सैनिकों को श्रद्धांजलि अर्पित कर रहे हैं।

    उनमें से कुछ पंक्तियां है कि "लंबे समय से झिंजियांग सैन्य क्षेत्र की सीमा रेजिमेंट की परंपरा रही है कि रिटायर होने से पहले सैनिकों को कांगक्सिवा शहीद कब्रिस्तान रोड पर जाना पड़ता है।

    वीडियो का टेक्स्ट आगे कहता है कि स्मारक में कुल 108 सैनिकों की कब्र हैं। इसमें एक सैनिक कहता है "सीवा शहीद कब्रिस्तान जीवित सैनिकों के लिए सर्वोच्च क़ब्रिस्तान है। 108 सैनिक जो देश के लिए शहीद हो गए उन्हें यहीं दफ़नाया गया है। बर्फ़ीले पहाड़ों को देखते हुए हथियार उठाये सैनिक अपने साथियों को याद कर रहे हैं।

    प्रलयकारी बाढ़ का ये वीडियो कहाँ से है?

    वीबो वीडियो देखने के लिए यहां क्लिक करें

    सीसीटीवी चैनल और आज तक में प्रसारित वीडियो की तुलना करने पर दोनों वीडियो एक जैसे हैं। हमने सीसीटीवी वीडियो के साथ टाइम्स नाउ वीडियो की भी तुलना की और पाया कि टाइम्स नाउ ने वीडियो के फ्रेम को लेकर फ़र्जी दावा करते हुए उसे गलवान में मारे गए सैनिकों की कब्र बताया।

    टाइम्स नाउ ने सीसीटीवी चैनल के लोगो और चीनी भाषा की लाइनों को वीडियो में धुंधला कर दिया, जिसमें बताया गया है कि सैनिक कांगक्सिवा स्मारक का दौरा कर रहे हैं।




    कांगक्सिवा युद्ध स्मारक क्या है?

    कांगक्सिवा युद्ध स्मारक के बारे में खोजने पर चीनी सर्च इंजन बाएडू पर एक पेज खुलता है, जिसमें कई आर्टिकल्स हैं। पेज के अनुसार कांगक्सिवा युद्ध स्मारक को शिनजियांग प्रांत उन सैनिकों को श्रद्धांजलि के रूप में बनाया गया था, जिन्होंने चीन-भारत युद्ध में अपनी जान गंवाई थी।

    बूम से बात करते हुए एक रिपोर्टर ने यही बातें बताई। उसने बताया कि "कांगक्सिवा युद्ध स्मारक काफ़ी ऊंचाई पर बना हुआ है, जहां पहुंचना आसान नहीं है। यह स्मारक महज़ क़ब्रिस्तान नहीं है बल्कि यह ये वो जगह है जहां युद्ध में मारे गए सैनिकों को याद किया जाता है और उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की जाती है। सुरक्षा बल की इजाज़त पर ही स्मारक में प्रवेश किया जा सकता है। यहां मुख्य रूप से सैनिक ही आते हैं।"

    रिपोर्टर ने आगे बताया कि "अधिकतर क़ब्रें उनकी हैं जो 1962 के युद्ध में मारे गए थे। लेकिन हाल के दिनों में सीमा पर ड्यूटी के दौरान मारे गए जवानों को भी यहां दफ़नाया गया है। इसलिए वीडियो में हम एक सैनिक की कब्र देखते हैं, जिसकी मृत्यु 2019 में हुई थी।"

    कांगक्सिवा में कब्रों की संख्या

    बूम ने पाया कि सीसीटीवी चैनल, आजतक और टाइम्स नाउ में दिखाए गए वीडियो के मुताबिक़ यहां कुल 108 क़ब्रें हैं। हम बताते हैं कि कब्रों की गिनती कैसे हुई

    हमने कांगक्सिवा को जियो लोकेट किया और सेटलाइट 12 फरवरी, 2011 की तस्वीर हमें मिली।


    सेटलाइट तस्वीर में 105 क़ब्रें दिखती हैं, ध्यान दें कि दायीं तरफ़ की पंक्ति में चार कब्र हैं और बायीं तरफ़ एक कब्र है।

    कुछ ख़ास कीवर्ड की मदद से हमें चीन मिलिट्री ऑनलाइन वेबसाइट मिली, जो केंद्रीय सैन्य आयोग द्वारा अनुमोदित चीनी पीपुल्स लिबरेशन आर्मी की एक समाचार साइट है।

    कांगक्सिवा युद्ध स्मारक के बारे में एक आर्टिकल बताता है कि स्मारक सिनुला बैरक के दक्षिण-पूर्व में सिटुला टाउन, पिशन काउंटी से 72 किलोमीटर दूर दक्षिणपूर्व शिनजियांग उइघर स्वायत्त क्षेत्र में स्थित है।

    3 मार्च 2019 को पब्लिश हुए इस आर्टिकल के मुताबिक स्मारक में 107 क़ब्रें हैं (यहां पढ़ें)। यह संख्या स्मारक की सेटलाइट तस्वीर में दिखीं कब्रों की संख्या से ज्यादा है।

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    हाल ही में वीबो पर सीसीटीवी द्वारा अपलोड किये गए वीडियो के मुताबिक़ मार्च 2019 में कुल 107 क़ब्रें हैं। सीसीटीवी शो में देखा जा सकता है कि एक पीएलए सैनिक क़ब्र के पास घुटनों के बल बैठा हुआ है, क़ब्र को साफ़ कर रहा है और कुछ देर वहीँ बैठे बातें कर रहा है। यही वीडियो आज तक में काउंटर 1 मिनट 28 सेकंड और काउंटर 2 मिनट 27 सेकंड पर भी देखा जा सकता है।

    इस दृश्य को शो में बार-बार दिखाया गया और एंकर ने यह कहते हुए इसका ज़िक्र किया कि एक साथी सैनिक उन सैनिकों की कब्र पर रोता हुआ दिख रहा है जो गलवान संघर्ष में मारे गए थे।


    चीन से एक रिपोर्टर की मदद से हमें कब्र पर लगे एक पत्थर पर लिखे शब्दों का ट्रांसलेशन मिला | हमने गूगल ट्रांसलेट करके ये कन्फर्म किया की यह पत्थर 2019 में मारे एक सैनिक की कब्र का है।

    घुटनों के बल बैठे सैनिक की पहचान सू युआनहांग के रूप में हुई जो अपने मृत साथी वी जेंगझी को अलविदा कह रहा है। जेंगझी की समाधि पर लिखे शब्द के अनुसार उसकी मौत 2019 में प्रैक्टिस ट्रेनिंग ड्रिल के दौरान हुई थी। उसे 1962 के भारत-चीन युद्ध स्मारक कब्रगाह में दफ़नाया गया था। वीडियो में, सैनिक क़ब्र पर मृत साथी से कहता है कि "मैं अब जा रहा हूं, मुझे नहीं पता कि दुबारा आऊंगा भी या नहीं, हमने साथ में आर्मी ज्वाइन की और यहां आये थे, जैसे यह कल की ही बात है, आई मिस यू।"

    बूम को मिली तस्वीर के अनुसार 2011 में क़ब्रिस्तान में 105 क़ब्रें थीं, जो कि 2019 में यह संख्या 107 हो गयी और दिसम्बर 2019 में जेंगझी को यहीं दफनाये जाने के बाद कुल क़ब्रों की संख्या 108 हो गयी।

    हमने आगे सीसीटीवी द्वारा प्रसारित वीडियो के अंत में कब्रों की संख्या में अंतर को गिना और इसकी तुलना कांगक्सिवा के उपग्रह चित्रों से की और पाया कि सीसीटीवी वीडियो की शूटिंग की तारीख तक कब्रों की संख्या 108 थी।


    गूगल अर्थ की फरवरी 2011 की तस्वीर में बायीं तरफ़ लाल निशान में एक कब्र देखी जा सकती है जबकि सीसीटीवी चैनल की अगस्त 2020 की वीडियो में 2 क़ब्र बढ़ जाती हैं। गूगल अर्थ इमेज के दायीं तरफ़ दिखने वाली 4 क़ब्रें अगस्त की वीडियो में 6 हो जाती हैं। इस तरह 3 कब्रों के बढ़ने से गूगल अर्थ इमेज में दिखने वाली 105 क़ब्रों की संख्या 108 हो जाती है।

    2020 में मरे सैनिक की समाधि की फ़ोटो

    शनिवार को चीनी अक्षरों के साथ एक समाधि की फ़ोटो वायरल होने लगी। इसके बाद कई टीवी चैनलों ने इस दावे के साथ ख़बर चलाई कि यह एक चीनी सैनिक की क़ब्र है, जो जून 2020 में गलवान झड़प के दौरान शहीद हो गया था। बूम ने समाधि के पत्थर में लिखे शब्दों को ट्रांसलेट करने के लिए रिपोर्टर से संपर्क किया।


    हमें बताया गया कि इस समाधि की पहचान चेन जियानगांग के रूप में हुई, जो दिसम्बर में पैदा हुआ और जून 2020 में मौत हुई। क़ब्र में गलवान के बारे में कोई ज़िक्र नहीं है, लेकिन यह ज़रूर है कि सैनिक की मौत भारत-चीन के बीच जून में हुई झड़प के दौरान हुई थी।

    हमने देखा कि वीडियो में दिखाई गयी कब्र को 1962 के युद्ध में मारे गए जवानों के स्मारक में दफ़नाया गया है। 2020 में मारे गए जवान की क़ब्र में लगे पत्थर में यह स्पष्ट नहीं है कि उसकी क़ब्र कहाँ स्थित है।

    एडिटर नोट: बूम के रिपोर्ट के बाद आज तक ने क्लैरिफ़िकेशन जारी करने के साथ साथ खेद प्रकट किया | चैनल ने कहा "हमने अंजाने में 1962 के भारत-चीन युद्ध के दौरान मारे गए सैनिको के याद में बनाये गए कब्रगाह के विज़ुअल्स को जून 2020 में गलवान घाटी में हुए भारत-चीन झड़प के दौरान मारे गए चीनी सैनिको के कब्र के तौर पर दिखा दिया था | इस भूल के लिए हमें खेद है |"



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    Claim :   वीडियो में भारत-चीन झड़प के दौरान चीनी सैनिकों के मारे जाने का प्रमाण दिखाया गया है
    Claimed By :  Aaj Tak and Times Now
    Fact Check :  False
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