ओसमानिया हॉस्पिटल में लावारिस लाशों का पुराना वीडियो कोवीड-19 से जोड़ कर वायरल किया गया
बूम ने पता लगाया की वीडियो हैदराबाद के ओसमानिया हॉस्पिटल में वर्ष 2013 में रिकॉर्ड किया गया था
करीब साढ़े छह साल पुराना एक परेशान कर देने वाला वीडियो - जिसमे लाशों की एक खेप देखी जा सकती है - इस दावे के साथ वायरल हो रहा है की ये उन लोगों की लाशें है जो हैदराबाद के ओसमानिया हॉस्पिटल में कोवीड-19 की वजह से मरें हैं |
लगभग नब्बे सेकंड लम्बे इस वीडियो में सफ़ेद कपड़े में लपेटी कई लाशें एक दीवार के सहारे रखी नज़र आती हैं | वीडियो में एक वॉइस ओवर के ज़रिये बताया जाता है की ये लावारिस लाशें ओसमानिया जनरल हॉस्पिटल में पड़ी हुई हैं | वॉइस ओवर में हैदरबाड़ी उर्दू में बात करता एक शख्स बताता हैं की इनमे से कई लाशें हिन्दुओं की हैं जिनकी अंतिम क्रिया भी नहीं हुई है |
ये वीडियो ऐसे वक्त पर वायरल हो रहा है जब कोरोना वायरस से जुड़े केसेस की संख्या भारत में पांच लाख के आंकड़े को पार करने वाला है |
भारत में कोविड-19 की स्थिति जानने के लिए यहां क्लीक करें |
ये क्लिप अलग अलग कैप्शंस के साथ वायरल है | एक कैप्शन कहता है '#ओसमानिया हॉस्पिटल का ये हाल है कोरोना के डेड बॉडीज को लेकर इस वायरस को मज़ाक मत समझो प्लीज' |
वहीँ दूसरे कैप्शन में लिखा है 'यह ओसमानिया हॉस्पिटल का हाल है | जल्द हैदराबाद सीरिया जैसा हो जाएगा | अगर थोड़े दिन ऐसे ही हाल है तो अपन लगा को फ़र्ज़ नमाज़ से बढ़कर जनाज़े की नमाज़ पड़ने पड़ते |'
वायरल वीडियो नीचे देखें और आर्काइव्ड वर्ज़न यहां देखें |
कोवीड-19 वार्ड बंद करते हुए जश्न मनाते मेडिकल स्टाफ़ का ये वीडियो इटली के एक शहर से है
फ़ैक्ट चेक
बूम ने वायरल क्लिप के साथ दिए कैप्शन को कीवर्ड सर्च के तौर पर देखा तो हमने यही क्लिप कई फ़ेसबुक पेजेज़ पर पाया | इनमे से एक वीडियो के ऊपरी कोने में हमने IndToday नाम का एक लोगो देखा | जब हमने इंटरनेट पर खोजा तो हमें यूट्यूब पर इसी नाम से एक चैनल मिला |
बूम ने पाया किए ये वीडियो इस चैनल पर वर्ष 2013 के दिसंबर महीने में अपलोड किया गया था | वीडियो का शीर्षक अंग्रेज़ी में लिखा था जिसका अनुवाद है 'लावारिस लाशों की खेप ओ.जी.एच मुर्दाघर में | हैदराबाद ओसमानिया जनरल हॉस्पिटल |'
(English: Unclaimed bodies pile up at OGH mortuary | Hyderabad Osmania General Hospital)
असल वीडियो नीचे देखें |
इस यूट्यूब वीडियो के डिस्क्रिप्शन में बताया गया है की इसमें दिख रही लाशें दरअसल लावारिस लाशें थी जिन्हें मुर्दाघर से शिफ़्ट करने में देरी हो जाने की वजह से एक जगह रखा गया था |
बूम ने IndToday का फ़ेसबुक पेज भी देखा और पाया की इसी वीडियो के साथ एक स्पष्टीकरण भी पोस्ट किया गया है |
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फ़ेसबुक पोस्ट के अनुसार ये वीडियो IndToday के यूट्यूब पेज पर दिसंबर 25, 2013 को अपलोड किया गया था |
बूम ने इसके बाद सैय्यद ग़ौस मोहिउद्दीन से संपर्क किया | मोहिउद्दीन ही ये यूट्यूब चैनल चलते हैं | उन्होंने हमें बताया की वीडियो है तो ओसमानिया जनरल हॉस्पिटल से मगर इसे वर्ष 2013 में रिकॉर्ड किया गया था |
"वीडियो छह साल पुराना है | उस वक़्त ओ.जी.एच में एक नया मुर्दाघर बन रहा था | इस वीडियो के आने के बाद उन लाशों को हटा दिया गया था," मोहिउद्दीन ने हमें बताया | इसे दोबारा से जून 24 को फ़र्ज़ी दावे के साथ वायरल किया गया, उन्होंने ने हमें आगे बताया |
बूम ने उनसे ये भी पूछा की उनके चैनल ने मरे हुए लोगो का मज़हब कैसे पहचाना | इस पर उन्होंने ने हमें बताया की लावारिस लाशों के अंतिम क्रिया से पहले उनकी शिनाख़्त करने की कोशिश की जाती है | "कई सारी लाशों की शिनाख़्त हो चुकी थी और जिनकी नहीं हो पाई थी वो वहीँ पड़ी हुई थी," उन्होंने बूम को बताया |
हमने ओ.जी.एच के सुपरिन्टेन्डेन्ट डॉक्टर बी नागेंदर से भी बात की जिन्होंने हमें बताया की वीडियो पुराना है | "वैसे भी कोवीड-19 से हुई मौत में हम लाश को बॉडी बैग्स में रखते हैं ना की ऐसे छोड़ देते हैं," नागेंदर ने बूम को बताया |