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कंगना रनौत को मिली Y+ सिक्योरिटी, इसका क्या मतलब है?

न्यूज़ रिपोर्ट्स की माने तो कंगना रनौत को दी गयी सुरक्षा पहला मौका है जब किसी बॉलीवुड सितारे को Y+ सुरक्षा कवर मिला हो

By - Mohammad Salman |
Published -  13 Sept 2020 4:06 PM IST
  • कंगना रनौत को मिली Y+ सिक्योरिटी, इसका क्या मतलब है?

    सुशांत सिंह राजपूत की मौत पर दिए गए कथित विवादास्पद बयान को लेकर चर्चा में आयी बॉलीवुड अदाकारा कंगना रनौत को गृह मंत्रालय ने Y+ सुरक्षा मुहैया करायी है। कंगना बॉलीवुड में भाई-भतीजावाद और ड्रग्स कनेक्शन के मुद्दे को मीडिया के सामने रखती रही हैं। हाल ही में उन्होंने मुंबई की तुलना पाकिस्तान-अधिकृत-कश्मीर तक से कर डाली थी, जिस पर उनकी शिवसेना प्रवक्ता संजय राउत से ज़ुबानी-जंग चली थी | इस विवाद के बाद राउत ने उन्हें मुंबई ना आने की सलाह तक दे डाली थी।

    कंगना ने 30 अगस्त को भारतीय जनता पार्टी के नेता राम कदम के ट्वीट को कोट ट्वीट करते हुए लिखा था कि 'मुझे मूवी माफ़िया के गुंडों के बजाय अब मुंबई पुलिस का ज़्यादा डर लग रहा है। मुंबई में मुझे हिमाचल प्रदेश या केंद्र सरकार की सुरक्षा चाहिए होगी।'

    Thank you for your concern sir, I am actually more scared of Mumbai police now than movie mafia goons, in Mumbai I would need security either from HP government or directly from the Centre, No Mumbai police please 🙏 https://t.co/cXEcn8RrdV

    — Kangana Ranaut (@KanganaTeam) August 30, 2020

    इन्ही घटनाओं के मद्देनज़र गृह मंत्रालय ने कंगना को Y कैटेगरी सुरक्षा व्यवस्था देने का फ़ैसला किया था। इसके अंतर्गत कंगना 11 सुरक्षाकर्मियों के घेरे में रहेंगी। इनमें 1 या 2 कमांडो और 2 पर्सनल सिक्योरिटी अफ़सर (पीएसओ) भी शामिल रहेंगे।

    आइये जानते हैं कि गृह मंत्रालय किस आधार पर सुरक्षा व्यवस्था तय करता है, इसके अलावा सुरक्षा के विभिन्न स्तर क्या-क्या हैं।

    सुरक्षा किस आधार पर दी जाती है

    गृह मंत्रालय किसी व्यक्ति को सुरक्षा प्रदान करने का निर्णय इंटेलीजेंस ब्यूरो (IB) और रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (RAW) से प्राप्त जानकारी के आधार पर लेता है। ख़ुफ़िया विभाग अपने स्रोतों से पता लगाता है किस व्यक्ति को आतंकवादियों या अन्य असामजिक तत्त्वों से ख़तरा है। ख़ुफ़िया विभाग की सलाह पर गृह मंत्रालय सुरक्षा देने का फ़ैसला करता है। इसके अलावा केंद्र सरकार के मंत्री, राज्यों के मुख्यमंत्री, सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के जज, राजनेता और उच्च सचिव स्तर के अधिकारियों को सुरक्षा प्रदान की जाती है।

    फ़िलहाल देशभर में करीब 450 वीआईपी लोगों को विभिन्न श्रेणियों की सुरक्षा व्यवस्था मुहैया करायी जा रही है।

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    सुरक्षा के विभिन्न स्तर

    भारत में मुख्य रूप से 6 कैटेगरी में सुरक्षा व्यवस्था बांटी गयी है। भारत सरकार का गृह मंत्रालय किसी व्यक्ति के ओहदे और जोखिमों के आधार पर सुरक्षा कैटेगरी तय करता है।


    X कैटेगरी की सुरक्षा

    गृह मंत्रालय द्वारा प्रदान की गयी यह सुरक्षा व्यवस्था सबसे बेसिक सुरक्षा है। इसमें व्यक्ति की सुरक्षा के लिये 2 सुरक्षाकर्मी शामिल होते हैं, जो 24 घंटे सुरक्षा में तैनात रहते हैं।

    Y कैटेगरी की सुरक्षा

    इस कैटेगरी के तहत वीआईपी को 11 सुरक्षाकर्मी मिले होते हैं। इनमें एक या दो कमांडो और एक पीएसओ (व्यक्तिगत सुरक्षा अधिकारी) भी शामिल होते हैं। इनमें से पांच सुरक्षाकर्मी (एक कमांडर, चार कांस्टेबल) वीआईपी निवास पर तैनात रहते हैं, जबकि तीन सशस्त्र पीएसओ को तीन शिफ्टों में रोटेशन के आधार पर वीआईपी के साथ तैनात किया जाता है।

    Y+ कैटेगरी की सुरक्षा

    इस कैटेगरी के तहत वीआईपी को 11 सुरक्षाकर्मी मिले होते हैं। इनमें एक या दो कमांडो और दो पीएसओ (व्यक्तिगत सुरक्षा अधिकारी) भी शामिल होते हैं। इसमें पांच सुरक्षाकर्मी - एक सीआरपीएफ कमांडर और चार कांस्टेबल वीआईपी के आवास पर तैनात होते हैं। तीन शिफ्ट में रोटेशन आधार पर 6 पीएसओ तैनात किए जाते हैं। इसका मतलब है कि दो पीएसओ हर समय वीआईपी के साथ होते हैं।

    Z कैटेगरी की सुरक्षा

    ज़ेड सुरक्षा श्रेणी में लगभग 4 से 5 राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड (NSG) के कमांडो होते हैं। इसके अलावा 22 सुरक्षाकर्मी शामिल होते हैं। इसमें दिल्ली पुलिस सहित सीआरपीएफ के कमांडो व स्थानीय पुलिसकर्मी शामिल होते हैं। इस श्रेणी की सुरक्षा में एस्कॉर्ट और पायलट वाहन भी दिए जाते हैं।

    Z+ कैटेगरी की सुरक्षा

    ज़ेड प्लस श्रेणी की सुरक्षा देश की सबसे कड़ी सुरक्षा व्यवस्था है। यह वीवीआईपी श्रेणी की सुरक्षा मानी जाती है। इस सुरक्षा श्रेणी में 55 सुरक्षाकर्मी शामिल होते हैं, जिसमें से 10 से अधिक एनएसजी कमांडो होते हैं। इसके अतिरिक्त सीआरपीएफ के कमांडो व स्थानीय पुलिसकर्मी भी शामिल होते हैं। इस सुरक्षा में पहले घेरे की ज़िम्मेदारी एनएसजी की होती है जबकि दूसरा घेरा एसपीजी कमांडो का होता है।

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    SPG सुरक्षा

    एसपीजी सुरक्षा कवर विशेष रूप से प्रधानमंत्री, पूर्व प्रधानमंत्री और उनके परिवार की सुरक्षा के लिए बनाया गया एक विशेष दल है। इसमें जवानों की कोई निश्चित सीमा नहीं है। एसपीजी को शारीरिक दक्षता और सुरक्षा रणनीति में उच्च स्तरीय प्रशिक्षण प्राप्त होता है एवं निर्धारित व्यक्ति की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिये इन्हें केंद्र व राज्य के अन्य सुरक्षा विभागों द्वारा भी सहायता प्रदान की जाती है।

    प्रधानमंत्री की सुरक्षा में तैनात एसपीजी कमांडो काले रंग के चश्मे के साथ पाश्चात्य शैली का औपचारिक सूट पहनते हैं और हमेशा अपने साथ एक हैंडगन भी रखते हैं। ये विशेष अवसरों पर सफारी सूट भी पहनते हैं। इसके अलावा एसपीजी में विशेष ऑपरेशन कमांडो भी होते हैं, जिनके पास अल्ट्रा-मॉडर्न असॉल्ट राइफल्स सहित इनबिल्ट कम्युनिकेशन ईयरपीस होते हैं। वर्तमान में एसपीजी सुरक्षा केवल प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को मिल रही है।

    अक्टूबर 1984 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद एसपीजी के गठन का निर्णय लिया गया था। एसपीजी को प्रधानमंत्री की सुरक्षा का जिम्मा सौंपा गया था। 1991 में पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या के बाद इस सुरक्षा घेरे में पूर्व प्रधानमंत्री व उनके परिवार को भी शामिल कर लिया गया। एसपीजी का सुरक्षा घेरा 10 साल तक मान्य था, जिसे 2003 में एनडीए की वाजपेयी सरकार ने एक साल तक कर दिया।

    पिछले साल अगस्त में मोदी सरकार ने पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को मिली एसपीजी सुरक्षा में कटौती करते हुए ज़ेड प्लस सुरक्षा तक सीमित कर दिया।

    नवंबर 2019 में केंद्र सरकार ने सोनिया गांधी, राहुल गांधी और प्रियंका गांधी को मिली वीवीआईपी सुरक्षा में कमी करते हुए एसपीजी सुरक्षा हटा दी। इसके स्थान पर उन्हें ज़ेड प्लस सुरक्षा मुहैया करायी गयी है।

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