शहीद दिवस: भगत सिंह से जुड़ी कुछ रोचक बातें
सोशल मीडिया के दौर में फ़ेक न्यूज़ ने शहीद-ए-आज़म भगत सिंह को भी नहीं बख्शा...
भारतीय स्वतंत्रता संग्राम एक लम्बी और व्यापक लड़ाई थी. हज़ारों स्वतंत्रता सेनानियों ने अपनी ज़िन्दगी दांव पर लगाईं और भारत को ब्रिटिश हुकूमत से मुक्त किया. ऐसी हुकूमत जिसनें कई सेनानियों को फांसी दी और कइयों को प्रताड़ित कर मार डाला.
ऐसे ही तीन शहीदों को याद करने के लिए 23 मार्च का दिन शहीद दिवस के रूप में मनाया जाता है. शहीद दिवस भारत में साल में दो बार मनाया जाता है. पहले 30 जनवरी को जब नाथूराम गोडसे ने महात्मा गाँधी की हत्या की थी और दूसरा 23 मार्च जब तीन युवा क्रांतिकारी शहीद भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव को फ़ांसी दी गयी थी.
'इंक़लाब ज़िंदाबाद' का नारा देने वाले क्रांतिकारी भगत सिंह ने भी नहीं सोचा होगा की उनकी शहीदी को भुला दिया जाएगा. शहीदी के दिन को दशकों बाद फ़र्ज़ी खबरें मिटा देंगी. जी हाँ! फ़ेक न्यूज़.
भगत सिंह की मृत्यु हो या उनकी अंतिम बहन, सोशल मीडिया पर उनके लिए भी फ़र्ज़ी खबरें वायरल हैं. ऐसी ही तीन खबरें बूम हिंदी ने ख़ारिज की हैं.
भगत सिंह और 14 फ़रवरी का सम्बन्ध?
एक पोस्ट फ़ेसबुक पर अक्सर वायरल रहती है जिसमें फ़र्ज़ी दावा किया जाता है कि भगत सिंह को 14 फ़रवरी को फ़ांसी दी गयी थी. नेटिज़ेंस गुहार लगाते हैं कि उस दिन वे शहादत दिवस मनाएंगे और वैलेंटाइन्स डे का बहिष्कार करेंगे.
बूम ने पाया कि ऐतिहासिक प्रमाणों, न्यूज़ पेपर रिपोर्ट्स और किताबों में भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव को आजीवन कारावास की सजा सुनाने के बाद फ़ांसी की सजा सुनाने और फ़ांसी के दिन तक कहीं भी 14 फ़रवरी का उल्लेख नहीं है. उन्हें 23 मार्च 1931 को फ़ांसी दी गयी थी.
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चाबुक से मार खाते व्यक्ति की तस्वीर
सोशल मीडिया पर एक पुलिसकर्मी द्वारा एक व्यक्ति को कोड़े मारते दिखाती ब्लैक एंड वाइट तस्वीर फ़र्ज़ी दावे के साथ वायरल होती रहती है. दावा किया जाता है कि तस्वीर में क्रांतिकारी भगत सिंह हैं जिन्हें अंग्रेज़ पुलिस अधिकारी चाबुक से मार रहा है. यह दावा फ़र्ज़ी है.
बूम ने पाया कि वायरल तस्वीर 1919 की है और इसमें स्वतंत्रता सेनानी को नहीं दिखाया गया है. हमनें भगत सिंह के जीवन पर किताबों के माध्यम से यह भी जाना कि क्रांतिकारी की बचपन से लेकर उनके क़ैद होने तक केवल चार तस्वीरें उपलब्ध हैं. वायरल तस्वीर उनमें से एक नहीं है.
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हाल में हुआ भगत सिंह की अंतिम जीवित बहन का देहांत
फ़ेसबुक पर वायरल एक वृद्ध महिला की तस्वीर के साथ दावा किया जा रहा है की वह क्रांतिकारी शहीद भगत सिंह की बहन बीबी परकाश कौर हैं. वायरल पोस्ट में कहा जा रहा है की हाल ही में उनकी मृत्यु गुमनामी में हो गयी.
बूम ने अपनी पड़ताल में पाया की अव्वल तो बीबी परकाश कौर की मृत्यु हाल ही में नहीं बल्कि छह साल पूर्व वर्ष 2014 में हुई थी और तस्वीर में दिख रही महिला परकाश कौर ही हैं, इस बात का कोई ठोस प्रमाण नहीं है. हमने ऐसी ही मिलती जुलती एक तस्वीर को भी 2014 से इंटरनेट पर वायरल पाया.
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