बेला चाओ: फ़ासिस्ट-विरोधी जड़ों से निकला गीत जो आंदोलनों की आवाज़ बन गया है
"बेला चाओ" एक इटालियन प्रतिरोध लोक गीत है जिसे 19 वीं शताब्दी में उत्तरी इटली के धान के खेतों में कठोर परिस्थितियों के विरोध में मोंडीना श्रमिकों द्वारा गाया गया था.
इंक़लाब भाषा का मोहताज नहीं होता. प्रतिरोध की कोई एकल जुबां नहीं होती. इसलिए कई दफ़ा देखा गया है कि गीत, संगीत अथवा आर्ट बड़े बड़े आन्दोलनों का हिस्सा बन गए और उनकी दिशा बदल दी.
सुर, लय, ताल, आरोह-अवरोह और गीत समाज के हर व्यक्ति को अपनी ओर लालायित करते हैं. गीत केवल शब्दों का कोरा समुच्चय भर नहीं हैं, इनमें माटी की महक, लोक की गमक और सामाजिक प्रवाह का कलरव देखने को मिलता है. यही कारण है कि गीत या गानें जनआंदोलन और राजनैतिक दलों की रैलियों का प्रमुख हिस्सा बनते हैं.
बीते कुछ सालों में भारत में हुए विरोध प्रदर्शनों के दौरान लोगों के बीच प्रतिरोधी कविताओं और नज़्मों के इतर 'प्रतिरोधी गानों' ने अपनी जगह मज़बूत की है. दिसंबर 2019 में नागरिकता संशोधन क़ानून के ख़िलाफ़ शुरू हुए आंदोलन में पूजन साहिल द्वारा गाया गया 'वापस जाओ' गाना और फिर नवंबर 2020 में भारत सरकार के तीन कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ किसान आंदोलन में 'वापस जाओ' गाने के पंजाबी वर्ज़न ने लोगों के प्रतिरोध को एक नयी आवाज़ दी है.
हमारे इर्दगिर्द जो कुछ भी घट रहा है पूरी दुनिया में, वो मजबूर कर देता है कि ऐसे गीत लिखे जाए.
- पूजन साहिल, म्युज़िशन एवं शिक्षक
इस गीत की लोकप्रियता का आलम तो यह है कि भारतीय जनता पार्टी ने पश्चिम बंगाल चुनाव के लिए बंगाली भाषा में जो गीत लांच किया है, वो दरअसल "बेला चाओ" का बंगाली वर्ज़न है.
20 फ़रवरी 2021 को बीजेपी ने ट्विटर पर अपने आधिकारिक हैंडल से 'पिशी जाओ' गीत लांच करते हुए लिखा कि 'कम्युनिस्ट इटली की एक धुन, पश्चिम बंगाल में एक बार फिर से अत्याचारों के विरोध में गाई गई, क्योंकि लोग सत्तारूढ़ व्यवस्था के अन्याय के ख़िलाफ़ खड़े हैं. हमारी विचारधाराएँ भिन्न हो सकती हैं, लेकिन विरोध की भाषा हमेशा सच होती है'.
क्या है इस गाने की ख़ास बात, कैसे इटली की खेतो में उपजा ये गीत भारत के किसानो की बात करने सदियों का सफ़र तय करके पहुंचा, आइये आपको बताते हैं.
बेला चाओ (Bella Ciao)
19 वीं सदी में इटली में धान के खेतों में क्रूर परिस्थितियों में काम करने वाले मजदूरों की स्थिति को उजागर करने के लिए महिला किसानों द्वारा गाया गया गीत "बेला चाओ" (Bella Ciao) बीते सालों में दुनिया भर में फ़ासिस्ट-विरोधी, स्वतंत्रता और प्रतिरोध का प्रतीक गीत बन कर उभरा है.
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"बेला चाओ" (Goodbye Beautiful) एक इटालियन (Italian) प्रतिरोध लोक गीत है जो 19 वीं शताब्दी के अंत में उत्पन्न हुआ. उत्तरी इटली के धान के खेतों में कठोर परिस्थितियों में काम कर रहे मोंडीना श्रमिकों ने इस गीत के माध्यम से अपना प्रतिरोध जताया था.
बाद में इटैलियन पार्टीसंस द्वारा इटालियन गृहयुद्ध के दौरान 1943 और 1945 के बीच नाज़ी जर्मन और फ़ासीवादी ताकतों के ख़िलाफ़ प्रतिरोध के एक गीत के रूप में गाया गया था.
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इस गीत को हाल ही में नेटफ्लिक्स क्राइम ड्रामा सीरीज़ 'मनी हाइस्ट' द्वारा लोकप्रिय किया गया, जिसमें इसे साउंडट्रैक के हिस्से के रूप में चलाया गया.
देसी संस्करण
भारतीय जनता पार्टी सरकार द्वारा पारित तीन कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ बीते क़रीब 3 महीनों से राजधानी दिल्ली की सीमा पर आंदोलन कर रहे किसानों ने वैसे तो प्रदर्शन के विभिन्न स्वरुप दिखाए हैं लेकिन "बेला चाओ" गाने का पंजाबी संस्करण 'फ़ार्म लॉज़ वापस जाओ' सिंघू बॉर्डर पर प्रदर्शन कर रहे किसानों का 'अपना' गाना बन गया है.
'फ़ार्म लॉज़ वापस जाओ' शीर्षक के साथ यूट्यूब पर बीते दिसंबर में अपलोड किये गए इस गीत के वीडियो में दिखाए गए प्रत्येक दृश्य को सिंघू बॉर्डर पर फ़िल्माया गया है. इसे पूजन साहिल ने लिखा है. पंजाबी में लिखे इस गीत के बीच किसानों की आवाज़ें भी सुनी जा सकती हैं.
हालांकि, यह पहला मौक़ा नहीं है जब Bella Ciao ने भारत में किसी आंदोलन के सुरों में आवाज़ फूंकी हो. अक्टूबर 2019 में जामिया मिल्लिया इस्लामिया में इज़रायल समर्थित एक कार्यक्रम का विरोध करने पर 5 छात्र-छात्राओं को यूनिवर्सिटी प्रशासन द्वारा 'कारण बताओ नोटिस' जारी किया गया था. तब, पूजन साहिल ने जामिया की सेंट्रल कैंटीन के सामने चल रहे छात्रों के प्रदर्शन में जाकर Bela Ciao का हिंदी संस्करण 'वापस जाओ' गाना गया था.
बूम से बात करते हुए पूजन साहिल ने बताया कि उन्होंने Bella Ciao का एक रेन्डीशन किसानों के आंदोलन से भी बहुत पहले गाया था. "उस वक़्त जब स्टूडेंट प्रोटेस्ट्स चल रहे थे जे.एन.यू और जामिया में फीस हाइक को ले कर, मेरे कुछ दोस्तों ने मुझे सुझाया की Bella Ciao का एक हिंदी वर्ज़न भी होना चाहिए ताकि लोग गीत से जुड़ सके. उस वक़्त मैंने एक हिंदी रेन्डीशन बनाया था," पूजन साहिल ने हमें बताया.
सीएए-एनआरसी (CAA NRC) के विरोध प्रदर्शन के दौरान, उन्होंने इस क़ानून के ख़िलाफ़ देश भर के विभिन्न प्रदर्शनस्थलों के दृश्य दिखाते हुए गीत बनाया था. गाने के वीडियो में जामिया मिल्लिया इस्लामिया और अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में सीएए बिल (CAA Bill) का विरोध कर रहे छात्र-छात्राओं पर पुलिस द्वारा कथित क्रूर हमले के दृश्य दिखाए थे. तब यह गीत, देशभर में हुए विरोध-प्रदर्शनों में एक सुर में गाया जा रहा था.
पूजन साहिल का मानना है की यूथ इस गाने से काफ़ी अच्छे से जुड़ पाता है, जिसका एक कारण ये भी है कि Netflix पर प्रसारित शो मनी हाइस्ट (Money Heist) ने इसे बेहद प्रचलित कर दिया है.
Bella Ciao गाने का इतिहास देखें तो इस गीत का आईडिया ही किसानों से आता है. कैसे इटली में धान के खेतों में काम कर रहे किसान इस गाने के ज़रिये उन्नीस्वी शताब्दी के खेतों में प्रचलित क्रूर परिस्थितियों को बतलाते हैं...ऐसे में इसका भारतीय किसानों से जुड़ना प्रासंगिक है.
- पूजन साहिल
बीते कुछ दशकों और सालों में, "बेला चाओ" दुनिया भर के विरोध-प्रदर्शनों में प्रतिरोध की आवाज़ बना है, चाहे वह ग्रीस, ट्यूनीशिया या फ़्रांस हो या अब भारत. इस गीत को कई जलवायु और पर्यावरण कार्यकर्ताओं ने भी अपनाया है जो जलवायु संकट के ख़िलाफ़ कार्रवाई की मांग कर रहे हैं. इसका इस्तेमाल 2018 में # EleNão (वो नहीं) आंदोलन के लिए किया गया था, जो ब्राज़ील में राष्ट्रपति जायर बोल्सनारो के ख़िलाफ़ था और पिछले साल सरकार विरोधी प्रदर्शनों के दौरान कोलंबिया में भी गाया गया था.
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इस गीत को हिंदी और पंजाबी प्रारूप देने वाले पूजन हमें आगे बताते हैं कि वो उन चीज़ों पर गीत लिखना पसंद करते हैं जो उनके आसपास घट रहा है. "हर चीज़ जो आज दुनिया में हो रही है वो इतनी लाउड है, इतने शोर के साथ हो रही है कि इस तरह के गानों की दरकार बढ़ जाती है. आप इसे प्रोटेस्ट म्यूज़िक कह सकते हैं," पूजन बूम को बताते हैं.
इस बात के जवाब में कि क्या कभी उन्हें ऐसे गीत लिखने के लिए कभी कोई धमकी मिली है या कोई खतरा महसूस हुआ है, पूजन कहते हैं: होता रहता है. एक दो बार हुआ है ऐसा. जनसभाओं में पहुंचे कुछ लोग हाथो में डंडे और पत्थर लिए.
मैं तो गाना गा रहा हूँ, ये लोग मारना क्यों चाह रहे हैं?
- पूजन साहिल
अब जबकि Bella Ciao का बांग्ला वर्ज़न भी आ चुका है, देखना ये है की आगामी चुनावों में इस गीत की गूँज पश्चिम बंगाल में सुनाई देगी या नहीं.