नहीं, सऊदी अरब ने मस्जिदों के लाउडस्पीकर पर नहीं लगाया प्रतिबंध
बूम ने पाया कि सऊदी अरब ने मस्जिदों में लाउडस्पीकरों पर प्रतिबंध नहीं लगाया है, बल्कि लाउडस्पीकर की संख्या सीमित रखने के लिए कुछ महीने पहले दिशानिर्देश जारी किये थे.
रमज़ान का पवित्र महीना शुरू होने में कुछ ही दिन बचे हैं. इस बीच सऊदी अरब ने रमज़ान को लेकर कुछ दिशानिर्देश जारी किये हैं. इन दिशानिर्देशों के हवाले से न्यूज़ वेबसाइट्स और सोशल मीडिया पर यह दावा किया जा रहा है कि सऊदी अरब सरकार की तरफ़ से रमज़ान में लाउडस्पीकर पर पूरी तरह से बैन लगा दिया गया है.
सोशल मीडिया यूज़र्स दावा कर रहे हैं कि अगर सऊदी अरब अपनी मस्जिदों में लाउडस्पीकर पर बैन लगा सकता है तो ऐसा भारत में क्यों नहीं हो सकता.
हालांकि, बूम की जांच में सामने आया कि सऊदी अरब के इस्लामिक मामलों के मंत्री ने बाहरी लाउडस्पीकरों की संख्या निर्धारित की है ना कि बैन लगाया है.
गौरतलब है कि पिछले साल भारत में मस्जिदों में लाउडस्पीकर को लेकर काफ़ी विवाद हुआ था. महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के प्रमुख राज ठाकरे ने धमकी भरे लहजे में कहा था कि मस्जिदों में लाउडस्पीकर का इस्तेमाल बंद होना चाहिए, यदि ऐसा नहीं होता तो मस्जिदों के बाहर तेज़ आवाज़ में हनुमान चालीसा का पाठ किया जायेगा. इसके अलावा, उत्तर प्रदेश, कर्नाटक, गोवा समेत कई राज्यों में हिंदू संगठनों ने मस्जिदों में लाउडस्पीकर के इस्तेमाल का विरोध किया था.
लाइव हिंदुस्तान, न्यूज़ 18, इंडिया टीवी, टीवी9 भारतवर्ष, ज़ी न्यूज़ समेत कई मीडिया आउटलेट्स ने रमज़ान में लाउडस्पीकर पर सऊदी सरकार के 'प्रतिबंधों' पर रिपोर्टिंग करते हुए अपने स्टोरीज़ प्रकाशित की.
ज़ी न्यूज़ के शो डीएनए में एंकर रोहित रंजन ने सऊदी अरब की मस्जिदों में लगे लाउडस्पीकर की ध्वनि तरंगों का विश्लेषण करते हुए भारत के मुस्लिमों पर निशाना साधा और भारत के लिए 'सबक' बताया.
वहीं एबीपी न्यूज़ ने अपनी एक स्टोरी में जहां रमज़ान में लाउडस्पीकर पर सऊदी सरकार के 'प्रतिबंधों' पर ख़बर प्रकाशित की. जबकि, दूसरी स्टोरी में इस दावे का खंडन करते हुए फ़ैक्ट चेक स्टोरी प्रकाशित की.
दक्षिणपंथी वेबसाइट ऑप इंडिया ने रिपोर्ट में लिखा कि इस आदेश के अनुसार मस्जिदों में लाउडस्पीकरों पर प्रतिबंध है.
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के मुखपत्र पाञ्चजन्य ने भी इस पर ट्वीट कर कहा कि सऊदी अरब ने मस्जिदों में लाउडस्पीकरों पर प्रतिबंध लगा दिया गया है.
ट्वीट का आर्काइव वर्ज़न यहां देखें.
इसी दावे के साथ फ़ेसबुक पर भी ढेरों पोस्ट वायरल हो रहे हैं.
पोस्ट यहां देखें.
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फ़ैक्ट चेक
बूम ने सबसे पहले सऊदी अरब सरकार के उन दिशा-निर्देशों को खंगाला, जिसके हवाले से लाउडस्पीकर प्रतिबंध के संबंध में मीडिया रिपोर्टों में ख़बरें प्रकाशित की गई हैं.
सऊदी अरब के इस्लामी मामलों के मंत्रालय का 3 मार्च 2023 का एक ट्वीट मिला जिसमें रमज़ान से जुड़े दिशानिर्देश दिए गए हैं.
इन दिशानिर्देशों में केवल रमज़ान के महीने में होने वाली तरावीह नमाज़, इफ़्तार, मस्जिद के इमाम, फ़ोटोग्राफी और ब्रॉडकास्ट की मनाही से जुड़े निर्देश का ज़िक्र किया गया है.
इसमें कहीं भी रमज़ान के महीने में मस्जिद के लाउडस्पीकर पर प्रतिबंध लगाने जैसा कोई निर्देश नहीं है.
इस्लामी मामलों के मंत्रालय द्वारा जारी दिशानिर्देश के अरबी वर्ज़न को यहां देख सकते हैं.
हमें जांच के दौरान गल्फ़ न्यूज़ की एक रिपोर्ट मिली, जिसमें बताया गया है कि सऊदी अरब ने सभी मस्जिदों में नमाज़ अदा करने के लिए लाउडस्पीकरों की संख्या को 4 तक सीमित कर दिया है.
19 जनवरी को प्रकाशित इस रिपोर्ट में बताया गया है, इस्लामिक मामलों के मंत्री शेख डॉ. अब्दुल लतीफ़ बिन अब्दुल अजीज अल शेख ने रमज़ान शुरू होने से 2 महीने पहले निर्देश जारी करते हुए मस्जिदों के बाहरी लाउडस्पीकरों की संख्या निर्धारित कर दिया. अब केवल 4 लाउडस्पीकर होंगे जिनका उपयोग मस्जिदों में नमाज़ अदा करने के लिए किया जाएगा.
उन्होंने सभी इमामों को निर्देश दिया है कि वे मस्जिदों से अतिरिक्त लाउडस्पीकरों को हटा दें और उन्हें बाद में उपयोग के लिए एक गोदाम में रख दें या उन मस्जिदों को दे दें जिनके पास पर्याप्त नहीं है.
गल्फ़ न्यूज़ की रिपोर्ट के मुताबिक़, यह पहला मौक़ा नहीं है जब रमज़ान से पहले इस तरह के दिशानिर्देश जारी किये गए हों.
पिछले साल भी मंत्रालय ने रमज़ान के महीने के दौरान मस्जिदों में लाउडस्पीकरों की आवाज़ कम रखने का निर्देश दिया था. पांच वक़्त की नमाज़ के अलावा अतिरिक्त प्रार्थनाओं के लिए स्पीकर के इस्तेमाल करने पर भी मनाही थी और सभी प्रकार के मीडिया पर मस्जिदों से नमाज़ के लाइव प्रसारण पर प्रतिबंध था.
1 जून 2021 की अल जज़ीरा की रिपोर्ट में बताया गया है कि इस्लामिक मामलों के मंत्रालय ने स्पीकर की आवाज़ कम रखने का निर्देश देते हुए उनकी अधिकतम मात्रा के एक तिहाई से अधिक पर सेट नहीं किया जाना चाहिए.
इसके अलावा, हमने विभिन्न कीवर्ड्स की मदद से रिपोर्ट्स खोजने की कोशिश की लेकिन हमें ऐसी कोई भी रिपोर्ट या दिशानिर्देश नहीं मिले जिसमें रमज़ान के महीने में मस्जिदों के लाउडस्पीकरों को प्रतिबंधित करने की बात कही गई हो.
इस मामले पर अधिक जानकारी के लिए बूम ने सऊदी अरब के इस्लामी मामलों के मंत्रालय से संपर्क किया है. जैसे ही उनका जवाब आएगा, स्टोरी में अपडेट कर दिया जाएगा.
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