Boom Live
  • फैक्ट चेक
  • एक्सप्लेनर्स
  • फास्ट चेक
  • अंतर्राष्ट्रीय
  • बिहार चुनाव 2025
  • वेब स्टोरीज़
  • राजनीति
  • वीडियो
  • Home-icon
    Home
  • Authors-icon
    Authors
  • Careers-icon
    Careers
  • फैक्ट चेक-icon
    फैक्ट चेक
  • एक्सप्लेनर्स-icon
    एक्सप्लेनर्स
  • फास्ट चेक-icon
    फास्ट चेक
  • अंतर्राष्ट्रीय-icon
    अंतर्राष्ट्रीय
  • बिहार चुनाव 2025-icon
    बिहार चुनाव 2025
  • वेब स्टोरीज़-icon
    वेब स्टोरीज़
  • राजनीति-icon
    राजनीति
  • वीडियो-icon
    वीडियो
  • Home
  • फैक्ट चेक
  • क्या नोबेल कमेटी के डिप्टी लीडर ने...
फैक्ट चेक

क्या नोबेल कमेटी के डिप्टी लीडर ने पीएम मोदी को बताया शांति पुरस्कार का सबसे बड़ा दावेदार?

बूम ने जांच में पाया कि मीडिया रिपोर्टों में नोबेल पुरस्कार समिति के डिप्टी लीडर एस्ले तोजे के बयान को ग़लत तरीके से पेश किया गया है और उन्होंने पीएम मोदी के नोबेल पुरस्कार जीतने की संभावनाओं को लेकर कोई बात नहीं कही.

By -  Archis Chowdhury
Published -  16 March 2023 5:34 PM IST
  • क्या नोबेल कमेटी के डिप्टी लीडर ने पीएम मोदी को बताया शांति पुरस्कार का सबसे बड़ा दावेदार?

    15 मार्च 2023 को कई प्रमुख मीडिया आउटलेट्स ने नोबेल पुरस्कार समिति के डिप्टी लीडर एस्ले तोजे के हवाले से रिपोर्ट्स प्रकाशित की, जिसमें उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 'नोबेल शांति पुरस्कार के सबसे बड़े दावेदार' हैं.

    हालांकि, बूम ने जांच में पाया कि इन रिपोर्टों में नोबेल पुरस्कार समिति के डिप्टी लीडर एस्ले तोजे के बयान को ग़लत तरीके से पेश किया गया है. एस्ले तोजे से जब रिपोर्टरों ने प्रधानमंत्री मोदी के नोबेल पुरस्कार जीतने की संभावनाओं को लेकर सवाल पूछा था तो उन्होंने कहा था, “मुझे उम्मीद है कि सभी देश के सभी नेता उस काम को करने के लिए प्रेरित होते हैं जो नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित होने के लिए आवश्यक है."

    14 मार्च को एस्ले तोजे को नई दिल्ली में इंडिया इंटरनेशनल सेंटर (IIC) में इंडिया सेंटर फाउंडेशन द्वारा आयोजित "Alternative Development Model & Peace" कार्यक्रम में बोलने के लिए आमंत्रित किया गया था. इस दौरान उन्होंने रूस-यूक्रेन युद्ध का जिक्र करते हुए वैश्विक शांति पर जोर दिया. इस कार्यक्रम के बाद तोजे ने शांति के लिए वैश्विक सहयोग में भारत की भूमिका को लेकर मीडिया से भी बात की.

    इसके बाद ही प्रधानमंत्री मोदी को नोबेल पुरस्कार का सबसे बड़ा दावेदार बताए जाने की चर्चा शुरू हो गई. इतना ही नहीं कई मीडिया आउटलेट्स ने यह भी दावा कर दिया कि एस्ले तोजे ने प्रधानमंत्री मोदी को नोबेल शांति पुरस्कार का सबसे बड़ा दावेदार बताया है.

    अंग्रेज़ी न्यूज़ चैनल टाइम्स नाउ ने तोजे के इंटरव्यू को ट्विटर पर अंग्रेज़ी कैप्शन वाले दावे के साथ साझा किया, जिसका हिंदी अनुवाद है “नोबेल पुरस्कार समिति के डिप्टी लीडर एस्ले तोजे ने कहा- प्रधानमंत्री मोदी नोबेल शांति पुरस्कार के सबसे बड़े दावेदार हैं.” हालांकि यह ट्वीट डिलीट कर दिया गया है.



    टाइम्स नाउ के एडिटर इन चीफ़ राहुल शिवशंकर ने भी इस दावे को अपने ट्विटर अकाउंट से अंग्रेज़ी कैप्शन के साथ शेयर किया. कैप्शन का हिंदी अनुवाद है, “नोबेल पुरस्कार समिति के डिप्टी लीडर एस्ले तोजे बोले- प्रधानमंत्री मोदी नोबेल शांति पुरस्कार के सबसे बड़े दावेदार”.



    इतना ही नहीं कई प्रमुख अंग्रेज़ी और हिंदी न्यूज़ वेबसाइट ने भी इन्हीं दावों को प्रकाशित किया है, जिसमें इकोनॉमिक टाइम्स, टाइम्स ऑफ़ इंडिया, बिजनेस स्टैंडर्ड, ओडिशा टीवी, लोकमत टाइम्स, एबीपी न्यूज़, एशियानेट हिंदी, सीएनबीसी टीवी18 शामिल हैं.

    इसके अलावा इंडिया टुडे के एंकर गौरव सावंत, दक्षिणपंथी वेबसाइट ऑप इंडिया समेत कई वेरिफ़ाई ट्विटर हैंडल ने भी इस दावे को शेयर किया है.

    बूम ने टाइम्स नाउ के एडिटर इन चीफ़ राहुल शिवशंकर को मेल लिखकर उनके ट्वीट और टाइम्स नाउ द्वारा किए गए दावे को लेकर उनका पक्ष जानने की कोशिश की है. जवाब मिलने पर स्टोरी को अपडेट कर दिया जाएगा.

    फ़ैक्ट चेक

    बूम ने वायरल दावे की पड़ताल के लिए 14 मार्च को इंडिया इंटरनेशनल सेंटर में आयोजित हुए कार्यकम का वीडियो देखा. इस दौरान हमने एस्ले तोजे के द्वारा दिए गए भाषण एवं सवाल जवाब वाले सत्र में उनके द्वारा दिए गए जवाब को भी ध्यानपूर्वक देखा. इस दौरान हमें उनका एक भी बयान नहीं मिला, जिसमें उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी को नोबेल शांति पुरस्कार मिलने की संभावनाओं जैसी कोई बात कही हो.



    इसके बाद हमने एस्ले तोजे द्वारा दिए गए लगभग सभी इंटरव्यू को देखा. सभी इंटरव्यू में तोजे ने भारत, पीएम मोदी और वैश्विक शांति में भारत की भूमिका को लेकर खुलकर बातें रखी, लेकिन उस दौरान उन्होंने कहीं नहीं कहा कि प्रधानमंत्री मोदी नोबेल शांति पुरस्कार के बड़े दावेदार हैं.

    इस दौरान हमने यह भी पाया कि कई पत्रकारों ने एस्ले तोजे से प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से यह सवाल पूछा कि क्या पीएम मोदी नोबेल शांति पुरस्कार के हक़दार हैं. इस सवाल के जवाब में उन्होंने 'द न्यू इंडियन' और 'एबीपी न्यूज' को जवाब देते हुए कहा कि, "मुझे उम्मीद है कि हर देश में सभी नेता उस काम को करने के लिए प्रेरित होते हैं, जो नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित होने के लिए जरूरी है"

    हमने जांच के दौरान इस कार्यक्रम को आयोजित करने वाली कमेटी के सदस्य मनोज कुमार शर्मा से भी संपर्क किया. मनोज शर्मा ने बूम को बताया कि वह पूरे कार्यक्रम के दौरान मौजूद थे और उनकी जानकारी के अनुसार ऐसी कोई भी टिप्पणी एस्ले तोजे ने नहीं की थी.

    हमने वायरल दावे को लेकर नोबेल पुरस्कार समिति के डिप्टी लीडर एस्ले तोजे से भी संपर्क किया है, उनका जवाब आते ही स्टोरी को अपडेट कर दिया जाएगा.

    क्या एस्ले तोजे प्रधानमंत्री मोदी के नोबेल पुरस्कार जीतने की संभावनाओं का ख़ुलासा कर सकते हैं?

    नोबेल पुरस्कार विजेताओं के नामांकन और चयन प्रक्रिया को लेकर बनाए गए नियमों के अनुसार, एस्ले तोजे नॉर्वे की नोबेल पुरस्कार समिति के सदस्य होने के नाते सार्वजनिक रूप से नोबेल शांति पुरस्कार के लिए नामांकित व्यक्तियों के नाम नहीं बता सकते हैं .

    नोबेल पुरस्कार की आधिकारिक वेबसाइट के अनुसार, पुरस्कार के लिए नामांकित व्यक्तियों और नामांकित करने वाले व्यक्तियों के नामों को 50 वर्षों तक जनता के सामने नहीं लाया जा सकता है.



    नोबेल विजेता कैसे चुने जाते हैं?

    पुरस्कार के लिए नामांकन समाप्त होने के बाद नोबेल कमेटी की पांच सदस्यों वाली टीम द्वारा शॉर्टलिस्ट तैयार की जाती है. इन पांच सदस्यों को नॉर्वे की पार्लियामेंट द्वारा नियुक्त किया जाता है.

    हालांकि, अभी तक यह ज्ञात नहीं है कि इस वर्ष कितने उम्मीदवारों को शॉर्टलिस्ट किया गया है, क्योंकि अभी तक यह पूरा नहीं हुआ है.



    नॉर्वे की नोबेल समिति भी नोबेल शांति पुरस्कार की विजेता चुनने में शामिल होती है. भौतिकी, रसायन विज्ञान, चिकित्सा, साहित्य और आर्थिक विज्ञान का पुरस्कार समारोह स्वीडन के स्टॉकहोम में आयोजित होता है जबकि नोबेल शांति पुरस्कार नॉर्वे की राजधानी ओस्लो में दिया जाता है.

    नोबेल पुरस्कार के आधिकारिक ट्विटर अकाउंट पर एक वीडियो भी मौजूद है, जिसमें पुरस्कार के लिए नामांकन और चयन प्रक्रिया के बारे में बताया गया है. इस वीडियो में एस्ले तोजे ही मौजूद हैं, जो कहते हैं कि नोबेल पुरस्कार के विजेता को सार्वजनिक रूप से घोषित किए जाने से एक घंटे पहले ही उनकी जीत के बारे में बताया जाता है.

    Today is the announcement of the 2022 Nobel Peace Prize.

    Ahead of the announcement watch our exclusive Q&A with Asle Toje, who helps to award the peace prize.#NobelPrize pic.twitter.com/idnDq4lqm6

    — The Nobel Prize (@NobelPrize) October 7, 2022


    पिछले साल हमने कई मीडिया संगठनों द्वारा किए गए इस दावे का फैक्ट चेक किया था, जिसमें कहा गया था कि ऑल्ट-न्यूज के सह-संस्थापक मोहम्मद जुबैर और प्रतीक सिन्हा नोबेल शांति पुरस्कार के 'पसंदीदा सूची' में थे. हमारी जांच में यह पता चला था कि वह 'सूची' नॉर्वे की नोबेल समिति की आधिकारिक सूची नहीं थी, बल्कि इसे कुछ स्वतंत्र संगठनों की मदद से बनाया गया था और इसका नोबेल पुरस्कार समिति या उसके चयन प्रक्रिया से कोई संबंध नहीं था.

    Tags

    Narendra ModiNobel Prizeindian mediaTimes Now
    Read Full Article
    Claim :   नोबेल समिति के डिप्टी लीडर ने पीएम मोदी को बताया नोबेल शांति पुरस्कार का सबसे बड़ा दावेदार
    Claimed By :  Media Outlates
    Fact Check :  False
    Next Story
    Our website is made possible by displaying online advertisements to our visitors.
    Please consider supporting us by disabling your ad blocker. Please reload after ad blocker is disabled.
    X
    Or, Subscribe to receive latest news via email
    Subscribed Successfully...
    Copy HTMLHTML is copied!
    There's no data to copy!