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फैक्ट चेक

सभी के खातों में 15 लाख रुपये आने को लेकर पुराना व्यंग्य लेख वास्तविक खबर के रूप में वायरल

बूम ने अपनी जांच में पाया कि यह मार्च 2019 में होली के अविधि के दौरान प्रकाशित एक व्यंग्यात्मक लेख है. इसका किसी वास्तविक खबर से कोई सम्बन्ध नहीं है.

By - Sachin Baghel |
Published -  21 Dec 2023 3:51 PM IST
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    सभी के खातों में 15 लाख रुपये आने को लेकर पुराना व्यंग्य लेख वास्तविक खबर के रूप में वायरल

    सोशल मीडिया पर एक न्यूज़पेपर कटिंग वायरल हो रही है जिसमें सभी के खातों में 15-15 लाख रुपये आने की खबर है. सोशल मीडिया यूज़र्स इसको वास्तविक खबर मानते हुए शेयर कर रहे हैं.

    बूम ने अपनी जांच में पाया कि यह एक व्यंग्यात्मक लेख था, जिसे नवभारत टाइम्स अख़बार ने मार्च 2019 में होली के अवसर पर छापा था. इसका वास्तविक खबर से कोई सम्बन्ध नहीं है.

    विपक्ष दल आरोप लगाते हैं कि 2014 के लोकसभा चुनाव के दौरान वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चुनाव जीतने पर सभी भारतियों के खाते में 15-15 लाख रुपये आने की बात कही थी. हालाँकि इसकी पुष्टि करती हुई कोई मीडिया रिपोर्ट नहीं है. विपक्षी दल समय-समय पर इस बात को पीएम मोदी से जोड़कर दौहराते रहते हैं. इसी सन्दर्भ में सबूत के तौर पर यह कटिंग वायरल हो रही है.

    फ़ेसबुक पर यूज़र ने न्यूज़पेपर कटिंग शेयर करते हुए लिखा, "मिल गया लेकिन बहुत मुश्किल से पुराना अखबार"


    इस कटिंग को फ़ेसबुक पर अन्य यूज़र्स ने भी शेयर किया है. यहां देखें.

    फ़ैक्ट चेक

    बूम ने सबसे वायरल कटिंग को लेकर सर्च किया तो हमें और अधिक सुस्पष्ट एवं साफ़ कटिंग मिली. यह हूबहू वायरल कटिंग के समान ही हैं. इसमें हम देख सकते हैं कि यह कटिंग मुंबई से प्रकाशित होने वाले नवभारत टाइम्स की बुधवार 20 मार्च 2019 की है. खबर से हटकर एक नोट लिखा है कि "बुरा न मनो होली है." इससे हमें इस खबर के एक व्यंग्यात्मक लेख होने का अंदेशा हुआ क्योंकि 2020 में होली 20 और 21 मार्च की ही थी.

    हमने नवभारत टाइम्स के आर्काइव में जाकर मुंबई से प्रकशित होने वाले 20 मार्च 2019 के अख़बार की डिजिटल कॉपी भी देखी.



    आगे और पड़ताल करने पर हमें मालूम हुआ कि 2019 में होली के त्यौहार के दौरान ही नव भारत टाइम्स ने इसी प्रकार का एक और व्यंग्यात्मक लेख प्रकाशित किया था. इस लेख में दावा किया गया कि अगर लोगों ने वोट नहीं दिया तो पैसे काट लिए जाएंगे. सोशल मीडिया यूज़र्स ने लेख के साथ लगा डिस्क्लेमर वाला हिस्सा काटकर इसे वास्तविक खबर के रूप में शेयर किया था.

    तब भारतीय चुनाव आयोग ने इसको खारिज करते हुए नवभारत टाइम्स द्वारा इस लेख को लेकर जारी स्पष्टीकरण भी ट्विटर पर पोस्ट किया था जिसमें नवभारत टाइम्स ने इस लेख को होली के समय प्रकाशित होने वाला मजाकिया लेख कहा था.

    Clarification published by Navbharat Times regarding the misleading item published by them as a Holi prank pic.twitter.com/E6ezFvx7hA

    — Spokesperson ECI (@SpokespersonECI) March 23, 2019


    नवभारत ने जो खेद स्पष्टीकरण जारी करते हुए उसमें लिखा था कि " इस खबर के आखिर में मोटे अक्षरों में 'बुरा न मानो होली है' और पूरे पेज के नीचे 'इस पेज की सभी खबरें काल्पनिक है' लिखा था. लेकिन कई पाठकों को इस खबर के सच होने का भ्रम हो गया. सोशल मीडिया पर भी यह खबर 'बुरा न मानो होली है' लाइन काटकर प्रसारित की जा रही है. अगर पाठकों को मजाकिया खबर से कोई भ्रम हुआ हो तो नवभारत टाइम्स इसके लिए खेद व्यक्त करता है."

    इससे स्पष्ट होता है कि होली के समय 'बुरा न मानो होली है' डिस्क्लेमर के साथ प्रकाशित लेख व्यंग्यात्मक एवं काल्पनिक हैं. वायरल कटिंग पर भी हम यह डिस्क्लेमर देख सकते है जो उसके व्यंग्यात्मक लेख होने की पुष्टि करता है.

    उस वक्त इन ख़बरों को लेकर बूम ने नवभारत टाइम्स से संपर्क किया था. नवभारत टाइम्स के डिप्टी एडिटर नवीन कृष्णन ने बूम को बताया था कि "नवभारत टाइम्स में हर साल होली पर व्यंग्यात्मक खबरें प्रकाशित करने का हमारा इतिहास रहा है."

    कृष्णन ने आगे बताया था कि "हमने हर रिपोर्ट के साथ और पेज पर एंकर स्टोरी के नीचे एक डिस्क्लेमर भी दिया, जिससे यह स्पष्ट होता है कि इस पेज पर मौजूद सभी लेख और विज्ञापन काल्पनिक हैं. अगर कोई फोटोशॉप की मदद से डिस्क्लेमर को काट देता है या मिटा देता है तो इसके लिए हम कैसे दोषी ठहराए जा सकते हैं?"

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    Tags

    FAKE NEWSFact CheckNarendra Modi
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    Claim :   सबके खाते में 15-15 लाख रुपये आने की खबर वाली अख़बार कटिंग मिली
    Claimed By :  Facebook Users
    Fact Check :  Misleading
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