बाड़मेर के हिंगलाज मंदिर में पूजा-अर्चना पर गहलोत सरकार ने नहीं लगाई रोक
बूम ने अपनी जांच में पाया कि प्रतिबंध आम लोगों पर नहीं बल्कि उन दो गुटों के विशेष धार्मिक आयोजन पर लगाया गया है जिनके बीच पहले से विवाद चल रहा है.
राजस्थान के बाड़मेर में हिंगलराज माता मंदिर में पूजा-अर्चना करने पर रोक लगाने के दावे से सोशल मीडिया पर कई पोस्ट वायरल हो रहे हैं. सोशल मीडिया यूज़र्स अशोक गहलोत सरकार पर निशाना साधते हुए दावा कर रहे हैं कि अशोक गहलोत ने बाड़मेर जिले में स्थित हिंगलाज माता मंदिर पर नवरात्रि के दौरान धार्मिक आयोजन करने पर रोक लगा दी है.
बूम ने अपनी जांच में पाया कि वायरल दावा ग़लत है. केवल दो गुटों पर प्रतिबंध लगाया गया है, जिनके बीच पहले से ही विवाद चल रहा था.
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भाजपा के पूर्व सांसद तरुण विजय ने 24 सितंबर को इस मामले पर स्थानीय पुलिस के आदेश को ट्वीट करते हुए लिखा,'हिंदुओं के लिए एक काला दिन. राजस्थान की कांग्रेस सरकार ने फर्जी बहाने से भारत के सबसे बड़े हिंगलाज माता मंदिर बाड़मेर में सभी धार्मिक गतिविधियों पर रोक लगा दी है. पुलिस आदेश देखें. जो बवेजा और शहबाज ने बलूचिस्तान के साथ नहीं किया हिंगलाज माता मंदिर में गहलोत ने राजस्थान में किया. जितना हो सके विरोध करें.'
इसी प्रकार से तमाम न्यूज़ पोर्टल ने इस मामले को हिंदुओं के प्रति राजस्थान सरकार के भेदभावपूर्ण रवैया को रेखांकित करते हुए कवर किया.
ऑप इंडिया ने राजस्थान की गहलोत सरकर को निशाना बनाते हुए 24 सितंबर को लिखे लेख का शीर्षक एकतरफ़ा दिया.
इसी तरह नई दुनिया, परफ़ॉर्म इंडिया पोर्टल ने इस मामले को गहलोत सरकार की हिंदुओं के प्रति नफ़रत के नजरिए से कवर किया है.
फ़ेसबुक पर एक यूज़र से पोस्ट शेयर करते हुए कैप्शन लिखा,'जो काम मुगलों से नहीं हुआ वो गहलोत सरकार ने कर दिया।'
फ़ेसबुक पर यह दावा बेहद वायरल है जिसे आप यहाँ, यहाँ और यहाँ देख सकते हैं.
फ़ैक्ट चेक
बूम ने सबसे पहले भाजपा के पूर्व सांसद तरुण विजय द्वारा ट्वीट किये गए बाड़मेर पुलिस कोतवाली का 23 सितंबर का नोटिस ध्यानपूर्वक पढ़ा. यह नोटिस हिंगलाज शक्तिपीठ के अध्यक्ष लेखराज खत्री को लिखा गया है. नोटिस में कहा गया है कि खत्री समाज में मंदिर के संबंध में आपसी गुजबाजी का विवाद आगामी दिनों में विशेषकर नवरात्रि के दौरान उग्र रूप ले सकता है. जिससे शांति व्यवस्था भंग होने की संभावना है.
इसी बाबत विवाद के समाधान तक हिंगलाज शक्तिपीठ के अध्यक्ष माता के मंदिर में कोई धार्मिक कार्यक्रम आयोजित नहीं कर सकते. अगर करते हैं तो सक्षम अधिकारी से पूर्व में अनुमति लेनी होगी. अन्यथा विवाद की स्थिति में आप जिम्मेदार होंगे.
नोटिस में जहां तक समझ आता है कि खत्री समुदाय में आपसी विवाद के चलते हिंगलाज शक्तिपीठ के अध्यक्ष जो स्वयं खत्री समुदाय से आते हैं, को कोई विशेष धार्मिक आयोजन करने की मनाही की गई है. आम लोगों के लिए प्रतिबंध का कहीं ज़िक्र नहीं है.
पड़ताल में हमें 27 सितंबर का इस मामले पर राजस्थान पुलिस का ट्वीट मिला जिसमें एसपी दीपक भार्गव के हवाले से स्पष्ट कहा गया है कि हिंगलाज मंदिर में पूजा व प्रवेश पर प्रतिबंध की ख़बर निराधार है. जिन दो गुटों में लड़ाई चल रही है सिर्फ़ उनपर पाबंदी लगाई गई है. आमजन या खत्री समाज के लिए कोई रोक नहीं है.
आगे 25 सितंबर को बाड़मेर पुलिस ने इस संबंध में एसपी कार्यालय से जारी नोटिस को ट्वीट करते हुए लिखा,"बाड़मेर के हिंगलाज मंदिर में खत्री समाज के ही दो गुटों के बीच में विवाद होने एवं लिखित में पुलिस को शिकायत देने पर शांति व्यवस्था बनाये रखने के लिए मंदिर परिसर में नवीन कथा वाचन एवं नवरात्रि गरबा आयोजित करने लिए पूर्व अनुमति लेने के लिए संबंधित दो गुटों को पाबंद किया गया था."
आगे लिखा है कि मंदिर में पूजा-आर्चना रोकने की ख़बर झूठी है. इसपर ध्यान न दें.
बूम ने इसके बाद हिंगलाज मंदिर के निकट असोतरा गांव की रहने वाली पार्वतीबाई से बात की.उन्होंने बताया कि, "हिंगलाज माता उनकी कुलदेवी हैं. पूजा-अर्चना में कोई रुकावट नहीं हैं. कुछ दिन पहले कुछ लोगों में थोड़ा विवाद हो गया था इसको ध्यान में रखते हुए पुलिस ने गरबा खेल को रोकने के लिए कहा है."
दक्षिण अफ़्रीकी क्रिकेटर वेन पार्नेल साल 2011 में इस्लाम कबूल कर चुके हैं