नहीं, ये राष्ट्रपति मुर्मू, पीएम मोदी और महाराष्ट्र के सीएम की युवावस्था की तस्वीर नहीं है
बूम ने पाया कि वायरल कोलाज में शामिल तीन तस्वीरें पीएम मोदी, राष्ट्रपति मुर्मू और महाराष्ट्र के सीएम एकनाथ शिंदे की नहीं हैं.
बीते दिनों द्रौपदी मुर्मू ने देश के नए राष्ट्रपति के तौर पर शपथ ली और कार्यभार संभाला. उनके कार्यभार संभालने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे को युवावस्था में दिखाने का दावा करता तस्वीरों का एक कोलाज सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है. हालांकि बूम ने यह पाया कि वायरल कोलाज फर्जी है. कोलाज में शामिल तीन तस्वीरें अलग-अलग लोगों की हैं और यह पीएम, राष्ट्रपति और महाराष्ट्र के सीएम को नहीं दिखाती हैं.
फोटोज के इस कोलाज को कई कैप्शन के साथ शेयर किया जा रहा है. एक ऐसा ही कैप्शन हिंदी में है, जिसमें लिखा हुआ है "नीचे चार फोटो को देखकर आश्चर्य होता है कि भाग्य का खेल भी गजब है 👇 1-प्रधानमंत्री 2-राष्ट्रपति 3-उत्तर प्रदेश मुख्यमंत्री 4-महाराष्ट्र मुख्यमंत्री".
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वायरल पोस्ट में चार फ़ोटो का एक कोलाज है और चारों के ऊपर कन्नड़ भाषा में कैप्शन दिया गया है.
फ़ोटोज के कोलाज में यह दावा किया जा रहा है कि युवावस्था के दौरान पीएम मोदी फर्श पर झाड़ू लगाते हुए नज़र आ रहे हैं, वहीं राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू अपने युवावस्था में एक पुरानी साड़ी पहने हुई है जबकि महाराष्ट्र के सीएम एकनाथ शिंदे एक ऑटोरिक्शा के साथ खड़े हैं.
फ़ैक्ट चेक
बूम ने अपनी पड़ताल में पाया कि वायरल कोलाज में सिर्फ़ योगी आदित्यनाथ की तस्वीर ही सही है, बाकी तीनों तस्वीरें नकली हैं और ये पीएम मोदी, राष्ट्रपति मुर्मू या महाराष्ट्र के सीएम एकनाथ शिंदे को उनके युवावस्था में नहीं दिखाती हैं.
बूम ने कोलाज में शामिल सभी तस्वीरों का रिवर्स इमेज सर्च किया और हमने क्या पाया, उसे नीचे पढ़ा जा सकता है.
पीएम मोदी की फर्श पर झाड़ू लगाने वाली तस्वीर
पीएम मोदी द्वारा फर्श पर झाड़ू लगाने का दावा करने वाली यह तस्वीर फ़र्जी है, जिसका बूम पहले भी फ़ैक्ट चेक कर चुका है और साथ ही कई अन्य फ़ैक्ट चेकर्स ने इस दावे को अपनी जांच में फ़र्जी पाया है.
बूम ने इस तस्वीर की पड़ताल के दौरान यह पाया था कि 2 जून, 1946 को एसोसिएट प्रेस (एपी) के फोटोग्राफर द्वारा क्लिक की गई एक स्वीपर की तस्वीर में छेड़छाड़ कर पीएम मोदी का चेहरा लगाया गया है.
वास्तविक फ़ोटो पुलित्जर पुरस्कार विजेता फोटोग्राफर मैक्स डेसफोर द्वारा 1946 में क्लिक की गई थी और इसका कैप्शन दिया गया था, "भारत की "अछूत" जातियों में से एक ने झाड़ू पकड़ा हुआ है जिसका उपयोग वह सड़कों, घरों में झाड़ू लगाने के लिए करता है, 2 जून, 1946. अछूत या हरिजन (भगवान की संतान) जैसा गांधी उन्हें बुलाते हैं, देश के सभी "अशुद्ध" काम करते हैं. गांधी ने बार-बार कहा है कि दमनकारी ब्रिटिश शासन छुआछुत के उस पाप के लिए एक सजा थी, जो उंची जाति के हिंदुओं ने कई सदियों से किया है."
पूर्व में हमारे द्वारा किए गए फ़ैक्ट चेक को यहां पढ़ा जा सकता है.
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की फ़ोटो
द्रौपदी मुर्मू होने का दावा करती इस तस्वीर में एक महिला वर्कर एक पुरानी साड़ी पहने हुई है और अपने बालों में एक कपड़ा भी बांधे हुई है. हमने जब इस तस्वीर का रिवर्स इमेज सर्च किया तो पाया कि यह मुर्मू नहीं बल्कि उपरबेड़ा के एक अस्पताल की एक सफाई कर्मचारी है, जहां से राष्ट्रपति ने बचपन में अपनी पढ़ाई की है.
रिवर्स इमेज सर्च में हमें 23 जुलाई, 2022 को प्रकाशित न्यूज़18 की एक रिपोर्ट मिली, जिसमें वायरल तस्वीर थी. यह रिपोर्ट भाजपा द्वारा राष्ट्रपति चुनाव के लिए द्रौपदी मुर्मू को एनडीए उम्मीदवार घोषित किए जाने के कुछ दिनों बाद प्रकाशित की गई थी. रिपोर्ट में मुर्मू के पड़ोसियों, ग्रामीणों और उपरबेड़ा में रहने वालों से बात की गई थी, जहां से उन्होंने पढ़ाई की थी.
न्यूज़18 की खबर के मुताबिक, वायरल हो रही तस्वीर में दिख रही महिला का नाम सुकुमार टुडू है, जो उपरबेड़ा के अस्पताल में सफाई कर्मचारी है. रिपोर्ट में उसी तस्वीर का इस्तेमाल किया गया था और टुडू से इस बारें में भी बात की गई थी कि आखिर उन्हें यहां किन कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है .
ऑटोरिक्शा के साथ महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री की तस्वीर
हमें फ़र्जी दावे के साथ किए जा रहे एक ट्वीट के रिप्लाई सेक्शन में यह लिखा हुआ मिला कि फ़ोटो में दिख रहे शख्स महाराष्ट्र रिक्शा पंचायत के संस्थापक बाबा कांबले हैं, न कि महाराष्ट्र के सीएम एकनाथ शिंदे.
इसके बाद हमने बाबा कांबले को मराठी भाषा में लिख कर फ़ेसबुक पर सर्च किया तो हमें महाराष्ट्र रिक्षा पंचायत पुणे के फ़ेसबुक पेज पर यह फ़ोटो मिला, जिसे 22 जुलाई, 2022 को अपलोड किया गया था. फ़ोटो के साथ मराठी में लिखे कैप्शन के अनुसार फ़ोटो में दिख रहे शख्स रिक्शा पंचायत के संस्थापक अध्यक्ष कांबले हैं जो 1997 में पिंपरी रातरानी रिक्शा स्टैंड पर अपने रिक्शा के साथ खड़े हैं.
पिंपरी पिंपरी-चिंचवड़ के नाम से मशहूर जुड़वां शहर का ही हिस्सा है और यह महाराष्ट्र के पुणे से भी जुड़ा हुआ है.
इस दौरान हमें यह भी पता चला कि इस फ़ेसबुक पेज ने कई पोस्ट किए हैं, जिसमें कई मराठी न्यूज़ चैनल ने एकनाथ शिंदे के रूप में वायरल इस फ़ोटो को जांचा है. बता दें कि राजनीति में आने से पहले शिंदे कुछ समय के लिए मुंबई के पास के एक जिले ठाणे में ऑटोरिक्शा चलाया करते थे.
जांच के दौरान ही हमें मराठी में प्रकाशित एबीपी माझा की एक रिपोर्ट मिली, जिसमें उन्होंने बाबा कांबले से वायरल फोटो के बारे में बात की थी. काबले ने कहा, "एकनाथ शिंदे जो कभी ऑटो चालक थे, अब मुख्यमंत्री हैं. यह राज्य के सभी रिक्शा चालकों के लिए गर्व की बात थी और उसी दौरान कुछ ड्राइवरों ने सोशल मीडिया पर मेरी फोटो पोस्ट की और यह सीएम शिंदे की एक पुरानी तस्वीर के रूप में वायरल हो गई. लेकिन बाद में यह साबित हुआ कि यह मेरी फोटो है और मुझे इसके बारे में कई कॉल भी आए. मुझे लगता है, यह भ्रम इसलिए हुआ क्योंकि सीएम शिंदे की दाढ़ी वैसी ही है जैसा मैं अपने युवावस्था के दौरान रखता था."
योगी आदित्यनाथ की युवावस्था की तस्वीर
बूम ने पाया कि यह तस्वीर सही है और यह उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के युवावस्था की तस्वीर है. यह तस्वीर कई न्यूज़ रिपोर्ट में भी मौजूद है. अमर उजाला में योगी आदित्यनाथ की जिंदगी के बारे में प्रकाशित फोटो फीचर रिपोर्ट के अनुसार, यह फोटो 1994 की है जब आदित्यनाथ अपने अजय बिष्ट की पहचान छोड़ संन्यासी बन रहे थे.
नहीं, वायरल तस्वीरें स्मृति ईरानी की बेटी ज़ोइश की सगाई की नहीं हैं