नोएडा की रिहायशी सोसायटी की 2017 की घटना हालिया बताकर हो रही वायरल
बूम ने फैक्ट चेक में पाया कि यह घटना जुलाई 2017 की है, नोएडा पुलिस ने भी बूम से बातचीत में इसकी पुष्टि की है.

सोशल मीडिया पर वायरल एक वीडियो के साथ दावा किया जा रहा है कि नोएडा की महागुन सोसायटी में एक हिंदू परिवार ने बांग्लादेशी घरेलू सहायिका पर चोरी का आरोप लगाया, जिसके बाद पास की बस्ती के लोगों ने सोसायटी पर पथराव कर दिया.
बूम ने पाया कि यह घटना साल 2017 की है. महागुन सोसायटी के एक निवासी ने अपनी मेड के ऊपर चोरी के इल्जाम लगाया था. वहीं मेड के परिजनों का आरोप था कि उन्होंने उसे बंधक बनाया है. इसी विवाद में दोनों पक्षों के बीच पथराव की यह घटना हुई थी.
क्या है वायरल
बस्ती वालों और सिक्योरिटी गार्ड के बीच हो रही झड़प के वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे हैं. एक्स और फेसबुक जैसे प्लेटफॉर्म पर यूजर इसके साथ सांप्रदायिक दावा करते हुए लिख रहे हैं कि चोरी के आरोप में मेड को नौकरी से निकाले जाने के बाद बांग्लादेशियों ने महागुन सोसायटी पर हमला कर दिया. (आर्काइव लिंक)
पड़ताल में क्या मिला
घटना से संबंधित मीडिया रिपोर्ट और पुलिस बयान के जरिए हमने पाया कि यह साल 2017 की घटना है.
घटना आठ साल पुरानी है
संबंधित कीवर्ड सर्च करने पर हमें साल 2017 की इस घटना से जुड़ी कई न्यूज रिपोर्ट मिलीं, जिनमें वायरल वीडियो वाले विजुअल शामिल थे. जी न्यूज की वीडियो रिपोर्ट के मुताबिक, घटना 12 जुलाई 2017 की है.
रिपोर्ट के मुताबिक, नोएडा सेक्टर 78 में स्थित महागुन मॉडर्न सोसायटी के निवासी हर्षित सेठी ने अपनी मेड जोहरा बीबी पर 17,000 रुपये की चोरी का आरोप लगाया था. इसके बाद आरोपी के परिवार और पास की बस्ती के लोगों ने इकट्ठा होकर सोसायटी में घुसकर हमला किया. इसे रोकने के लिए नोएडा पुलिस को मौके पर तीन थानों से फोर्स बुलानी पड़ी थी.
इंडिया टीवी की वीडियो रिपोर्ट में पुलिस के हवाले से कहा गया कि सोसायटी निवासियों का आरोप था कि मेड ने पैसे चोरी करने की बात कबूली भी थी. उसके बाद काम करके चली गई थी. इस रिपोर्ट में हर्षित और बस्ती वालों के बयान भी मौजूद हैं.
तब सोसायटी ने बांग्लादेशी कामगारों पर लगाया था प्रतिबंध
क्विंट और इंडिया टीवी की एक रिपोर्ट में बताया गया हमला करने वाली भीड़ में ज्यादातर बांग्लादेशी प्रवासी शामिल थे जो पास की बस्ती में रहते थे. घटना के बाद से महागुन सोसायटी के लोगों ने बांग्लादेशी कामगारों पर प्रतिबंध लगा दिया था.
हालांकि पुलिस ने जोहरा बीबी के अवैध प्रवासी होने वाले दावे का खंडन किया था और कहा था कि उसके पास सभी संबंधित दस्तावेज मौजूद थे. नोएडा पुलिस ने इस पथराव के सिलसिले में चार लोगों पर एफआईआर दर्ज की थी और 13 लोगों को गिरफ्तार किया गया था.
पूरे घटनाक्रम पर तत्कालीन एसपी सिटी नोएडा का एक बयान देखा जा सकता है, जिसमें वह दोनों पक्षों के आरोप-प्रत्यारोप पर बात रख रहे हैं. इस बयान में मेड के बांग्लादेशी होने के दावे पर एसपी अरुण कुमार कहते हैं कि अबतक की जांच में ऐसा सामने नहीं आया है कि इसमें कोई बांग्लादेशी है.
अधिक जानकारी के लिए हमने अरुण कुमार सिंह से भी संपर्क करने की कोशिश की, वह वर्तमान में चित्रकूट में पोस्टेड हैं. इनका जवाब आने पर लेख को अपडेट कर दिया जाएगा.
इसके अलावा वायरल वीडियो के संबंध में नोएडा के अपर पुलिस उपायुक्त ने भी बूम को बताया कि यह हाल का नहीं, करीब सात साल पुराना वीडियो है.