बांग्लादेश में लिंचिंग की घटना को न्यूज आउटलेट ने दिया गलत सांप्रदायिक रंग
बूम ने पाया कि मामले में मृतक व्यापारी के हिंदू होने का दावा गलत है. उसकी पहचान मोहम्मद सोहाग उर्फ लाल चंद के रूप में हुई, जो कि मुस्लिम था.

बांग्लादेश के ढाका में जबरन वसूली के विवाद में 9 जुलाई 2025 को एक मुस्लिम कबाड़ व्यापारी की पीट-पीटकर हत्या कर दी गई. कई भारतीय मीडिया आउटलेट और सोशल मीडिया यूजर ने घटना को सांप्रदायिक रंग देते हुए भ्रामक तरीके से पीड़ित व्यापारी की पहचान हिंदू बता दी. इसके चलते इस घटना में सांप्रदायिक एंगल की गलत जानकारी फैल गई.
बूम ने फैक्ट चेक के दौरान पुष्टि की तो पाया मारा गया व्यक्ति मोहम्मद सोहाग उर्फ लाल चंद- हिंदू नहीं बल्कि मुस्लिम था. ढाका की स्थानीय पुलिस के अनुसार, उसे इस्लामी रीति-रिवाजों के अनुसार दफनाया गया. आधिकारिक बयानों में उसके पिता का नाम मोहम्मद अय्यूब अली और उसकी पत्नी का नाम लकी बेगम बताया गया है.
ओल्ड ढाका के मिटफोर्ड अस्पताल के पास हुई इस लिंचिंग की इस घटना को एक विचलित करने वाले वीडियो के जरिए व्यापक रूप से प्रसारित किया गया. वीडियो में पीड़ित को कंक्रीट के स्लैब से पीटते हुए दिखाया गया था. इसमें हमलावर उसकी मौत की पुष्टि करने के बाद उसकी बॉडी के पास नाचते हुए दिखाई दे रहे हैं. यह वीडियो सभी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर काफी वायरल हो गया, जिसके बाद बांग्लादेश में आक्रोश फैल गया. इसी क्रम में भारत में इस घटना की गलत रिपोर्टिंग हो रही है.
वायरल दावा क्या है
इंडिया टुडे, रिपब्लिक टीवी, Wion News और एनडीटीवी समेत कई भारतीय मीडिया आउटलेट ने बताया कि पीड़ित हिंदू था.
दैनिक जागरण, हिंदुस्तान, एबीपी न्यूज, न्यूज 24 और दैनिक भास्कर जैसे तमाम हिंदी आउटलेट ने भी बांग्लादेश में हुई इस घटना में पीड़ित की पहचान एक हिंदू के रूप में की. एबीपी न्यूज ने रिपोर्ट में लिखा, "बांग्लादेश की राजधानी ढाका में हिंदू कबाड़ व्यापारी लाल चंद सोहाग की बेरहमी से पीट-पीटकर हत्या कर दी गई."
वहीं हिंदुस्तान ने अपनी हेडिंग में अंतरिम सरकार के प्रमुख मोहम्मद युनुस पर निशाना साधते हुए लिखा, "बांग्लादेश में यूनुस राज में सुरक्षित नहीं हिंदू, व्यापारी को पीट-पीटकर मार डाला शव पर डांस भी किया."
इसके अलावा, कई सोशल मीडिया यूजर ने भी इन रिपोर्ट को बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया और हत्या के पीछे सांप्रदायिक मकसद का आरोप लगाया. (आर्काइव लिंक)
पड़ताल में हमने क्या पाया
स्थानीय न्यूज रिपोर्ट, आधिकारिक बयान और स्थानीय पुलिस से बात करके बूम ने वेरीफाई किया कि सोहाग हिंदू नहीं बल्कि मुस्लिम समुदाय से था.
1. जबरन वसूली के विवाद के चलते हुई हत्या
बांग्लादेशी आउटलेट Prothom Alo की रिपोर्ट के अनुसार, सोहाग एक कबाड़ व्यापारी था. उसपर जबरन वसूली करने वालों ने एक निजी विवाद की वजह से हमला किया था. इस रिपोर्ट में घटना में किसी सांप्रदायिक एंगल का कोई उल्लेख नहीं है. Alokito Bangladesh की रिपोर्ट में बताया गया कि सोहाग को उसके पैतृक गांव में उसकी मां की कब्र के बगल में इस्लामी जनाजे की नमाज के बाद दफनाया गया.
2. ढाका मेट्रोपॉलिटन पुलिस ने किया वायरल दावे का खंडन
ढाका मेट्रोपॉलिटन पुलिस के डिप्टी कमिश्नर (मीडिया और पब्लिक रिलेशन) ने सोहाग के हिंदू होने के वायरल दावे का खंडन किया और बूम बांग्लादेश को बताया कि सोहाग को दफनाया गया था. उन्होंने इस बात की पुष्टि की कि उनका अंतिम संस्कार इस्लामी रीति-रिवाजों के अनुसार किया गया था.
3. सीए प्रेस विंग ने भी किया भारतीय मीडिया के दावे को खारिज
बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार कार्यालय के प्रेस विंग ने सोशल मीडिया पर इस संबंध में एक पोस्ट डाली. पोस्ट में कहा गया कि "मोहम्मद सोहाग उर्फ लाल चंद एक मुस्लिम व्यापारी थे."
बयान में कहा गया, "उनके पिता का नाम मोहम्मद अय्यूब अली और उनकी मां का नाम अलिया बेगम है. उनके परिवार में पत्नी लकी बेगम, बहन फातिमा और बेटा सोहन हैं."
बूम बांग्लादेश के साथी तौसीफ अकबर से मिले इनपुट के साथ