महिला को घसीटते 'मौलवी' का स्क्रिप्टेड वीडियो असल घटना के रूप में वायरल
बूम ने पाया कि वायरल वीडियो असल घटना नहीं बल्कि एक स्क्रिप्टेड वीडियो है.
सोशल मीडिया पर एक स्क्रिप्टेड वीडियो को सांप्रदायिक रंग देकर असल घटना के रूप में शेयर किया जा रहा है. वीडियो इस दावे से वायरल है कि बच्चे की चाहत में मौलवी के पास पहुंची महिला को ड्रग्स देकर झाड़-फूंक के नाम पर 'ग़लत काम' करने की कोशिश की गई है. इस दौरान मौक़े पर एक हिन्दू व्यक्ति पहुंच गया और मौलवी को रंगे हाथों पकड़ लिया.
वीडियो में देखा जा सकता है कि सफ़ेद-कुर्ता पजामा पहने और टोपी लगाये एक बूढ़ा व्यक्ति जिसे मौलाना बताया गया है, सुधबुध लेटी महिला का का झाड़-फूंक करके इलाज करता नज़र आता है. इस बीच वो लगातार महिला को छू रहा होता है. इसके बाद वो उठता है और महिला को घसीटकर दूसरे कमरे में ले जाता है. तभी वीडियो शूट करने वाला युवक उसे धमकाते हुए पूछता कि आखिर वो क्या कर रहा है. इसके जवाब में बूढ़ा व्यक्ति कहता है कि वो महिला का इलाज कर रहा है क्योंकि उसे बेटा नहीं हो रहा है. उसकी पहचान पूछने पर जवाब देता है कि वो ख़ुदा का बंदा है. ख़ुदा के काम में अड़चन नहीं डाल तू..भस्म कर दूंगा.
बूम ने पाया कि वायरल वीडियो असल घटना नहीं बल्कि एक स्क्रिप्टेड वीडियो है.
नहीं, यह वीडियो हाल ही में भारत में देखे गए स्टारलिंक सैटेलाइट का नहीं है
बीजेपी के मीडिया पैनलिस्ट प्रशांत उमराव ने ट्विटर पर इस वीडियो को असल घटना के रूप में शेयर किया और लिखा, "झाड़-फूंक के नाम पर लोग मजारों में मौलवियों के पास जाते हैं. देखिए वहां क्या होता है."
ट्वीट का आर्काइव वर्ज़न यहां देखें. बूम कई मौक़ों पर प्रशांत उमराव के द्वारा किये गए फ़र्ज़ी दावों का फ़ैक्ट चेक कर चुका है.
अरुण पुदुर ने वीडियो शेयर करते हुए लिखा, "'खुदा का बंदा' मौलाना एक हिंदू महिला को 'इलाज' करने के लिए ड्रग्स देता है. उसे हिंदू कार्यकर्ताओं ने रंगेहाथ पकड़ा था."
ट्वीट का आर्काइव वर्ज़न यहां देखें.
फ़ेसबुक पर वायरल
इसी वीडियो को कई दक्षिणपंथी ग्रुप्स में सांप्रदायिक रंग देकर असल घटना के रूप में शेयर किया गया है.
हिन्दू जागृति अभियान नाम के फ़ेसबुक पेज से वीडियो शेयर करते हुए कैप्शन दिया गया, "बच्चा पैदा करने के नाम पर मौलवी ने औरत के साथ ऐसा काम किया , हिंदुओ ने पकड़ लिया. ज्यादा से ज्यादा शेयर करें इस वीडियो को ताकि इनकी सच्चाई सबको पता चल सके."
पोस्ट यहां देखें.
एक अन्य यूज़र ने वीडियो शेयर करते हुए लिखा, "उन मूर्ख हिंदुओं को कौन समझाए, जो अपनी जवान बहू बेटियों को इन जैसे मौलवियों के पास अकेले छोड़ देते हैं, औलाद पाने के लिए, देखिए आप यह मौलवी कैसे झाड़ फूंक करते हुए इसे अकेले कमरे में ले जा रहा था, और किसी सज्जन के वक्त रहते पहुंच जाने से सारा मामला सामने आया तो ये मोलवी आनाकानी करने लगा,लगता है शायद मोलवी के कमरे में कोई बच्चा पैदा करने वाली दवाई रखी होगी, जो उस औरत को दे नहीं सका."
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इसी वीडियो को न्यूज़ टाइम्स 24 ने अपने वेरिफ़ाईड चैनल से असल घटना के रूप में कवर किया है.
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फ़ैक्ट चेक
बूम ने वायरल वीडियो की सत्यता जांचने के लिए संबंधित कीवर्ड के साथ खोजबीन शुरू की. इस दौरान हमें वायरल वीडियो का फ़ुल वर्ज़न शेख असलम नाम के यूज़र द्वारा शेयर किये गए वीडियो के रूप में मिला.
11 मिनट 12 सेकंड के इस वीडियो को हमने ध्यानपूर्वक देखा और पाया कि वीडियो के अंत में 11:50 मिनट की समयावधि पर एक डिस्क्लेमर दिखाई पड़ता है, जिसमें स्पष्ट लिखा है कि इस वीडियो में सब कुछ काल्पनिक है और इसमें दिखाई गई घटना वास्तविक नहीं है.
जांच के दौरान हमने स्क्रिप्टेड वीडियो बनाने वाले तमाम डिजिटल क्रिएटर के फ़ेसबुक पेजों को खंगाला. इस दौरान हमें वायरल वीडियो में मौलवी/मौलाना का रूप किरदार निभाने वाला बूढ़ा व्यक्ति एक दूसरे वीडियो में दादा का किरदार निभाते हुआ मिला.
एबीसी प्रैंक नाम के फ़ेसबुक पेज पर अपलोड किये गए वीडियो में बूढ़ा व्यक्ति प्यार में पागल हुए एक लड़के के दादा का अभिनय करते हुए देखा जा सकता है.
इसके अलावा, हमने उसी बूढ़े व्यक्ति को एक अन्य वीडियो में 'अय्याश बूढ़ा' का किरदार निभाते हुए देखा.
तुक्का प्रोडक्शन के इस वीडियो में बूढ़ा व्यक्ति ऑफिस जाने के बहाने जवान लड़की के साथ रंगरेलियां मनाते हुए देखा जा सकता है, जिसे वीडियो शूट करने वाले युवक रंगे हाथों पकड़ते हैं.
हमने वायरल वीडियो और दो अन्य वीडियो में अलग-अलग किरदार निभाने वाले बूढ़े व्यक्ति के बीच तुलनात्मक विश्लेषण किया है. नीचे देखें.
हमने अपनी जांच में पाया कि एबीसी प्रैंक और तुक्का फ़ेसबुक पेज की इन दोनों वीडियो का प्रोडक्शन 'तुक्का प्रोडक्शन' के बैनर तले किया गया है. हालांकि, इन दोनों फ़ेसबुक पेजों पर वायरल वीडियो नहीं मिला.
हमने इस संदर्भ में जानकारी प्राप्त करने के लिए तुक्का प्रोडक्शन से संपर्क किया है. यदि हमें उधर से जवाब मिलता है तो उसे स्टोरी में अपडेट कर दिया जायेगा.
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बूम ने बीते कुछ महीनों में ऐसे तमाम वीडियो क्लिप्स का फ़ैक्ट चेक किया है जिन्हें सांप्रदायिक रंग देकर, बच्चा चोरी, अनैतिक विवाह के ग़लत दावे के साथ असल घटना के रूप में शेयर किया गया था. हम अपनी जांच में पाते हैं कि ये वीडियोज़ असल में स्क्रिप्टेड होते हैं, और इनका किसी भी असल घटना से संबंध नहीं होता. आप हमारी फ़ैक्ट चेक रिपोर्ट्स यहां पढ़ सकते हैं.