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फैक्ट चेक

जामिया के छात्रों का वक्फ संशोधन बिल को लेकर प्रदर्शन का दावा गलत है

बूम ने जांच में पाया कि जामिया यूनिवर्सिटी के छात्र अपनी अलग-अलग मांगों को लेकर प्रदर्शन कर रहे थे. इसका वक्फ संशोधन बिल से कोई संबंध नहीं है.

By -  Jagriti Trisha
Published -  24 Feb 2025 9:53 AM
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    Fact Check on Jamia protest
    CLAIMजामिया में छात्र वक्फ बिल के खिलाफ आंदोलन कर थे, जिन्हें दिल्ली पुलिस ने हिरासत में ले लिया.
    FACT CHECKबूम ने पाया कि वायरल दावा गलत है जामिया यूनिवर्सिटी के छात्र वक्फ संशोधन बिल को लेकर नहीं बल्कि अपनी अलग-अलग मांगों को लेकर प्रदर्शन कर रहे थे.

    दिल्ली स्थित जामिया मिल्लिया इस्लामिया विश्वविद्यालय इन दिनों चर्चा में है. इसी बीच सोशल मीडिया पर एक दावा वायरल हुआ, जिसमें कहा गया कि जामिया के छात्र वक्फ संशोधन बिल को लेकर प्रदर्शन कर रहे थे.

    बूम ने पाया कि वायरल दावा गलत है. जामिया के छात्र-छात्राएं वक्फ बिल को लेकर नहीं बल्कि अपनी अलग-अलग मांगों को लेकर आंदोलन कर रहे थे.

    यह दावा वायर एजेंसी IANS की एक वीडियो क्लिप को शेयर करते हुए किया गया जिसमें जामिया कैंपस के बाहर भारी संख्या में सुरक्षा बल तैनात दिख रहे हैं.

    एक्स पर इस क्लिप को शेयर करते हुए एक यूजर ने लिखा, 'जामिया में कई दिन से कुछ अराजक CAA की तरह वक्फ बिल पर भी ड्रामा शुरू कर रहे थे. दिल्ली पुलिस ने उन्हें उठा लिया है, जामिया में फोर्स तैनात है.'


    पोस्ट का आर्काइव लिंक.


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    फैक्ट चेक: वायरल दावा गलत है

    हमने संबंधित कीवर्ड्स के जरिए इससे जुड़ी न्यूज रिपोर्ट की तलाश की. लाइव हिंदुस्तान की 14 फरवरी 2025 की एक खबर में बताया गया कि 10 फरवरी से जामिया के छात्र अपनी विभिन्न मांगों को, खासकर कारण बताओ नोटिस दिए जाने को लेकर विश्वविद्यालय प्रशासन के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे थे.

    इस दौरान 13 फरवरी की सुबह 14 छात्रों को दिल्ली पुलिस ने हिरासत में ले लिया. खबरो में कहीं भी वक्फ बिल वाला कोई एंगल नहीं बताया गया था.

    हमने छात्रों की मांगों से संबंधित मीडिया रिपोर्ट्स की तलाश की. दैनिक जागरण की 17 फरवरी की रिपोर्ट में बताया गया, "छात्रों की मांगों में सभी असहमत छात्रों के खिलाफ दर्ज एफआईआर, निलंबन और अनुशासनात्मक कार्यवाही रद्द करना, प्रदर्शनकारी छात्रों को कारण बताओ नोटिस जारी करना बंद करना और सभी पिछले कारण बताओ नोटिस तत्काल वापस लेना शामिल है."

    हमें पड़ताल के दौरान एडवांस सर्च की मदद से IANS के आधिकारिक एक्स हैंडल पर 13 फरवरी 2025 का मूल वीडियो भी मिला. इस वीडियो के साथ भी बताया गया कि छात्र संगठन अपनी मांगों को लेकर कई दिनों से प्रदर्शन कर रहे थे, जिनमें से कइयों को आज (13 फरवरी) हिरासत में लिया गया.



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    बूम ने इस संबंध में जामिया में हिंदी की शोधार्थी और आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभाने वाली ज्योति से बात की. ज्योति ने बूम से बातचीत में वायरल दावे खंडन किया और बताया कि यह वक्फ बिल से जुड़ा मामला नहीं है.

    ज्योति ने कहा, "15 दिसंबर को हमने 'प्रतिरोध दिवस' का कॉल दिया, जिसे हर साल जामिया मनाता है. साल 2019 में इसी दिन जामिया में छात्रों पर अटैक हुआ था. पुलिस ने लाइब्रेरी के अंदर तक घुसकर छात्रों को मारा था. तब सीएए-एनआरसी विरोधी आंदोलन चल रहा था."

    ज्योति के मुताबिक, जामिया वीसी ने इस दिन मेंटेनेंस के नाम पर कैंटीन और लाइब्रेरी बंद करवा दिए हालांकि यूनिवर्सिटी के बंद होने की कोई नोटिस नहीं आई थी. बहरहाल 16 दिसंबर को छात्रों ने इस 'प्रतिरोध दिवस' को मनाया. इसके बाद प्रशासन ने इसमें शामिल चार छात्रों को कारण बताओ नोटिस दे दिया.

    ज्योति आगे कहती हैं, "नोटिस का जवाब देने के बावजूद हमपर डिसप्लिनेरी कमेटी बैठी. इसी के खिलाफ प्रदर्शन के दौरान पुलिस ने 13 फरवरी की सुबह हमें हिरासत में भी लिया था. इन्हीं सब मुद्दों को लेकर हमने जामिया प्रशासन से कुछ मांगें रखीं. हमारी मांगों में निलंबित छात्रों और एफआईआर का मुद्दा भी शामिल है."

    क्या था पूरा मामला

    साल 2019 में जामिया में सीएए-एनआरसी के खिलाफ प्रदर्शन हुआ था. इस दौरान 15 दिसंबर 2019 को जामिया के छात्रों पर लाठीचार्ज हुआ. तब से हर साल छात्रों द्वारा इस दिन को 'प्रतिरोध दिवस' के रूप में मनाया जाता है. इसी क्रम में साल 2024 में इसकी पांचवी बरसी में शामिल छात्रों को जामिया प्रशासन ने नोटिस थमा दिया.

    इसके बाद प्रशासन के खिलाफ 10 फरवरी 2025 को छात्रों ने प्रदर्शन किया और 13 फरवरी को कई प्रदर्शनरत छात्रों को पुलिस द्वारा हिरासत में लिया गया. इस बीच जामिया प्रशासन ने अनुशासनात्मक कार्रवाही के नाम पर 17 छात्रों को निलंबित भी कर दिया.

    छात्रों द्वारा 16 फरवरी 2025 को जारी की गई प्रेस रिलीज में उनकी मांगें देखी जा सकती हैं. इनमें छात्रों के खिलाफ एफआईआर, निलंबन और अनुशासनात्मक कमिटी की कार्यवाही रद्द करने समेत कई मांगे हैं. इसमें कहीं भी वक्फ बिल से जुड़ा कोई मुद्दा शामिल नहीं है.



    जामिया द्वारा 13 फरवरी और 15 फरवरी को जारी किए गए आधिकारिक बयानों में भी वक्फ बिल का कोई जिक्र नहीं है. एक बयान में जामिया ने कहा, "छात्रों ने विश्वविद्यालय के संपत्ति को नुकसान पहुंचाया है और अन्य नियमों का उल्लंघन किया है. निवारक उपाय करते हुए, 13 फरवरी को विश्वविद्यालय प्रशासन और प्रॉक्टोरियल टीम द्वारा छात्रों को विरोध स्थल से हटा दिया है और उन्हें परिसर से बेदखल कर दिया गया."


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    Tags

    Jamia Millia Islamia UniversityStudents protestWaqf Board
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    Claim :   जामिया में छात्र वक्फ बिल के खिलाफ आंदोलन कर थे, जिन्हें दिल्ली पुलिस ने हिरासत में ले लिया.
    Claimed By :  Social Media Users
    Fact Check :  False
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