पुरानी और असंबंधित तस्वीरों को हरियाणा हिंसा से जोड़कर शेयर किया जा रहा है
बूम ने पाया कि वायरल तस्वीरों का हरियाणा के मेवात-नूंह और गुरुग्राम में हुई हिंसा से कोई संबंध नहीं है. ये तस्वीरें पुरानी हैं और अलग-अलग घटनाओं की हैं.
हरियाणा के मेवात ज़िले के नूंह में भड़की सांप्रदायिक हिंसा के बाद से सोशल मीडिया पर कई तस्वीरें वायरल हो रही हैं. इसी क्रम में चार तस्वीरों का एक सेट इस दावे के साथ शेयर किया जा रहा है कि ये नूंह की हालिया हिंसा से संबंधित हैं. इन तस्वीरों को बेहद भड़काऊ और उकसाने वाले कैप्शन के साथ शेयर किया जा रहा है.
हालांकि, बूम की जांच में सामने आया कि वायरल तस्वीरें पुरानी हैं और इनका हरियाणा के मेवात और गुरुग्राम में हुई हिंसा से कोई संबंध नहीं है.
गौरतलब है कि हरियाणा के मेवात-नूंह में सोमवार को एक धार्मिक यात्रा निकालने को लेकर दो समुदायों के बीच हिंसा भड़क उठी थी. प्रशासन के ढुलमुल रवैये के कारण हिंसा की आग गुरुग्राम तक पहुंच गई. भीड़ ने मंगलवार देर रात एक मस्जिद पर हमला कर दिया और मौलवी की हत्या कर दी. कई दुकानों और सैकड़ों वाहनों को भी आग के हवाले कर दिया गया. इस हिंसा में अब तक 2 होमगार्ड समेत 6 लोगों की मौत हो चुकी है. नूंह पुलिस ने 100 से ज़्यादा लोगों को गिरफ़्तारियां की हैं और 26 एफ़आईआर दर्ज की हैं.
ट्विटर पर चंदन शर्मा नाम के एक यूज़र ने अपने ब्लूटिक हैंडल से तस्वीरों को हिन्दुओ को उकसाते हुए भड़काऊ कैप्शन के साथ शेयर शेयर किया.
ट्वीट यहां और आर्काइव वर्ज़न यहां देखें. इस ट्वीट को अब तक तीन हज़ार से ज़्यादा बार रिट्वीट किया जा चुका है.
इन तस्वीरों को फ़ेसबुक पर भी शेयर किया जा रहा है.
पोस्ट यहां देखें. अन्य पोस्ट यहां देखें.
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फ़ैक्ट चेक
बूम ने वायरल तस्वीरों को एक-एक करके रिवर्स इमेज सर्च पर खोजा और पाया कि ये तस्वीरें पुरानी हैं और अलग-अलग घटनाओं की हैं और इनका हरियाणा के मेवात और गुरुग्राम में हुई हिंसा से कोई संबंध नहीं है.
तस्वीर - 1
हमने पाया कि दंगा नियंत्रण गियर में सड़क पर जलते हुए मलबे को देख रहे एक पुलिसकर्मी की तस्वीर 26 अगस्त, 2017 को टाइम्स ऑफ इंडिया द्वारा एक रिपोर्ट में प्रकाशित की गई थी.
रिपोर्ट के मुताबिक़, डेरा सच्चा प्रमुख गुरमीत राम रहीम सिंह को दुष्कर्म मामले में अदालत द्वारा दोषी क़रार देने के बाद उनके भक्तों ने पंचकुला समेत पूरे हरियाणा में हिंसक विरोध प्रदर्शन किया. इस प्रदर्शन के दौरान क़रीब तीन दर्जन लोगों की मौत हुई थी और सैकड़ों घायल हुए थे.
नेशनल हेराल्ड की 26 अगस्त, 2017 की रिपोर्ट में बताया गया है कि अकेले पंचकुला में डेरा सच्चा सौदा के भक्तों के उत्पात के बाद 29 लोगों की मौत हो गई थी और 250 से अधिक लोग घायल हो गए थे. इस रिपोर्ट में भी पुलिसकर्मी की वही तस्वीर मौजूद है जो वर्तमान में वायरल है. अन्य रिपोर्ट यहां देखें.
तस्वीर - 2
हमें 20 फ़रवरी 2013 को हिंदुस्तान टाइम्स द्वारा प्रकाशित एक रिपोर्ट में जलती हुई पलटी हुई कार को देखते एक पुलिसकर्मी की तस्वीर मिली.
रिपोर्ट के मुताबिक़, यह तस्वीर दो दिवसीय भारत बंद के दौरान ली गई थी, जिसे उत्तर प्रदेश के नोएडा में 11 प्रमुख ट्रेड यूनियनों द्वारा बुलाया गया था. इस दौरान नोएडा में कारखानों पर हमले हुए और हरियाणा के अंबाला में हिंसा में एक ट्रेड यूनियन कार्यकर्ता की मौत हो गई.
हमें यही तस्वीर Getty Images पर भी मिली. तस्वीर के साथ दी गई जानकारी के मुताबिक़, 20 फ़रवरी, 2013 को नोएडा में ट्रेड यूनियन की हड़ताल के दौरान एक जलती हुई कार के पास खड़ा एक भारतीय पुलिसकर्मी. अखिल भारतीय ट्रेड यूनियन की हड़ताल के दौरान हिंसा भड़कने पर कारों को जला दिया गया और कारखानों पर पथराव किया गया. सरकार की "श्रम-विरोधी" नीतियों के विरोध में ट्रेड यूनियनों द्वारा आहूत दो दिवसीय राष्ट्रव्यापी हड़ताल में भारत के लाखों श्रमिकों ने अपनी नौकरियाँ छोड़ दीं.
तस्वीर - 3
हमने वायरल पोस्ट की तीसरी तस्वीर को रिवर्स इमेज सर्च पर चलाया तो हमें यह 25 दिसंबर, 2019 को पीटीआई के हवाले से प्रकाशित टाइम्स ऑफ़ इंडिया की रिपोर्ट में मिली. तस्वीर के साथ कैप्शन में लिखा है: "शनिवार को कानपुर में नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) के ख़िलाफ़ एक प्रदर्शन के दौरान पुलिस कर्मियों की प्रदर्शनकारियों से झड़प हुई."
बूम इस तस्वीर के स्थान को गूगल मैप्स पर भी लोकेट करने में सक्षम था. यह जगह यतीमखाना पुलिस चौकी के ठीक सामने है.
तस्वीर - 4
वायरल चौथी तस्वीर में तीन पुलिसकर्मी एक व्यक्ति को घेरे हुए हैं और पुलिसकर्मी उस पर डंडा चला रहे हैं. यह तस्वीर भी 2019 में कानपुर में हुए नागरिकता संशोधन अधिनियम विरोधी प्रदर्शन की है.
हमें अपनी जांच के दौरान यह तस्वीर 21-22 दिसंबर को प्रकाशित टाइम्स ऑफ़ इंडिया और न्यूज़18 की रिपोर्ट में मिली. रिपोर्ट के मुताबिक़, तस्वीर कानपुर के बाबु पुरवा इलाक़े में नागरिकता नागरिकता संशोधन अधिनियम विरोधी प्रदर्शन के दौरान पुलिस लाठीचार्ज की है.
हमारी अब तक की जांच से यह स्पष्ट हो जाता है कि वायरल तस्वीरों का हरियाणा के मेवात और गुरुग्राम में हुई हिंसा से कोई संबंध नहीं है. ये तस्वीरें पुरानी हैं और अलग-अलग घटनाओं की हैं.
नहीं, यह तस्वीर मणिपुर यौन उत्पीड़न वीडियो के आरोपियों के समर्थन में रैली नहीं दिखाती