क्या हरिद्वार में कांवड़ियों ने मुस्लिम कार चालक को पीटा? नहीं, पीड़ित हिंदू है
बूम ने जांच में पाया कि कांवड़ियों ने जिस कार चालक के साथ मारपीट की है, उसका नाम प्रताप सिंह है और वह हिंदू है एवं बुर्का पहनी महिला उनकी परिचित हैं.
बीते सोमवार को उत्तराखंड के हरिद्वार ज़िले में कांवड़ियों द्वारा एक कार चालक को पीटे जाने और कार में तोड़फोड़ किए जाने की घटना को सोशल मीडिया पर भ्रामक दावों से शेयर किया जा रहा है. कार में बुर्क़ा पहनी एक महिला के मौजूद होने की वजह से यह दावा किया जा रहा है कि "कांवड़ियों ने हल्की सी ठोकर लगने पर हरिद्वार के मंगलौर में एक मुस्लिम पति-पत्नी की कार को पलट दिया".
हालांकि बूम ने अपनी जांच में पाया कि कांवड़ियों ने जिस कार चालक के साथ मारपीट की है उसका नाम प्रताप सिंह है और वह हिंदू है. वहीं उनके साथ मौजूद बुर्क़ा पहनी महिला उनकी परिचित हैं.
इस घटना के क़रीब चार वीडियोज शेयर हो रहे हैं. एक वीडियो में कांवड़िये कार में चालक की सीट पर बैठे एक व्यक्ति से बहस करते और चालक के साथ वाली सीट पर बैठी बुर्क़ा पहनी महिला को गाड़ी से बाहर निकालते नज़र आ रहे हैं. दूसरे वीडियो में कांवड़िये उस व्यक्ति के साथ मारपीट करते नज़र आ रहे हैं. बाकी के दो वीडियोज में कांवड़ियों द्वारा कार को पलटाकर उसमें तोड़फोड़ करते हुए देखा जा सकता है.
कई वेरिफ़ाईड ट्विटर हैंडल ने कार बैठे महिला और पुरुष को मुस्लिम दंपत्ति बताते हुए इन वीडियोज को शेयर किया है. आप ऐसे दावे वाले ट्वीट्स को यहां, यहां और यहां देख सकते हैं. इन ट्वीट्स के स्क्रीनशॉट आप नीचे देख सकते हैं.
फ़ेसबुक पर भी मौजूद वायरल दावे से जुड़े पोस्ट्स आप यहां, यहां और यहां देख सकते हैं.
फ़ैक्ट चेक
बूम ने वायरल दावे की पड़ताल के लिए सबसे पहले हरिद्वार पुलिस का आधिकारिक फ़ेसबुक अकाउंट खंगाला तो हमें 11 जुलाई 2023 को किया गया एक फ़ेसबुक पोस्ट मिला.
इस फ़ेसबुक पोस्ट में हरिद्वार पुलिस ने 10 जुलाई को मंगलौर थाना क्षेत्र की घटना बताते हुए लिखा है कि “इस घटना का किसी समुदाय विशेष से कोई संबंध नहीं है एवं क्षतिग्रस्त हुई कार के चालक स्थानीय निवासी प्रताप सिंह की शिकायत पर हरिद्वार पुलिस द्वारा उक्त मामले में मुकदमा दर्ज कर दो व्यक्तियों को गिरफ्तार किया गया है, वैधानिक कार्रवाई जारी है”.
इसके बाद हमने संबंधित कीवर्ड की मदद से न्यूज़ रिपोर्ट्स खंगाली तो हमें हिंदुस्तान टाइम्स की वेबसाइट पर 11 जुलाई 2023 को प्रकाशित रिपोर्ट मिली. इस रिपोर्ट में वायरल वीडियोज से जुड़े दृश्य फ़ीचर इमेज के रूप में मौजूद थे.
रिपोर्ट में हरिद्वार के एसएसपी अजय सिंह का बयान भी मौजूद था. एसएसपी ने बताया था कि "यह घटना 10 जुलाई की मंगलौर इलाक़े की है. कांवड़ियों ने एक कांवड़ में टक्कर लगने पर कार चालक के साथ हिंसा की थी और कार में भी तोड़फोड़ की थी. इस घटना को कुछ लोग इस दावे से शेयर कर रहे हैं कि कार में मुस्लिम दंपत्ति होने की वजह से पुलिस ने कार्रवाई नहीं की. लेकिन यह दावा सही नहीं है. पुलिस ने कार के मालिक प्रताप सिंह की शिकायत पर मामला दर्ज किया गया है”.
वहीं रिपोर्ट में यह भी बताया गया था कि कार चालक मुस्लिम नहीं बल्कि हिंदू था और उसके साथ बैठी बुर्क़ा पहनी महिला उनकी परिचित थीं.
इस दौरान हमें जागरण की वेबसाइट भी 10 जुलाई 2023 को प्रकाशित रिपोर्ट मिली. इस रिपोर्ट में मंगलौर की घटना के संबंध कई जानकारियां दी गई थी. लेकिन इसमें कार चालक के हिंदू या मुस्लिम होने का कोई ज़िक्र नहीं किया गया था. लेकिन रिपोर्ट में यह बताया गया था कि वहां मौजूद पुलिसकर्मियों ने एक मीडियाकर्मी के साथ मिलकर यात्रियों का गुस्सा शांत कराया था.
इसके बाद हमने मंगलौर में मौजूद अपने संपर्कों के माध्यम से जानकारी हासिल की , तो पता चला कि स्थानीय पत्रकार शमीम अहमद इस घटना के दौरान वहां मौजूद थे.
इसलिए हमने शमीम अहमद से संपर्क किया. शमीम अहमद ने बूम को बताया कि "यह पूरी घटना सोमवार 4 बजे शाम हरिद्वार जिले के मंगलौर कस्बे के गुड़ मंडी की है. कांवड़ यात्रा के दौरान हरिद्वार जाने या आने वाले यात्री गुड़ मंडी की कैंटीन पर रुक कर विश्राम करते हैं. सोमवार शाम को भी कैंटीन पर काफ़ी कांवड़ यात्री रूके हुए थे. तभी मंडी में अक्सर आने टिकोला ग्राम निवासी प्रताप सिंह कैंटीन के पास से कार को बाहर निकालने की कोशिश कर रहे थे.
आगे उन्होंने बताया कि "इस दौरान उनकी एक परिचित मुस्लिम महिला उनके साथ कार में सवार थी. कार बाहर निकालने के दौरान गलती से हल्की सी टक्कर कांवड़ से हो गई. इसके बाद कांवड़ यात्रियों ने कांवड़ खंडित करने का आरोप लगाकर पहले तो प्रताप सिंह के साथ मारपीट की और बाद में उनकी कार में भी तोड़फोड़ की. हालांकि इस दौरान मंडी में मौजूद कई स्थानीय लोगों ने कांवड़ यात्रियों को समझाने की भी कोशिश की, लेकिन वे नहीं माने. कांवड़ यात्रियों ने इस दौरान कार जलाने का भी प्रयास किया, लेकिन वहां मौजूद पुलिसकर्मी ने किसी तरह इसपर क़ाबू पा लिया. बाद में पुलिस ने भीड़ को उकसाने के आरोप में दो लोगों को गिरफ़्तार कर लिया".
जांच के दौरान हमने वायरल वीडियो में दिख रहे नंबर प्लेट की मदद से कार का रजिस्ट्रेशन चेक किया तो पता चला कि यह प्रताप सिंह के नाम पर पंजीकृत है.
इसके अलावा हमने जब प्रताप सिंह के मोबाइल नंबर को ट्रूकॉलर पर चेक किया तो हमें वही काली टोपी वाली उनकी तस्वीर मिली, जो उन्होंने वायरल वीडियो में भी पहन रखा है. आप इसे नीचे मौजूद तस्वीर से समझ सकते हैं.
इस दौरान हमने स्थानीय मंगलौर पुलिस से संपर्क किया. तो वहां के कोतवाली इंचार्ज महेश जोशी ने बूम को बताया कि "कार में सवार महिला-पुरुष दंपत्ति नहीं हैं. कार चालक का नाम प्रताप सिंह है और वहीं उनके साथ बैठी बुर्क़ा पहनी महिला उनकी परिचित हैं".
हमने अपनी जांच के दौरान पत्रकार शमीम अहमद की मदद से प्रताप सिंह से भी संपर्क किया तो उन्होंने पति-पत्नी वाले वायरल दावे का खंडन करते हुए साफ़ कहा कि "वह उनकी परिचित हैं और भाजपा से जुड़े होने के कारण वे एक दूसरे को जानते हैं". इसके अलावा उन्होंने अपने सिर पर काली टोपी पहनने को लेकर कहा कि "यह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सदस्यों द्वारा पहनी जाने वाले टोपी है".
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