कांग्रेस नेता कमलनाथ का पुराना वीडियो आगामी चुनाव से जोड़कर झूठे दावे से वायरल
बूम ने अपनी जांच में पाया कि वायरल वीडियो नवम्बर 2018 से इन्टरनेट पर मौजूद है और इसके साथ किया जा रहा सांप्रदायिक दावा ग़लत है.
सोशल मीडिया पर कांग्रेस नेता कमलनाथ का अपने समर्थकों को सम्बोधित करते हुए एक वीडियो वायरल हो रहा है. वीडियो के साथ दावा किया जा रहा कि कमलनाथ अपने समर्थकों से चुनाव के बाद हिन्दुओं को निपटाने की बात कह रहे हैं. आगे दावा किया जा रहा है कि कमलनाथ एक गद्दार और नकली हिन्दू हैं इसलिए वह हिन्दुओं और आरएसएस को निपटाने की बात कर रहे हैं. वीडियो में कमलनाथ के साथ कमरे में तमाम मुस्लिम कार्यकर्ता नज़र आ रहे हैं.
सोशल मीडिया यूज़र्स कांग्रेस और कमलनाथ का बहिष्कार करने की अपील के साथ इस वीडियो को शेयर कर रहे हैं.
दरअसल आगामी कुछ महीनों में मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनाव होने हैं और इसे लेकर सभी राजनितिक पार्टियां ने जोर-शोर से तैयारियां शुरू कर दी हैं. इसी सन्दर्भ में इस वीडियो को शेयर कर कांग्रेस के हिन्दू विरोधी होने का दावा किया जा रहा है.
बूम ने अपनी जांच में पाया कि वायरल वीडियो नवम्बर 2018 का है और उसके साथ किया जा रहा दावा ग़लत है.
फ़ेसबुक पर एक यूज़र ने वीडियो शेयर करते हुए लिखा, "*"हिन्दूओं को निपटा देंगे,अभी सहन कर लो"* बंद कमरे में गुप्त मीटिंग...अपने खास वोटरों को बात समझाते हुए कांग्रेस के बड़े नेता कमलनाथ ये गद्दार नकली हिन्दू है, RSS और हिन्दुओं को निपटाने की बात कर रहा है इनका पूर्ण बहिष्कार करें ये सनातन संस्कृति के दुश्मन हैं । इस वीडियो को ज्यादा से ज्यादा शेयर करे ताकि इनकी वास्तविकता सभी को पता चले।"
फ़ेसबुक पर अन्य यूज़र्स ने भी इसे इसी दावे से शेयर किया है. यहां और यहां देखें.
बूम को यह वीडियो फैक्ट चेक करने के अनुरोध के साथ टिपलाइन पर प्राप्त हुआ.
फ़ैक्ट चेक
बूम ने सबसे पहले सम्बंधित कीवर्ड्स से सर्च किया तो वायरल वीडियो के साथ बीजेपी प्रवक्ता संबित पात्रा का 14 नवम्बर 2018 का ट्वीट मिला. कमलनाथ को फेंसी हिन्दू बताते हुए संबित पात्रा ने लिखा, "कमलनाथ ने मौलवियों से वादा किया कि चुनाव के बाद हिन्दुओं से निपट लेंगे. फ़िलहाल मुस्लिमों को कांग्रेस के साथ खड़ा होना चाहिए."
वन इंडिया हिंदी के यूट्यूब चैनल पर भी 14 नवम्बर 2018 को अपलोड किया हुआ यह वीडियो मिला. इससे स्पष्ट होता है कि वायरल वीडियो हालिया नहीं बल्कि नवम्बर 2018 से का या उससे पहले का है.
इसके बाद बूम ने वायरल वीडियो को ध्यानपूर्वक सुना, उसमें कमलनाथ कहते हैं "आज इनके आरएसएस वोटर क्या कह रहे हैं? आरएसएस के जो कार्यकर्ता हैं वो क्या कर रहे हैं, मुझे जानकारी है, आरएसएस के जो लोग इन्होंने फैलाये हुए हैं. मैं छिंदवाड़ा की बात करूं, मुझे तो लोग आ के बता देते हैं. आरएसएस क्योंकि नागपुर से जुड़ा हुआ है इसलिए वहां तो उनके लिए सुबह आओ, रात को चले जाओ, बड़ा आसान है."
कमलनाथ आगे कहते हैं "उनका एक ही नारा है, अगर हिंदू को वोट देना है तो हिंदू शेर मोदी को वोट दो अगर मुसलमान को वोट देना है कांग्रेस को वोट दो. केवल दो लाइन, और कोई पाठ पढ़ाने नहीं जाते. ये इनकी रणनीति है और इसमें आप सबको बड़ा सतर्क रहना पड़ेगा. आपको उलझाने की कोशिश करेंगे. हम निपट लेंगे इनसे बाद में, पर मतदान के दिन तक आपको सब कुछ सहना पढ़ेंगा.''
वीडियो में कमलनाथ कहीं भी हिन्दुओं को निपटाने की बात नहीं करते हैं. वह आरएसएस की रणनीति से निपटने की बात करते नज़र आते हैं. निपटने और निपटाने का भावार्थ अलग होता है.
इंडिया टुडे की सितम्बर 2019 की रिपोर्ट के मुताबिक इस वीडियो पर सफाई देते हुए कमलनाथ ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा था कि "यह तीन महीने पुराना वीडियो है जिसमें मैंने कहा है कि मतदान की तारीख तक हमारा सामाजिक सौहार्द बरकरार रहना चाहिए क्योंकि आरएसएस के माध्यम से भाजपा मतदाताओं को भ्रमित करने और भड़काने की कोशिश करेगी. मैं इसे फिर से दोहरा रहा हूं. मैं वहां बैठे लोगों को चेतावनी दे रहा था कि वे गुमराह न हों. हां, मैंने कहा था कि हम उनसे निपट लेंगे. मेरा मतलब था कि जो लोग लोगों को भड़काएंगे और बांटेंगे, हम उनसे निपटेंगे. आरएसएस सभी हिंदुओं का प्रतिनिधित्व नहीं करता है."
इससे स्पष्ट होता है कि कमलनाथ का यह पुराना वीडियो ग़लत दावे से शेयर किया जा रहा है.
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