एक गुमनाम पुरानी तस्वीर भगत सिंह की बताकर ग़लत दावे से वायरल
बूम ने पाया कि भगत सिंह की कुल चार तस्वीरें मौजूद हैं और ये उसमें से एक नहीं है.
सोशल मीडिया पर एक तस्वीर बहुत वायरल हो रही है जिसके साथ दावा किया जा रहा है कि ये तस्वीर क्रांतिकारी भगत सिंह की उस समय की है जब वो अंग्रेज़ो की कैद में थे. तस्वीर में एक अधनंगा व्यक्ति जिसके हाथ और पैर बंधे हैं, को एक यूनिफ़ॉर्म पहना हुआ व्यक्ति पीट रहा है. तस्वीर के एक कोने में अखबार की कटिंग लगी हुई है, जिसपर मोटे अक्षरों में लिखा है 'असेंबली में डटकर विरोध किया था'. तस्वीर के माध्यम से गांधी और नेहरू को निशाना बनाया जा रहा है.
बूम ने पाया कि शहीद-ए-आज़म भगत सिंह की कुल चार ही तस्वीरें उपलब्ध हैं, और वायरल तस्वीर उन में से एक नहीं है.
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फ़ेसबुक पर एक यूज़र Anantdev Kumar ने इस तस्वीर को शेयर करते हुए लिखा है,'||इंकलाब जिंदाबाद|| भारत माता की आजादी के लिए अंग्रेजी सरकार के कोड़े खाते भगत सिंह जी की तस्वीर उस समय के अखबार में छपी थी ताकि और कोई भगत सिंह ना बने हिंदुस्तान में | क्या गांधी-नेहरू की ऐसी तस्वीर है आपके पास जिसमें वो... खैर छोड़िए | आजादी तो गांधी के चरखे ने ही दिलाई है | ||भारत माता की जय||'
फ़ेसबुक पर अनेक यूज़र ने ये तस्वीर ऐसी ही कैप्शन के साथ पोस्ट की है.
यही तस्वीर 2-3 महिना पहले ट्विटर पर भी काफ़ी वायरल रही है. जिसे आप यहाँ देख सकते हैं .
फ़ैक्ट चेक
बूम ने वायरल तस्वीर का रिवर्स इमेज सर्च किया तो 2019 में Byline Times में प्रकाशित एक लेख मिला। लेख में यही तस्वीर है, जिसमें लिखा है, '1919 में अमृतसर नरसंहार के बाद भारतीयों को कोड़े मारे गए'.
जलियांवाला बाग हत्याकांड को ही यहां अमृतसर नरसंहार कहा गया है जो 13 अप्रैल, 1919 को अमृतसर, पंजाब में हुआ था. इस दिन कार्यवाहक ब्रिगेडियर-जनरल रेजिनाल्ड डायर ने बैसाखी मनाने के लिए जलियांवाला बाग में एकत्रित निहत्थे नागरिकों की भीड़ पर ब्रिटिश भारतीय सेना के सैनिकों को गोलियां चलाने का आदेश दिया था.
फिर हमने 'इंडियन्स', 'फ़्लॉगड', 'अमृतसर', '1919' और 'नरसंहार' शब्दों के कीवर्ड के साथ सर्च किया और कई लेखों में इसी तरह के कैप्शन के साथ एक ही तस्वीर मिली। द क्लेरियन में 17 अप्रैल, 2019 को जलियांवाला बाग नरसंहार के नायकों को याद करते हुए, प्रकाशित एक लेख में इस तस्वीर को '1919 में तत्कालीन पंजाब में कोड़े मारने' के कैप्शन के साथ छापा गया है.
सबरंग इंडिया की वेबसाइट पर प्रकाशित एक अन्य लेख में इसी कैप्शन के साथ यह तस्वीर है. कैप्शन के अनुसार अगर हम यह निष्कर्ष निकालते हैं कि तस्वीर 1919 की है, तो उस समय भगत सिंह 12 साल के थे.
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बूम ने फिर जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के सेवानिवृत्त प्रोफेसर चमन लाल द्वारा संपादित पुस्तक भगत सिंह रीडर में ढूंढा. प्रोफेसर चमन लाल भगत सिंह अभिलेखागार और संसाधन केंद्र, दिल्ली अभिलेखागार के मानद सलाहकार हैं.
इस पुस्तक में भगत सिंह के पत्र, तार, नोटिस के साथ-साथ जेल नोटबुक सहित उनके सभी लेखन का एक विशाल संग्रह प्रस्तुत किया गया है. पुस्तक में युवा क्रांतिकारी की चार तस्वीरें भी संग्रहीत हैं जिनके साथ स्पष्ट रूप से लिखा है कि 'भगत सिंह की केवल चार तस्वीरें मिलीं' हैं.
इसी पुस्तक में छपी तस्वीरें आप नीचे देख सकते हो.
उपरोक्त तस्वीरें शहीद-ए-आज़म भगत सिंह की चार सबसे व्यापक रूप से साझा की जाने वाली तस्वीरें हैं.
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बूम स्वतंत्र रूप से यह सत्यापित करने में असमर्थ रहा कि वायरल तस्वीर में दिखाया गया व्यक्ति कौन है.