वाराणसी के घाटों पर बंदरों को खाना खिलाती पुलिस का AI Generated वीडियो वायरल
बूम ने फैक्ट चेक में पाया कि यह वीडियो आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की मदद से तैयार किया गया है.

सोशल मीडिया पर यूपी पुलिस द्वारा वाराणसी के घाटों पर जन्माष्टमी के अवसर पर बंदरों को भोजन कराए जाने के दावे से एक फर्जी वीडियो वायरल हो रहा है. बता दें कि पूरे देश में बीते 16 अगस्त को जन्माष्टमी का त्योहार मनाया गया था.
कई एआई डिटेक्शन टूल ने इसकी पुष्टि की कि यह वीडियो आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की मदद से जनरेट किया गया है.
सोशल मीडिया पर क्या है वायरल
करीब 40 सेकंड लंबे इस वीडियो में वाराणसी के विभिन्न घाटों पर पुलिस की मौजूदगी में पंगत में बिठाकर बंदरों को केले के पत्ते पर भोजन कराते हुए दिखाया गया है. एक्स, फेसबुक और इंस्टाग्राम जैसे प्लेटफॉर्म पर यूजर इसे सच मानकर शेयर कर रहे हैं.
एक वेरिफाइड एक्स यूजर ने इसके जरिए उत्तर प्रदेश पुलिस पर निशाना साधा और लिखा, 'उत्तर प्रदेश पुलिस तो यहां बिजी है, फिर चाहे प्रदेश में बलात्कार हो, आर्मी के जवान को टोलकर्मियों द्वारा पीटा जाए, गोलियां चलें या कानून व्यवस्था की धज्जियां उड़ी हों मगर सनातन की सेवा में कमी नहीं रहनी चाहिए.' (आर्काइव लिंक)
वहीं इंस्टाग्राम और फेसबुक पर कुछ यूजर ने इस वीडियो को साझा करते हुए इसे सनातन धर्म की आस्था और प्रेम का प्रतीक बताया.(आर्काइव लिंक)
पड़ताल में क्या मिला
वीडियो के विश्लेषण और एआई डिटेक्शन टूल के जरिए हमने पाया कि यह वीडियो वास्तविक नहीं है इसे एआई की मदद से बनाया गया है.
वीडियो में मौजूद हैं गड़बड़ियां
वीडियो को ध्यान से देखने पर कई गड़बड़ियां साफ नजर आती हैं. इसमें पीछे लोग अस्वाभाविक और काल्पनिक तरीके से चलते हुए दिख रहे हैं. पुलिसकर्मियों के हाथों में जो झंडे नजर आ रहे हैं, उन पर लिखावट अस्पष्ट है. इसके अलावा एक दृश्य में पुलिसकर्मियों के कंधे पर रखी बंदूक हवा में लटकी हुई दिखती है, क्योंकि उसी तरफ के हाथ में वह झंडा पकड़े हुए हैं.
एआई कंटेंट अपलोड करने वाले यूट्यूब चैनल पर मिला वीडियो
गूगल रिवर्स इमेज सर्च की मदद से यही वीडियो हमें Cg27 Nishad Arts नाम के एक यूट्यूब चैनल पर मिला. यहां यह वीडियो 30 जुलाई को अपलोड किया गया था, जो दर्शाता है कि यह 16 अगस्त यानी जन्माष्टमी के पहले से ही इंटरनेट पर मौजूद है.
दीपक निषाद नाम के इस क्रिएटर ने अपने यूट्यूब चैनल के 'अबाउट' सेक्शन में बताया है कि वह अपने प्लेटफॉर्म पर एआई शॉर्ट्स वीडियो अपलोड करते हैं. उनके चैनल पर इस तरह के कई एआई जनित वीडियो देखे जा सकते हैं.
एआई डिटेक्शन टूल ने की पुष्टि
पुष्टि के लिए हमने वीडियो को दो हिस्सों में बांटकर इसे AI डिटेक्शन टूल Hivemoderation पर चेक किया, इस टूल ने पहले हिस्से के एआई जनित होने के संभावना 99.1 प्रतिशत और दूसरे हिस्से के एआई जनित होने के संभावना 99.9 प्रतिशत जताई.
इसके अलावा हमने University at Buffalo की मीडिया फॉरेंसिक लैब द्वारा बनाए गए ओपन-सोर्स डिटेक्शन टूल Deepfake-O-Meter की मदद से भी वीडियो का विश्लेषण किया. इस टूल के ज्यादातर डिटेक्शन मॉडल ने इसके एआई के मदद से बनाए जाने के स्पष्ट संकेत दिए.


