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फैक्ट चेक

1983 में बनी फ़िल्म का क्लिप जेल में बंद सावरकर के दुर्लभ वीडियो के दावे से वायरल

बूम ने अपनी जांच में पाया कि वायरल क्लिप 1983 में बनी फ़िल्म के कई हिस्से को एडिट करके तैयार किया गया है.

By -  Runjay Kumar
Published -  30 Nov 2022 5:43 PM IST
  • 1983 में बनी फ़िल्म का क्लिप जेल में बंद सावरकर के दुर्लभ वीडियो के दावे से वायरल

    सोशल मीडिया पर 1 मिनट 39 सेकेंड का एक वीडियो क्लिप काफ़ी वायरल हो रहा है. इस क्लिप में जेल में बंद एक शख्स के जीवन को दिखाया गया है. इस वीडियो क्लिप को सोशल मीडिया पर इस दावे के साथ शेयर किया जा रहा है कि "वीडियो में दिख रहे शख्स विनायक दामोदर सावरकर हैं और यह वीडियो ब्रिटिश पत्रकार ने अंडमान जेल जाकर अपने कैमरे में कैद किया था. साथ ही यह भी दावा किया जा रहा है कि इस फुटेज को बीबीसी ने भी अपने चैनल पर दिखाया था".

    वायरल वीडियो में जिस शख्स को विनायक दामोदर सावरकर बताया जा रहा है, वे कभी जेल की कोठरी में अकेले बैठे दिखाई देते हैं तो कभी जेल की दीवार पर कुछ लिखते हुए दिखाई देते हैं. वीडियो में वॉइस ओवर भी मौजूद है, जिसमें उस शख्स के अनभुवों को बताया जा रहा है.

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    वीडियो को इस कैप्शन के साथ सोशल मीडिया पर शेयर किया जा रहा है, जिसमें लिखा हुआ है, "एक ब्रिटिश पत्रकार ने अंडमान की जेल में जाकर वीर विनायक दामोदर सावरकर का वीडियो फुटेज लिया था वह दुर्लभ फुटेज बीबीसी ने भी अपने चैनल पर दिखाया था आप एक बार यह दुर्लभ फोटो देखिए जिसमें एक छोटी सी कोठी में वीर सावरकर कैद हैं".


    फ़ेसबुक पर वायरल दावे से जुड़े अन्य पोस्ट्स आप यहां, यहां और यहां देख सकते हैं.

    फ़ैक्ट चेक

    बूम ने वायरल वीडियो के साथ किए जा रहे दावे की पड़ताल के लिए सबसे पहले वीडियो को ध्यान से देखा तो पाया कि केंद्रीय सूचना मंत्रालय के अधीन आने वाले फ़िल्म्स डिविजन का लोगो नीचे मौजूद है, जो अलग अलग सामजिक मुद्दों पर फ़िल्म बनाती है और साथ ही देश में फ़िल्म उद्योग को बढ़ावा देने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है.

    इसके बाद हमने संबंधित कीवर्ड की मदद से यूट्यूब सर्च किया तो हमें 14 अगस्त 2014 को सूचना मंत्रालय के वेबसाइट पर अपलोड किया गया एक वीडियो मिला. इस वीडियो का टाइटल अंग्रेज़ी में मौजूद था, जिसका हिंदी अनुवाद है 'श्री विनायक दामोदर सावरकर की जिंदगी'.


    वीडियो के डिस्क्रिप्शन के अनुसार यह फ़िल्म विनायक दामोदर सावरकर के जिंदगी के अलग अलग हिस्सों को दिखाती है.वीडियो के शुरूआती हिस्से में ही इस फ़िल्म का क्रेडिट फ़िल्म डिविजन को दिया गया है

    हमने जब इस वीडियो को पूरा देखा तो पाया कि वायरल हो रहा वीडियो यूट्यूब पर मौजूद लंबे वीडियो क्लिप के अलग अलग हिस्से को एडिट करके तैयार किया गया है. जैसे वायरल वीडियो के शुरूआती हिस्से में जब जेल की कोठरी में सावरकर का किरदार निभाने वाले उस शख्स को दिखाया जाता है तो वह करीब 25:08 से मौजूद है.


    इसी तरह वायरल वीडियो में दिख रहे अन्य दृश्य यूट्यूब पर मौजूद लंबे वीडियो के 27:25, 28:04 और 29:40 मिनट पर देखे जा सकते हैं.

    अभी तक प्राप्त जानकारियों के आधार पर यह तो साफ़ हो गया था कि वायरल वीडियो किसी ब्रिटिश पत्रकार के द्वारा तैयार किए गए फ़िल्म का नहीं बल्कि फ़िल्म डिविजन के द्वारा सावरकर की जिंदगी पर तैयार की गई एक फ़िल्म का एडिटेड क्लिप है.

    इसके बाद हमने फ़िल्म्स डिविजन की वेबसाइट पर जाकर इस फ़िल्म से जुड़ी जानकारी को भी खोजा तो पाया कि वेबसाइट पर सावरकर की जिंदगी पर बनी फिल्मों के तीन अलग अलग वर्जन का जिक्र किया गया है. ये तीनों ही फ़िल्में प्रेम वैद्य के द्वारा निर्देशित की गई हैं. साथ ही वेबसाइट पर यह भी बताया गया है कि तीनों फ़िल्में 1983 में ही तैयार की गई हैं.


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    Tags

    savarkarOld videofake cliamFact Check
    Read Full Article
    Claim :   ये वीडियो अंडमान जेल में बंद रहे सावरकर का है जिसे एक ब्रिटिश पत्रकार ने रिकॉर्ड किया था.
    Claimed By :  Facebook Users
    Fact Check :  False
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