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डिकोड

कोलकाता: डॉक्टर की मौत से सदमे में डूबा परिवार फेक न्यूज से भी लड़ रहा है

Decode ने मृतक डॉक्टर के परिवार से मुलाकात की, उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर फैली कई अफवाहों का खंडन किया है.

By - Swasti Chatterjee | 20 Aug 2024 2:35 PM GMT

पश्चिम बंगाल के कोलकाता स्थित आरजी कर मेडिकल कॉलेज ऐंड हॉस्पिटल में 31 वर्षीय मेडिकल छात्रा के साथ रेप और हत्या की वारदात को एक हफ्ते से ज्यादा बीत चुका है. लेकिन बेटी की मौत से जूझते परिवार के लिए सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर फैल रही अफवाहों ने जीवन और कष्टकारी बना दिया है. 

9 अगस्त को कोलकाता के सबसे पुराने मेडिकल कॉलेज में से एक आरजी कर मेडिकल कॉलेज में हुए रेप और हत्या की घटना के बाद से पत्रकारों और जांच अधिकारियों अक्सर घर में दौरा करने आते थे. इसके अलावा घर के बाहर इंटरनेट इंफ्लुएंसर का भी जमावड़ा लगने लगा था. हालांकि कोलकाता के बाहरी इलाके में स्थित यह घर अब वीरान सा लगता है. सिवाय इसके कि वहां पर 24x7 घंटे पुलिसकर्मी तैनात हैं.

पीड़िता की एक महिला रिश्तेदार ने बूम Decode को बताया, "हम बहुत परेशान हैं और हम चाहते हैं कि पुलिस कुछ कार्रवाई करे. सोशल मीडिया पर हमारी बेटी के शव को हमारे घर से अंतिम संस्कार के लिए ले जाते हुए भी दिखाया गया है.”

सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर इस बात को लेकर अफवाहें फैली हुई हैं कि परिवार को सबसे पहले किसने फोन किया था, कोलकाता पुलिस ने या फिर अस्पताल प्रशासन ने. मृतक डॉक्टर के पिता ने डिकोड को बताया, "अस्पताल के असिस्टेंट सुपर ने हमें हमारी बेटी की मौत के बारे में जानकारी दी थी. पुलिस ने हमसे कुछ भी नहीं कहा, बस हमें फोन किया और जल्दी से वहां आने के लिए कहा.”

सोशल मीडिया पर इस बात का भी दावा किया जा रहा है कि परिवार को महिला डॉक्टर की आत्महत्या से मौत की सूचना दी गई थी. पिता ने डिकोड से कहा, "अस्पताल के असिस्टेंट सुपर ने हमें बताया कि उसने आत्महत्या की है, लेकिन हम यह जानते हैं कि यह असंभव है. इसलिए 9 अगस्त की तरफ दौड़े और दोपहर 1 बजे वहां पहुंचे." 

इस घटना को लेकर पिछले कुछ दिनों से प्रदर्शनकारी महिलाओं की सुरक्षा की मांग को लेकर सड़कों पर उतरे हैं. प्रदर्शनकारियों में से कइयों का आरोप है कि ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली पश्चिम बंगाल सरकार ने इस मामले को दबाने की कोशिश की है.

इसी बीच ममता बनर्जी ने 16 अगस्त को सीबीआई से 18 अगस्त तक अपनी जांच पूरी करने की मांग की थी ताकि मृतक जूनियर डॉक्टर को जल्द से जल्द न्याय मिल सके. कलकत्ता उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ ने 13 अगस्त को यह मामला कोलकाता पुलिस से केंद्रीय एजेंसी को सौंप दिया था.

अस्पताल के इमरजेंसी डिपार्टमेंट में 14 अगस्त की देर रात 12:40 बजे के आसपास एक भीड़ द्वारा तोड़फोड़ करने के मामले में पुलिस ने शुक्रवार दोपहर तक 20 लोगों को गिरफ्तार किया है.

परिवार को जिस दिन अपनी बेटी के कॉलेज आने के लिए फोन किया गया, वे दोपहर 1 बजे तक कॉलेज पहुंच गए थे. हालांकि, पीड़िता के पिता ने डिकोड को बताया कि उन्हें अपनी बेटी का पार्थिव शरीर देखने के लिए तीन घंटे इंतजार करना पड़ा था. उन्होंने कहा, "अस्पताल ने पहले दिन से ही हमारे साथ सहयोग नहीं किया."

फेसबुक पर संबंधित कीवर्ड से सर्च करने पर महिला डॉक्टर के कफन में लिपटे शव को शववाहन में रखने की विचलित करने वाली तस्वीरें और वीडियो देखने को मिल जाती हैं. 

इंटरनेट यूजर्स ने इन तस्वीरों और वीडियो के बैकग्राउंड में दुखी संगीत और पीड़िता की तस्वीर लगाकर एडिट कर दिया है. पीड़िता की चाची ने कहा, "यह कितना असंवेदनशील है. ये फोटो वीडियो उन्हें कैसे मिल रहे हैं?"

पीड़िता पर हुए बर्बर हमले से कुछ हफ्ते पहले ही दो मंजिला इमारत के गेट पर उसके नाम वाली नेमप्लेट लगाई गई थी. पीड़िता की महिला रिश्तेदार ने कहा, "लोग मेरी भतीजी के नाम वाली नेमप्लेट की तस्वीरें क्लिक कर रहे थे. अब कोई प्राइवेसी नहीं बची है."

पुलिस ने इलाके और मृतक डॉक्टर के घर की ओर जाने वाली गली के एंट्री पॉइंट को घेर लिया है. साथ ही गली में रहने वाले लोगों और पीड़ित परिवार के अलावा वहां अन्य किसी के प्रवेश पर रोक लगा दी गई है.

हालांकि राहगीर अब भी गली के सामने रुककर झट से तस्वीर क्लिक कर लेते हैं और फिर ऑन-ड्यूटी तैनात पुलिस द्वारा वहां भगाए जाते हैं. रिपोर्टर की पीड़िता की रिश्तेदार से बातचीत को भी एक शख्स रिकॉर्ड करने लगा. इस पर रिश्तेदार ने फटकार लगाते हुए कहा, "आप इसे रिकॉर्ड क्यों कर रहे हैं? और फिर इसे (ऑनलाइन) फैला रहे हैं."

मृतक डॉक्टर का परिवार सोशल मीडिया पर चल रहे किस्सों और कहानियों से काफी परेशान है, खासकर फेसबुक पर फैली फर्जी सूचनाओं से. शोक में डूबे पिता ने डिकोड से कहा, "सोशल मीडिया पर कई लोग बेहद घटिया बातें लिख रहे हैं. हम चाहते हैं कि मीडिया वाले लोग इसके बारे में कुछ करें."

सोशल मीडिया गलत सूचनाओं से भरा हुआ है, जिनमें से कुछ में पीड़िता का नाम और उसकी तस्वीरें भी हैं. कोलकाता पुलिस की साइबर शाखा ने तब से कई चेतावनियां और नोटिस भी जारी किए हैं. साइबर पुलिस ने सोशल मीडिया पर कथित तौर पर अफवाहें फैलाने वाले 60 लोगों को तलब भी किया है.

फेसबुक पोस्ट में यह भी दावा किया गया था कि जब परिवार 10 अगस्त को अपनी बेटी का शव घर ला रहा था, तब एक राजनीतिक दल ने उन्हें रोका था. इसके बारे में पूछे जाने पर पिता ने स्पष्ट किया कि, "हमें घर वापस जाते समय किसी ने नहीं रोका था."

सोशल मीडिया पर कुछ पोस्ट में यह भी आरोप लगाया गया है कि घटना के बाद उनकी बेटी की कार के साथ भी तोड़फोड़ की गई. पीड़िता की मां ने स्पष्ट किया, "हमारी कार को कोई नुकसान नहीं पहुंचाया गया. जब हम अस्पताल परिसर से बाहर निकल रहे थे, तो पुलिस चाहती थी कि हम जल्दी वहां से निकल जाएं." 

कोलकाता पुलिस ने अब तक महिला डॉक्टर के साथ बलात्कार और हत्या के मामले में एक व्यक्ति को गिरफ्तार किया है. रिपोर्ट के मुताबिक, “आरोपी संजय रॉय ने अपना अपराध स्वीकार कर लिया है और उसे कोई पछतावा नहीं है.”

14 अगस्त को जब हजारों लोग 'रिक्लेम द नाइट' प्रोटेस्ट में सड़कों पर प्रदर्शन कर रहे थे, तब महिला डॉक्टर के माता-पिता भी टीवी पर इसे देख रहे थे. उन्होंने कहा, "हम भी विरोध प्रदर्शन देख रहे हैं. मेरे बेटे और बेटियां सड़कों पर हैं. वे किसी राजनीतिक दल से नहीं हैं. वे मेरी बेटी के लिए लड़ रहे हैं, जिसे वे अपनी बहन मानते हैं."

(अतिरिक्त रिपोर्टिंग: श्रीजीत दास)