फैक्ट चेक
क्या ईद-ए-मिलाद में फहराए गए पाकिस्तानी झंडे !
मिलाद-उन नबी के पर्व को पाकिस्तानी झंडो के साथ जोड़ कर गलत सन्दर्भ में किया जा रहा है वायरल
दावा: यह कोई पाकिस्तान का सीन नही है बल्कि खंडवा में कांग्रेस की चुनावी रैली का दृश्य हैं। रेटिंग: झूठ सच्चाई: ना तो इस फोटो में दर्शाया गया झंडा पाकिस्तान का है और ना ये लोगों का जमावड़ा कांग्रेस की कोई चुनावी रैली का दृश्य है । ये लोग दरअसल मुस्लिम समाज के है जो उनके आखरी पैगम्बर मोहम्मद की जनम जयंती मनाने के लिए सड़को पर इकट्ठा हुए है । पैगम्बर मोहम्मद की जनम जयंती हर साल इस्लामी तारिख के हिसाब से 12 रबी उल अव्वल को उनकी याद में बड़े उत्साह से मनाई जाती है । चूँकि इस्लामी तारिख चाँद के निकलने पर तय की जाती है इस पर्व की अंग्रेजी तारिख हर साल बदल जाती है । फ़ेसबुक पर मिलाद उन नबी की फोटो को पाकिस्तान के झंडो के साथ जोड़, कांग्रेस की रैली का बता कर गलत सन्दर्भ में वायरल की जा रही है । इस पोस्ट को फ़ेसबुक पर 'नीरज कुमार' नामक अकाउंट से शेयर किया गया है जहा इसे 7 हज़ार से ज़्यादा शेयर्स मिल चुके है । गूगल रिवर्स इमेज और यांडेक्स जैसे टूल्स का इस्तेमाल कर बूम को पता चला की यह फोटो में एक झंडा मुस्लिमो द्वारा मिलाद उन नबी में उपयोग किये जाने वाले झंडो से हु बहु मिलता जुलता है । इस पोस्ट में कहा गया है की यह फोटो खंडवा, मध्य प्रदेश की है जबकि बूम को अब तक जगह का पता नहीं चल पाया है । इस्लामी मान्यता के हिसाब से इस्लाम धर्म का कोई झंडा या प्रतीक नहीं है । अक्सर देखा गया है की मिलाद उन नबी के झंडो को पाकिस्तान का बता कर सामाजिक इकाई को बिगाड़ ने की कोशिश की जाती है । ज्ञात रहे की पाकिस्तानी झंडे में हरे रंग, चाँद तारे के इलावा सफ़ेद रंग का पैच भी होता है जो ईद-ए-मिलाद के झंडो से बिलकुल अलग है । बूम ने इसी विषय सन्दर्भ में पहले भी काम किया है जिसे यहाँ पढ़ा जा सकता है।
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