प्रियंका गाँधी का दावा की दलितों को पीटा गया; मैनपुरी पुलिस ने बताया ठाकुरों के बीच की लड़ाई
मैनपुरी पुलिस ने बूम को बताया की झगड़ा दो ठाकुर समूहों में हुआ था, इसमें कोई दलित शामिल नहीं था
प्रियंका गाँधी वाड्रा द्वारा लगाए गए आरोपों को ख़ारिज करते हुए उत्तर प्रदेश के मैनपुरी पुलिस ट्विटर पर पोस्ट कर चुकी है | प्रियंका गाँधी का कहना था की उक्त इलाके में दो दलितों को दबंगों द्वारा मारा गया था |
एक वीडियो क्लिप जिसमें तीन लोग डंडों से दो और लोगों को मार रहे हैं जिसे कांग्रेस ने अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल पर पोस्ट किया था, प्रियंका गाँधी वाड्रा ने रीट्वीट किया | साथ ही साथ उन्होंने लिखा: "उप्र में दबंगों ने गवाही देने के लिए भयावह तरीके से दलित भाइयों की पिटाई कर दी। भाजपा सरकार मूकदर्शक बनी देख रही है। हर रोज दलित-आदिवासियों पर दबंग-अपराधी खुलेआम हमले कर रहे हैं। कानून-व्यवस्था का ये हाल और दलित आदिवासियों पर हमला बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।"
वीडियो क्लिप हिंदी न्यूज़ संस्था भारत समाचार से ली गयी है जिसमें 'दलित' की पिटाई होने का कोई दावा नहीं किया गया है बल्क़ि पूरी क्लिप में उन्हें 'गवाह' कहा गया है | इसके अलावा भारत समाचार एक पुराने मामले के बारे में बात करता है जो एस.टी/एस.सी एट्रोसिटीज़ एक्ट के तहत न्यायालय में चल रहा है जिसके चलते गवाहों को पीटा जा रहा है |
दलितों की पिटाई की बात कांग्रेस और प्रियंका गाँधी के ट्विटर हैंडल से शुरू हुई जिसके बाद मैनपुरी पुलिस ने इन आरोपों को ख़ारिज करते हुए ट्वीट कर कहा की जिनकी पिटाई होते दिख रही है वो दलित नहीं हैं |
पुलिस ने प्रियंका गाँधी वाड्रा के ट्वीट का जबाब देते हुए कहा की: "उक्त खबर का खण्डन किया जाता है कि झगड़ा राजपूत परिवारों में हुआ था। जिसमें अभियोग पंजीकृत कर विधिक कार्यवाही की जा रही है।"
हिंदी के कुछ मीडिया संस्थान जैसे दैनिक भास्कर और नवभारत टाइम्स ने इसपर लेख लिखा है |
दैनिक भास्कर ने लिखा, "डाल सिंह को गांव के कुछ दबंगों ने गवाही देने से इंकार किया तो वह नहीं माना। इसी बात को लेकर दबंगो ने उसे घेर लिया। उस वक्त डाल सिंह के साथ उसका दोस्त नरेश भी था, तो दबंगो ने उसे भी नहीं छोड़ा। पीड़ित जब अपनी जान बचाने के लिए मंडियां में एक दलित के घर जा छुपा तो दबंगो ने वहां भी दलित का दरबाजा तोड़कर बाहर निकाल लिया और जमकर लाठियां बरसायी।"
फ़ैक्ट चेक
स्थानीय पुलिस ने बूम से बात चित के दौरान इस झगड़े और कोर्ट में कथित तौर पर चल रहे एस.टी/एस.सी एट्रोसिटीज़ एक्ट के तहत मामले के बीचे कोई भी सम्बन्ध होने से इंकार कर दिया है | पुलिस ने इसे दो ठाकुर समूहों के बीच हुआ एक जमीनी विवाद बताया है |
मैनपुरी के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक, ओम प्रकाश सिंह, ने बूम को बताया की "सोशल मीडिया के दावे की पीड़ित दलित हैं, झूठे हैं."
सिंह ने बताया की झगड़े में शामिल लोग ठाकुर हैं जो फसल काटने के ऊपर हुई मुठभेड़ के चलते लड़ाई करने लगे थे | "वीडियो में जो लोग पीटते हुए दिख रहे हैं यह पहले दूसरे पक्ष के लोगों को मारकर भागे थे और एक दलित के झोपड़े में छुप गए थे |"
"ठाकुरों ने ठाकुरों को मारा है, दलित था ही नहीं | मीडिया ने जो भी न्यूज़ फैलाई है झूठ है और दावे फ़र्ज़ी हैं | इस झगड़े में सात लोगों को गिरफ़्तार किया गया है," सिंह ने आगे बताया | बूम ने कुर्रा इलाके के स्टेशन हाउस अफसर (एस.एच.ओ) ऋषि कुमार से बात की और एस.टी/एस.सी एट्रोसिटीज़ एक्ट के तहत चल रहे मामले के बारे में पुछा जैसा की हिंदी मीडिया में प्रकाशित हुआ है |
कुमार ने कहा, "मुझे नहीं पता की कौनसा मामला है, पर यदि एस.टी/एस.सी एट्रोसिटीज़ एक्ट के तहत कोई मामला है भी जो न्यायालय में चल रहा है, तब भी ठाकुरों के दो समूहों में हुई लड़ाई का इससे क्या सम्बन्ध?"
"इस मामले को बेमतलब राजनैतिक बनाया जा रहा है," ऋषि कुमार ने कहा |
कुमार ने नरेश - जिसे एफ.आई.आर में नरेश तोमर कहा गया है - के दलित होने से भी इंकार करते हुए कहा, "वो सारे ठाकुर हैं |"
दोनों समूहों ने क्रॉस एफ.आई.आए दर्ज़ करवाई है जिसके चलते पुलिस ने सात लोगों को गिरफ़्तार किया है | गिरफ़्तार हुए लोगों में रूप सिंह, सतेंदर सिंह, रिंकू सिंह, मंगल सिंह, अर्जुन सिंह, करणपाल सिंह और सुनील सिंह हैं |
उन्हें भारतीय दंड संहिता की धरा 147, 148, 149, 323, 308, 307, 452, 504 के तहत गिरफ़्तार किया गया है |
झड़प में डाल सिंह और नरेश घायल हुए थे जिन्हें सैफई हॉस्पिटल में भर्ती करवाया गया था |