Methodology
BOOM is among the first two fact checkers in India (www.factchecker.in also launched by the same founder) and South Asia to be certified by the International Fact Checking Network- Poynter Institute. This certification is a reflection of the early steps we took to build a editorially strong independent fact checking website that has strived to debunk fake news and prevent the spread of it. Here is a link to our certification and the process. https://www.poynter.org/international-fact-checking-network-fact-checkers-code-principles
Our 7 Steps to aware you you about the fake news and provide authentic news based on facts.
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फ़ैक्ट चेक करने के लिए दावा चुनना |
हम काफ़ी सक्रियता के साथ सोशल मीडिया, खासकर राजनीतिज्ञों या सत्ताधारियों के द्वारा जनता में दिए गए बयानों पर नज़र रखते हैं | हमारे रीडर्स भी हमारे व्हाट्सएप्प हॉटलाइन नंबर (7700906111) पर हमें वो वायरल संदेश फ़ॉरवर्ड कर सकते हैं जिनकी वो जांच करवाना चाहते हैं | साथ ही अक्सर हमारे रीडर्स हमें ट्विटर और फ़ेसबुक पर भी पोस्ट्स फ़ैक्ट चेक करने के लिए टैग करते हैं | किसी भी दावे का चुनाव हम कई कारणों को ध्यान में रख कर करते हैं | मसलन, क्या ये दिलचस्प है ? क्या ये एक बड़ी संख्या में लोगों पर असर करता है ? क्या विषय-वस्तु उकसाने या सनसनी फ़ैलाने वाला है और अगर इसे चेक ना किया गया तो क्या ये लोगों को नुक्सान पहुंचा सकता है ?
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दावे के सूत्र का पता लगाना
फ़ैक्ट चेक करने के लिए दावा फ़ाइनल कर लेने के बाद हम ये पता लगाते हैं की दावे की शुरुवात कहाँ से हुई है | अक्सर सूत्र ये साबित करने में एक अहम भूमिका निभाता है की दावा भरोसे के लायक है या नहीं | मसलन, न्यूज़ रिपोर्ट्स के लिए हम पहले पता लगते हैं की दावा भरोसेमंद वेबसाइट से है या नहीं | तस्वीरों के मामलें में हम अक्सर गूगल रिवर्स इमेज सर्च से ये पता लगाने की कोशिश करते हैं की क्या तस्वीर पुरानी है या उसके साथ किसी प्रकार की छेड़-छाड़ की गयी है या फिर उसका इस्तेमाल गलत संदर्भ में किया गया है | वो मामले जहां दावा सिंगल सोर्स या प्रत्यक्षदर्शी के ब्योरों पर टिका होता है, हम यह जानने की कोशिश करते हैं की क्या दावेदार की पहुँच ऐसी खबरों तक है |
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सूत्र से संपर्क करना/div>
ऐसे दावें जिनमें लोकप्रिय हस्तियों का ज़िक्र हो की जाँच करने के लिए हम उस व्यक्ति-विशेष या उसके ऑफ़िस को संपर्क करते हैं ताकि सिक्के का दूसरा पहलु भी पता चल सके | हम वीडियोस या सार्वजनिक रूप से मौजूद ट्रांसक्रिप्ट्स की मदद से भी ये पता लगाने की कोशिश करते हैं की आखिर कहा क्या गया था और किस संदर्भ में कहा गया था | रिपोर्ट्स या डाटा पॉइंट्स के मामलों में हम उस संस्था से संपर्क बिठाने की कोशिश करते हैं जिसने रिपोर्ट्स पब्लिश की थी |
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दावे को बर्खास्त करते प्रमाण या सुराग की तलाश
उक्त मामले के संदर्भ में सार्वजनिक रूप से उपलब्ध साधनों की खोज भी हमारी प्रक्रिया में शामिल है | हम उस मामले पर लिखे गए पुराने आर्टिकल्स की भी छानबीन करते हैं | हम गवर्नमेंट डाटा बेस, ग्लोबल थिंक टैंक्स, अनुसंधान संघों, और अन्य विश्वसनीय सूत्रों के पास मौजूद डाटा की तलाश करते हैं | और अगर हमें ज़रूरी डाटा ना मिले, तो हम इसे अपनी वेबसाइट पर साफ़ तौर पर कहते हैं |
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हम अपनी ग़लतियों को तुरंत सुधारते हैं
बूम रियल टाइम में फ़ेक न्यूज़ की पोल खोलने को प्रतिबद्ध है | हम ये मानते हैं की ऐसा करते वक्त कभी-कभी हमसे ग़लतियाँ भी हो सकती हैं | और अगर हमसे ग़लतियाँ होती हैं तब हम अपनी ग़लतियाँ छुपाते नहीं बल्कि अपने रिपोर्ट को तुरंत सुधारते हैं और सुधार की खबर अपने रीडर्स को भी देते हैं | सुधारे गए रिपोर्ट्स के साथ एक एडवाइजरी भी होती है | बूम फ़ेसबुक और ट्विटर जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर काफ़ी सक्रिय है | हम तर्कसंगत फ़ीडबैक और विवेचना का स्वागत करते हैं |
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एक्सपर्ट्स से सलाह लेना
बूम ऐसा दावा कतई नहीं करता की हम हर मामले में दक्ष हैं | अक्सर हम किसी ख़ास क्षेत्र के एक्सपर्ट्स के जानकारी की मदद लेते हैं | हम कोशिश करते हैं की सूत्रों पर आधारित रिपोर्ट्स पर काम ना ही करें और सिर्फ़ उन्हें क्वोट करते हैं जो ऑन-रिकॉर्ड बोलना चाहते हों |
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फ़ैक्ट चेक लिखना
हम अपने रिपोर्ट्स उपरोक्त बताये गए तरीकों का इस्तेमाल कर के ही लिखते हैं | अपने रिपोर्ट्स में बताये गए सूत्रों तक पहुँचने के लिंक्स भी हम अपने रीडर्स को देते हैं | उन मामलों में जिनमें हम किसी दावे का कोई निष्कर्ष नहीं निकाल पाते, हम खुलकर अपनी वेबसाइट में बताते हैं और दावे की जांच में इस्तेमाल की गयी विधि को विस्तार से लिखते हैं |
Key Highlights of the BOOM
- India's first and leading fact checking website and initiative.
- First Indian member of the International Fact Checking Network (IFCN).
- First to partner with Facebook on its Third Party Fact Checking Programme from India.
- First fact checker to launch a WhatsApp helpline where you can send in your posts & forwards to be fact checked.
- It is available in three Indian languages i.e. English, Hindi and Bengali. Additionally, it is expanded to Bangladesh and Myanmar with local websites.
- Market cap has replaced assets as go-to driving force for investors and companies