केरल बाढ़: क्या यूएई ने वास्तव में की है 100 मिलियन डॉलर मदद की पेशकश
इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत के दौरान यूएई राजदूत अहमद अलबन्ना ने कहा कि किसी भी विशेष राशि पर अब तक कोई आधिकारिक घोषणा नहीं हुई है
अगस्त 18 को यूएई के प्रधानमंत्री के मदद के लिए भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें धन्यवाद करते हुए ट्वीट किया।ഈ സംരംഭത്തിലേക്ക് ഉദാരമായി സംഭാവനചെയ്യാൻ ഏവരോടും ഞങ്ങൾ അഭ്യർഥിക്കുന്നു. യു എ ഇയുടെ വിജയത്തിന് കേരള ജനത എക്കാലവും ഉണ്ടായിരുന്നു. പ്രളയ ബാധിതരെ പിന്തുണക്കാനും സഹായിക്കാനും നമുക്ക് പ്രത്യേക ഉത്തരവാദിത്വമുണ്ട്. വിശേഷിച്ച് ഈദ് അൽ അദ്ഹയുടെ പരിശുദ്ധവും അനുഗ്രഹീതവുമായ ഈ സന്ദർഭത്തിൽ. pic.twitter.com/fixJX02bV4
— HH Sheikh Mohammed (@HHShkMohd) August 17, 2018
हालाँकि भारतीय प्रधानमंत्री ने पेशकश की सराहना की, परन्तु सौ मिलियन डॉलर का उल्लेख कही नहीं था | ट्वीट के अलावा, अगस्त 21 को रात 9.30 पर यूएई के आधिकारिक वेबसाइट ने रिपोर्ट किया और पुष्टि की कि अबू धाबी के राजकुमार और संयुक्त अरब अमीरात सशस्त्र बल के डिप्टी सुप्रीम कमांडर शेख मोहम्मद बिन ज़ायेद बिन सुल्तान अल-नहयान ने भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ टेलीफोन वार्ता में केरल में आए विनाशकारी बाढ़ पर चर्चा की है । रिपोर्ट में आगे कहा गया: “टेलीफोन वार्ता के दौरान महामहीम शेख मोहम्मद बिन ज़ायेद ने प्रधानमंत्री से केरल में आई बाढ़ और प्रभावित लोगों की स्थिति पर शोक और सहानुभूति व्यक्त की और साथ ही राहत प्रदान करने वाले प्रयासों के संबंध में भी चर्चा की है”। हालांकि इस रिपोर्ट में भी 100 मिलियन डॉलर का उल्लेख नहीं किया गया है । गौरतलब है की बुधवार की रात अबू धाबी के राजकुमार ने भी ट्वीट के ज़रिये बताया कि उन्होंने इस संबंध में भारतीय प्रधानमंत्री से बात की है ।A big thanks to @hhshkmohd for his gracious offer to support people of Kerala during this difficult time. His concern reflects the special ties between governments and people of India and UAE.
— Narendra Modi (@narendramodi) August 18, 2018
यहां भी 100 मिलियन डॉलर का कोई ज़िक्र था । यानी, किसी भी ट्वीट या रिपोर्ट में 100 मिलियन डॉलर का ज़िक्र नहीं किया गया है। गौर करने वाली बात ये है की एमए यूसुफ अली, भारतीय अरबपति और विश्व भर में लूलू हाइपरमार्केट श्रृंखला के मालिक, जिनके बारे में कहा जा रहा है कि उन्होंने केरल के मुख्यमंत्री को संयुक्त अरब अमीरात की 100 मिलियन सहायता की जानकारी दी थी, ने अपने आधिकारिक फेसबुक या ट्विटर पेज पर इस संबंध में कुछ भी पोस्ट नहीं किया है । 'कबाब में हड्डी' इसी बीच केरल के वित्तिय मंत्री थॉमस आइसैक ने अपने ट्वीट में कहा की केंद्र का रवैया बेवजह कष्ट देने वाला है ।I spoke to the Indian Prime Minister about the devastation caused by the floods in Kerala. My sincere condolences to the families of the victims. We stand with the Indian people. Our relief and charitable institutions are helping with relief efforts.
— محمد بن زايد (@MohamedBinZayed) August 21, 2018
विनम्र इनकार विदेश मामलों के मंत्रालय की वेबसाइट पर अगस्त 22 को देर रात अपलोड किए गए एक बयान में कहा गया है, “केरल में विनाशकारी बाढ़ के बाद राहत और पुनर्वास प्रयासों में सहायता के लिए भारत सरकार विदेशी सरकारों सहित कई देशों के प्रस्तावों की तह-ऐ-दिल से सराहना करती है ।” बयान में आगे कहा गया, “मौजूदा नीति के अनुरूप सरकार घरेलू प्रयासों के माध्यम से राहत और पुनर्वास के लिए आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए प्रतिबद्ध है। एनआरआई, पीआईओ, और अन्य अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं के माध्यम से प्रधानमंत्री राहत कोष और मुख्यमंत्री राहत कोष में योगदान का स्वागत है”। 2004 के सुनामी के बाद से भारत में प्राकृतिक आपदाओं के लिए किसी भी विदेशी सहायता को स्वीकार नहीं करने की दीर्घकालिक नीति है। जर्मनी और जापान से अपेक्षाकृत रूप से छोटी रकम के अलावा एकमात्र बाहरी सहायता भारत अभी भी बहुपक्षीय स्रोतों से प्राप्त करता है । भारतीय विदेश राज्यमंत्री जनरल (सेवानिवृत्त) वी के सिंह ने, 2017 में, एक प्रश्न के जवाब में संसद को बताया था कि भारत वर्तमान दौर में विदेशी सहायता का मूल दाता है। Courtesy: www.mea.gov.in ( पिछले 10 वर्षों में सालाना अन्य देशों को भारत द्वारा प्रदान की जाने वाली कुल सहायता ) उन्होंने कहा, “पिछले तीन वर्षों में भारत ने सहायता प्राप्त करने की तुलना में अन्य देशों को अधिक सहायता प्रदान की है ।” सहायता देने वाला वास्तव में भारत अब एक उत्साही आंतरिक सहायता देने वाला और पहला उत्तरदाता है । इसने सहायता का दायरा फिलिपिन्स, म्यांमार, नेपाल तक बढ़ाया है, यहां तक कि 2005 में अमेरिका में तूफान कैटरीना के शिकार अर्कांसस में लिटिल रॉक एअसफोर्स बेस पर 25 टन राहत सामग्री भी प्रदान की है। 2008 के चीन के सिचुआन भूकंप के बाद भारतीय वायुसेना के विमानों ने पीड़ितों को राहत सामग्री प्रदान की थी। आखिरी बार विदेश मंत्रालय को जुलाई 2013 में उत्तराखंड बाढ़ के दौरान विदेशी सहायता प्रस्ताव से सार्वजनिक रूप से निपटना पड़ा था। मदद की एक रूसी पेशकश के बारे में तत्कालीन विदेश मंत्रालय प्रवक्ता सैयद अकबरुद्दीन ने कहा था: "बचाव और राहत कार्यों के मामले में एक सामान्य नीति के रूप में हमने इस अभ्यास का पालन किया है | हमारे पास आपातकालीन आवश्यकताओं से जूझने की पर्याप्त क्षमता है ।" 3 जुलाई 2013 को, सहायता के लिए रुस की सहायता को विनम्रतापूर्वक इंकार करते हुए, उन्होंने कहा, “और विभिन्न कारणों के लिए हमने अतीत में भी, जब तक कि विशेष स्थिति न हो, राहत और बचाव के लिए सहायता की पेशकश स्वीकार नहीं की है।” भारत ने, उत्तराखंड राहत के लिए 200,000 डॉलर की सहायता पेशकश करने वाले जापान और अमरीका, दोनों को स्पष्ट किया कि वे यह राशि स्वीकार नहीं कर सकते, तथा दोनों सरकारें किसी प्रकार की सहायता राशि चुनिंदा एनजीओ को ही दें | एनडीएमए नीति का स्वागत है हालांकि, 2009 में जारी राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन नीति स्पष्ट रूप से कहती है कि आपदा प्रबंधन के क्षेत्र में केंद्र सरकार संयुक्त राष्ट्र एजेंसियों, अंतर्राष्ट्रीय संगठनों और विदेशी सरकारों के साथ तालमेल में काम करेगी | विदेश मंत्रालय, गृह मंत्रालय के सहयोग से, बाहरी समन्वय / सहयोग की सुविधा प्रदान करेगी | पिनरई विजयन के अनुसार, बाढ़-प्रभावित केरल के पुनर्निर्माण के लिए 21,000 करोड़ रुपए की की ज़रूरत होगी । हालांकि, केंद्र सरकार ने केवल 600 करोड़ रुपए प्रदान किया है। दिलचस्प बात यह है कि संयुक्त अरब अमीरात, कतर, शारजाह और मालदीव्स ने 740 करोड़ रुपए की पेशकश की है। कतर ने 35 करोड़ रुपए, शारजाह ने 4 करोड़ रुपए, और मालदीव्स ने 35 लाख रुपए की पेशकश की है। इसी बीच केरल ने भारत के अन्य राज्यों से 200 करोड़ रुपए की नकद सहायता प्राप्त कि है। बूम ने गुरुवार को लूलू ग्रूप के प्रवक्ता से बात करने की कोशिश की लेकिन इस मुद्दे पर बात करने के लिए कोई भी उपलब्ध नहीं था । उनकी प्रतिक्रिया मिलते ही हम ये कहानी अपडेट करेंगे। (रेजीमोन कुट्टप्पन दक्षिण भारत में रहने वाले एक स्वतंत्र पत्रकार हैं । ये साथ ही इक्विडम रिसर्च एंड कंस्लटिंग के साथ जुड़े हैं । कुट्टप्पन इंडिया-गल्फ कॉरिडर में श्रमिक अधिकारों के उल्लंघन की जांच के लिए एक वरिष्ठ जांच प्रभारी है ) यह लेख मूलत: अंग्रेजी में 24 अगस्त 2018 को boomlive.in पर प्रकाशित हुआ है।We asked Union Gov for financial support of ₹2200 Cr ; they grant us a precious ₹600 Cr . We make no request to any foreign gov but UAE gov voluntarily offer ₹700cr. No, says Union gov , it is below our dignity to accept foreign aid. This is a dog in the manger policy.
— Thomas Isaac (@drthomasisaac) August 22, 2018