मुस्लिम युवकों की वेद पढ़ते हुए तस्वीर फ़र्ज़ी दावों के साथ वायरल
बूम ने पाया कि तस्वीर में वे वेदों को फिर से नहीं लिख रहे हैं बल्क़ि एक पाठ्यक्रम के तहत पढ़ रहे हैं |
Claim
"छल, शब्द और चालबाज़ी | आजकल जिहादी वेद, उपनिषद्, और गीता लिख रहे हैं और उनका मकसद है झूठा अर्थ लगाना और परंपरागत धर्म को अशुद्ध करना | यह चालबाज़ी जिहाद का एक उदाहरण है | हरफ़ प्रकाशनी की किताब, यह किताबें प्रकाशित होती हैं..."
FactCheck
वायरल तस्वीर के साथ दावा फ़र्ज़ी है और यह 'हरफ़ प्रकाशनी' द्वारा किसी किताब का प्रकाशन नहीं दिखाती है | यह तस्वीर 'द हिन्दू' के एक लेख में 2 अप्रैल 2014 को प्रकाशित हुई थी | इस लेख के अनुसार छात्र 'अल महादुल आली अल इस्लामी' सेमिनरी की लाइब्रेरी में वेद (Vedas) पढ़ रहे हैं ताकि प्रथम श्रोत से हिन्दू (Hindu) और इस्लाम (Islam) में सम्बन्ध समझ सकें | इसी साल जुलाई में बूम ने इस तस्वीर के साथ वायरल दावों को ख़ारिज़ किया था | तब बूम ने सेमिनरी के डिप्टी डायरेक्टर ओस्मान आबेदीन से संपर्क किया जिन्होंने वायरल दावों को नकारते हुए कहा था, "बच्चे किताबें पढ़ रहे हैं ना की लिख रहे हैं |" यही बात हमें द हिन्दू के पत्रकार जे.एस इफ़्तेख़ार ने भी बताई | "यह एक कम्पेरेटिव रिलीजियस स्टडीज़ का पाठ्यक्रम था," इफ़्तेख़ार ने कहा | पूरा लेख नीचे पढ़ें |