खालिदा जिया ने बांग्लादेशी हिंदुओं को इस्लाम कबूल करने को नहीं कहा, फर्जी बयान वायरल
बूम ने अपनी जांच में पाया की बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया ने हिंदुओं को लेकर ऐसा कोई बयान नहीं दिया है.
Claim
बांग्लादेश में जारी राजनीतिक उठापटक के बीच सोशल मीडिया पर बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री और बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (BNP) की नेता खालिदा जिया को लेकर एक स्क्रीनशॉट सांप्रदायिक दावे के साथ वायरल है. सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म फेसबुक पर एक यूजर ने स्क्रीनशॉट को शेयर करते हुए लिखा, 'बांग्लादेश की खालिदा बेगम जिया ने हिंदुओं से इस्लाम अपनाने या भारत चले जाने को कहा.'
स्क्रीनशॉट में खालिदा जिया की तस्वीर के साथ उनके बयान के रूप में लिखा है, 'मुझे बांग्लादेश में हिंदुओं और बौद्धों के नरसंहार पर दुख है, लेकिन बांग्लादेश एक इस्लामिक राष्ट्र है, धर्मनिरपेक्ष नहीं. मुस्लिम यहां बहुसंख्यक हैं. इन परिस्थितियों में यदि हिंदू और बौद्ध सुरक्षित रहना चाहते हैं, तो उन्हें या तो इस्लाम अपना लेना चाहिए या भारत चले जाना चाहिए.' (हिंदी अनुवाद)
FactCheck
बूम इस दावे का फैक्ट चेक साल 2021 में भी कर चुका है. उस वक्त भी यह स्क्रीनशॉट इसी दावे के साथ वायरल हुआ था. बूम ने वायरल दावे की पड़ताल के लिए उस वक्त बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (BNP) के प्रेस विंग मेंबर सैरुल कबीर खान से बात की थी, तो उन्होंने इसे गलत बताया था. उन्होंने बूम से कहा था, 'खालिदा जिया ने कभी भी ऐसा कोई बयान नहीं दिया है.' इसके अलावा इससे जुड़े कीवर्ड को गूगल पर सर्च करने पर हमें इससे जुड़ी कोई भी मीडिया रिपोर्ट नहीं मिलीं. हालांकि, खालिदा जिया की पार्टी बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (BNP) ने शेख हसीना को भारत में शरण देने पर आपत्ति जताई है. बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (BNP) के वरिष्ठ नेता और बांग्लादेश में मंत्री रह चुके गायेश्वर रॉय ने अंग्रेजी समाचारपत्र टाइम्स ऑफ इंडिया से बात करते हुए कहा, "हमारी पार्टी भारत और बांग्लादेश के बीच पारस्परिक सहयोग का समर्थन करती है, लेकिन अगर आप हमारी दुश्मन की मदद करेंगे तो हमारे लिए पारस्परिक सहयोग को जारी रखना मुश्किल हो जाएगा." बता दें कि खालिदा जिया को बीते 6 अगस्त को जेल से रिहा कर दिया गया था, जब बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना ने देश छोड़ा था. भ्रष्टाचार के आरोप में 78 वर्षीय खालिदा जिया साल 2018 से ही जेल में बंद थीं.