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फैक्ट चेक

क्या मोदी के परिजनों ने उन्हें पिता की मौत का ज़िम्मेदार ठहराया था ? फ़ैक्ट चेक

By - Archis Chowdhury |
Published -  9 May 2019 6:52 PM IST
  • modi death fake clipping

    2017 के एक फ़ेसबुक पोस्ट से प्रेरित अख़बार की एक नकली क्लिपिंग इस दावे के साथ वायरल की जा रही है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भाई-बहन उन्हें अपने पिता की मौत का ज़िम्मेदार मानते हैं ।

    बूम ने मोदी के छोटे भाई प्रहलाद मोदी से बात की, जिन्होंने इन सभी दावों का खंडन किया और कहा कि परिवार में किसी ने भी प्रधानमंत्री के खिलाफ एफआईआर दर्ज नहीं की थी, जैसा कि क्लिपिंग में दावा किया किया गया है ।

    क्रॉप किए गए के क्लिपिंग में ना तो प्रकाशन का नाम है ना ही रिपोर्टर को बाइलाइन दी गयी है । इसमें दावा किया गया है कि मोदी घर से ज़ेवर चुराकर भाग गए थे । क्लिपिंग में यह भी कहा गया कि उनके कार्यों से आहत मोदी के पिता को दिल का दौरा पड़ा और इलाज के लिए संसाधनों की कमी के कारण उनका निधन हो गया ।

    लेख में राष्ट्रीय कैडेट कोर की वर्दी में बाल नरेंद्र मोदी की एक लोकप्रिय तस्वीर भी इस्तेमाल की गई है।

    modi newspaper clip
    ( अख़बार की क्लिपिंग )

    बूम ने रिवर्स इमेज सर्च के ज़रिये ये पता लगाया कि यह फ़ोटो कई बार ट्विटर, फ़ेसबुक और शेयरचैट जैसे कई प्लेटफॉर्म्स पर शेयर की जा चुकी है |




    फ़ैक्ट चेक

    बूम ने गूगल, फ़ेसबुक और ट्विटर पर रिपोर्ट में इस्तेमाल किये गए शब्दों को कीवर्ड की तौर पर खोजा, और 2017 से एक फ़ेसबुक पोस्ट पाया, जिसने युवा नरेंद्र मोदी की ऐसी ही तस्वीर के साथ-साथ पूरी कहानी को शब्दसः शेयर किया गया था ।

    पोस्ट को 9 जून, 2017 को फ़ेसबुक यूजर वेलाराम एम पटेल ने पोस्ट किया था और इसे करीब 1800 बार शेयर किया गया था ।

    सच या फ़र्ज़ी ?

    मोदी के जीवन की कुछ अवधि के सटीक जानकारी की अनुपस्थिति के कारण कहानी के कई पहलुओं को फ़ैक्ट चेक करना संभव नहीं है ।

    इसलिए बूम ने अख़बार की क्लिपिंग और फ़ेसबुक पोस्ट में निम्नलिखित दावों में असंगतियों और अशुद्धियों की तलाश की:

    • लेख का श्रेय दिल्ली समाचार नेटवर्क को दिया गया था ।
    • मोदी के पिता को 300 रुपये चोरी करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था । आज की तारीख़ में उस राशि राशि का मूल्य 30,000 रुपये है। उस समय नरेंद्र मोदी उन्हें चाय बेचने में मदद कर रहे थे ।
    • मोदी के ख़िलाफ़ उनके भाई-बहनों द्वारा एफआईआर दर्ज़ कराई गई है ।

    सही या गलत?

    यह लेख 'दिल्ली न्यूज़ नेटवर्क' के क्रेडिट से शुरू होता है। बूम ने गूगल पर काफ़ी खोजबीन की लेकिन ऐसे मीडिया संगठन का पता लगाने में हमें कोई सफ़लता नहीं मिली ।

    इंटरनेट पर किसी भी उल्लेख की पूर्ण अनुपस्थिति ने हमें यह विश्वास दिलाया कि दिल्ली न्यूज़ नेटवर्क एक काल्पनिक नाम है, जिसे समाचार क्लिपिंग को प्रामाणिक बनाने के लिए ईजाद किया गया है ।

    इसके अलावा बूम ने पाया कि कहानी का श्रेय पटेल के फ़ेसबुक पोस्ट को जाता है, ना कि दिल्ली के उस काल्पनिक न्यूज़ ऑर्गनाइज़ेशन को ।

    कहानी यह भी दावा करती है कि जब मोदी अपने पिता को चाय बेचने में मदद कर रहे थे, उनके पिता को 300 रुपये चोरी करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। यह भी दावा किया गया है कि उस समय के 300 रुपये का मूल्य आज के 30,000 रुपये के बराबर है।

    यह मानते हुए कि कहानी जून 2017 में लिखी गई थी (जब पटेल ने फ़ेसबुक पर पोस्ट को शेयर किया था), यह संकेत मिलता है कि उस महीने में 30,000 रुपये का मूल्य मोदी के पिता की गिरफ्तारी के समय करीब 300 रुपये के बराबर था ।

    लेखक नीलांजन मुखोपाध्याय ने मोदी की जीवनी ( 'द एनाटोमी ऑफ नरेंद्र मोदी- द मैन एंड हिज़ पॉलिटिक्स' ) में दावा किया है कि मोदी ने अपने पिता के साथ चाय बेचना 6 साल की उम्र से शुरू किया था । यह देखते हुए कि मोदी का जन्म 1950 में हुआ यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि मोदी ने 1956 से चाय बेचना शुरु किया होगा।

    बूम ने एक इन्फ्लेशन टूल का उपयोग किया जो हमें 1958 से बढ़ती मुद्रास्फीति दर के अनुसार मुद्रा के मूल्य को सत्यापित करने की अनुमति देता है। चूंकि मुद्रास्फीति के आंकड़े केवल 1958 से उपलब्ध हैं, इसलिए हम 2017 के मूल्य की गणना करने के लिए आधार वर्ष के रूप में उपयोग करेंगे।

    इन्फ्लेशन टूल का उपयोग करके यह पता लगाया जा सकता है कि 1958 में 300 रुपये का मूल्य 2017 में 23,000 रुपये से ज्यादा नहीं होगा ।

    कहानी यह दावा करती है कि मोदी ने परिवार के ज़ेवर चुराए और घर से भाग गए, जिससे उनके पिता को दिल का दौरा पड़ा और अंततः इलाज के लिए संसाधनों की कमी के कारण उनका निधन हो गया। इसके बाद, उसके भाई-बहनों ने उनके ख़िलाफ़ एफआईआर दर्ज कराया |

    मुखोपाध्याय ने कहा कि मोदी के साथ बातचीत में उन्होंने बताया था कि वह कैलाश मानसरोवर यात्रा पर थे और घर से फ़रार नहीं थे, जैसा कि क्लिपिंग में कहा गया है |

    बूम ने मोदी के छोटे भाई प्रह्लाद मोदी से भी संपर्क किया, जिन्होंने दावों को खारिज़ कर दिया।

    फोटो

    2016 में प्रह्लाद मोदी के हवाले से अमर उजाला की एक फ़र्ज़ी क्लिपिंग वायरल हुई थी जिसमें कहा गया था, "उन्होंने घर भिक्षु बनने के लिए नहीं छोड़ा, नरेंद्र मोदी को गहने चोरी करने के लिए घर से बाहर निकाल दिया गया था ।"

    amar ujala on modi

    प्रह्लाद मोदी ने एबीपी को स्पष्ट किया था कि उन्होंने अमर उजाला को कभी ऐसा बयान नहीं दिया, जबकि अमर उजाला के संपादक ने दावा किया कि उनके प्रकाशन ने कभी भी इस तरह के शीर्षक के साथ कोई लेख नहीं पब्लिश किया है | इस तरह, ये दावा भी खारिज हो जाता है |

    भ्रामक फ़ेसबुक पोस्ट से अखबार क्लिपिंग तक

    हालांकि, तस्वीर में अखबार क्लिपिंग दिखाई जा रही है, इसकी कहानी वास्तव में फ़ेसबुक यूज़र वेलाराम एम. पटेल के पोस्ट से उठाई गई है। दिलचस्प बात यह है कि बूम ने पाया कि पटेल खुद को भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का सदस्य बताते हैं ।

    file
    ( वेलाराम पटेल के फ़ेसबुक अकाउंट का स्क्रीनशॉट )

    पटेल की कहानी की जानकारी अक्सर अपूर्ण मालूम होती है, क्योंकि कहानी में दिए गए किसी भी उपाधि के लिए कोई समय अवधि निर्दिष्ट नहीं की गई है, और न ही इन घटनाओं के लिए किसी स्रोत का उल्लेख दिया गया है ।

    इसलिए, पटेल के फ़ेसबुक पोस्ट को दिखाने वाले अख़बार क्लिपिंग को अविश्वसनीय और भ्रामक माना जा सकता है।

    Tags

    fakeFeaturedModiNarendra Modiprahlad modistolen jewelleryViral
    Read Full Article
    Claim :   न्यूज़ क्लिप दावा करता है की नरेंद्र मोदी के परिजन ने उनके ख़िलाफ़ पुलिस में रिपोर्ट लिखवाई थी
    Claimed By :  Facebook pages and twitter handles
    Fact Check :  FALSE
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