पद्मावत विरोध के दौरान स्कूल बस पर हमले को हालिया बता कर किया शेयर
बूम ने पाया कि वीडियो हरियाणा के गुड़गांव का है, जब कथित तौर पर करणी सेना द्वारा एक स्कूल बस में तोड़फोड़ की गई थी।
करीब दो साल पुराने वीडियो को हाल की घटना बताते हुए वायरल किया जा रहा है। यह वीडियो तब का है जब हरियाणा के गुड़गांव में कथित तौर पर करणी सेना ने बच्चों की बस पर हमला किया था।
यह क्लिप राजधानी में नागरिकता संशोधन अधिनियम के खिलाफ विरोध प्रदर्शन और 17 दिसंबर, 2019 को पूर्वोत्तर दिल्ली के सीलमपुर क्षेत्र में पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच झड़प की घटनाओं के चलते वायरल हो रही है।
14 सेकंड के वीडियो में एक टूटी हुई बस की खिड़कियां और रोते हुए स्कूली बच्चों को देखा जा सकता है। वीडियो को फेसबुक पर कैप्शन के साथ शेयर किया जा रहा है, जिसमें लिखा है, "शांतिपूर्ण प्रोटेस्ट, सच में? बोल दो ये भी दिल्ली पुलिस का ही करा धरा है।#Tango "
देखने के लिए यहां क्लिक करें और अर्काइव के लिए यहां देखें।
दिल्ली के सीलमपुर की घटना को श्रेय देते हुए एक वीडियो के दावा किया जा रहा है, "#पिस्लामिक_ZEहाद_की बानगी आज #सीलमपुर में साफ साफ दिखाई दी , #बाहर से #पिस्लामिक ZEहादी #पत्थर__फेंकते रहे और अंदर बस में हमारे और #तुम्हारे #स्कूल के #बच्चे #बिलखते रहे।"
फैक्टचेक
हमने वीडियो को कीफ़्रेम में तोड़ा और गूगल का इस्तेमाल करते हुए एक रिवर्स इमेज चलाया और पाया कि वीडियो अभी का नहीं है, जैसा कि दावा किया जा रहा है। खोज परिणामों से पता चला कि वीडियो हरियाणा के गुड़गांव का था और जब लिया गया था जब जनवरी 2018 में एक स्कूल बस पर हमला हुआ था।
यह घटना 24 जनवरी, 2018 को घटी थी जब हिंदी फिल्म पद्मावत की रिलीज का विरोध करते हुए हुए कुछ प्रदर्शकारियों ने एक निजी स्कूल की दो बसों पर हमला किया था, जैसा कि हिंदुस्तान टाइम्स ने अपनी रिपोर्ट में बताया है।
24 जनवरी 2018 को ज़ी बिज़नेस द्वारा अपलोड की गई इस न्यूज़ क्लिप में 23 सेकंड के टाइमस्टैम्प पर वही दृश्य देखे जा सकते हैं जो वायरल वीडियो में दिखाया गया है।
विरोध प्रदर्शनों का नेतृत्व करणी सेना ने किया था जो संजय लीला भंसाली की फिल्म के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे थे और आरोप लगाया गया था कि फिल्म इतिहास के साथ छेड़छाड़ करती है।
27 जनवरी, 2018 को इंडिया टुडे की रिपोर्ट के अनुसार गुरुग्राम स्कूल बस और हिंसक विरोध प्रदर्शन में पुलिस को करणी सेना के राष्ट्रीय सचिव सूरज पाल अमू की भूमिका पर संदेह था।
पुलिस ने तब अमू को हिरासत में लिया था और उसे न्यायिक हिरासत में भेज दिया था। हालांकि, पुलिस ने एफआईआर में करणी सेना का नाम नहीं लिया था, जैसा कि इंडिया टुडे की रिपोर्ट में आगे बताया गया है।
17 दिसंबर, 2019 को सीएए के विरोध प्रदर्शन के दौरान दिल्ली में सीलमपुर इलाके में हिंसा की घटनाएं सामने आई थीं, जहां कुछ बच्चों को ले जा रही एक स्कूल बस को भी रोका गया। लेकिन पुलिस ने बस में यात्रा करने वाले बच्चों को निकाल कर सुरक्षित पहुंचाने में मदद की थी, जैसा कि टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट में बताया गया है।