क्या ब्रॉइलर मुर्गियों में पाया गया है कोरोनावायरस?
कोरोनावायरस से संबंधित एक और ग़लत जानकारी फैलाई जा रही है। दावा किया जा रहा है कि ब्रायलर मुर्गियों में कोरोनावायरस पाया गया है।
एक वायरल व्हाट्सएप्प फॉरवर्ड में दावा किया कि ब्रायलर मुर्गियों में घातक कोरोनावायरस पाया गया है। यह दावा ग़लत है। यह सबसे नई ग़लत जानकारी है जो कोरोनावायरस के संबंध में फैलाई जा रही है।
हिंदी में फैलाए जाने वाले संदेश में लिखा है, "ब्रायलर मुर्गियों में वायरस पाया गया है। तमाम लोगों से अपील की जाती है कि ब्रायलर गोशत का इस्तेमाल ना करें...मुस्लिम कम्यूनिटी मुंबई, खार दुआ की अपील।"
इस मैसेज में ब्रॉयलर और कोरोनावायरस, दोनों की वर्तनी ग़लत लिखी गई है। ब्रायलर मुर्गियां को उपयोग विशेष रूप से मांस उत्पादन के लिए होता है।
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नीचे दिया गया मैसेज बूम को अपने व्हाट्सएप्प हेल्पलाइन पर प्राप्त हुआ है और इसकी जांच के लिए अनुरोध किया गया है।
सोशल मीडिया पर भी यह पोस्ट इसी दावे के साथ वायरल है। पोस्ट में मांस और बीमार मुर्गियों की तस्वीरें हैं।
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फ़ैक्ट चेक
अभी तक वैज्ञानिक 2019 कोरोनावायरस के स्रोत की पहचान नहीं कर पाएं है जो माना जाता है कि चीन के वुहान में हुनान सीफूड मार्केट से उत्पन्न हुआ था।
भारत में मुर्गियों को उस वायरस से नहीं जोड़ा जा सकता है जिसके कारण अब तक 427 लोगों की जान गई है और अब तक 20,000 से अधिक मामलो की पुष्टि हुई है।
चीन में किए गए प्रारंभिक अध्ययन और लैंसेट की रिपोर्ट के अनुसार चमगादड़ पर नए वायरस के प्राथमिक स्रोत होने का संदेह है।
बूम ने मुंबई के सेंट्रल पॉल्ट्री डेवलप्मेंट ऑर्गेनाइजेशन के डायरेक्टर, डॉ. सत्येंद्र स्वैन से संपर्क किया। उन्होंने हमें बताया कि, "यह एक अफ़वाह है। ब्रॉयलर चिकन नए कोरोनावायरस का एक स्रोत नहीं है। यह चीन के अलावा किसी भी अन्य स्थान पर उत्पन्न नहीं हुआ है और मानव के माध्यम से मानव संचरण के लिए प्रेषित किया जा रहा है।"
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यह पूछे जाने पर कि ब्रायलर चिकन को क्यों निशाना बनाया जा रहा है, उन्होंने कहा कि पशु आधारित आहारों को हमेशा ग़लत सूचना के साथ फैलाया जाता है।
बूम ने डॉ स्वैन से पूछा कि क्या ब्रायलर मुर्गियां खाना सुरक्षित हैं। इस पर उन्होंने कहा कि "यदि हाइजेनिक तरीकों से नस्ल को पाला जाता है, तो ब्रायलर मुर्गियां समस्या पैदा नहीं करती हैं।"
संदेश के साथ असंबद्ध तस्वीरें वायरल
दो तस्वीरों पर रिवर्स इमेज सर्च करने पर, बूम ने पाया कि ये तसवीरें पुरानी हैं और कोरोनावायरस से जुड़ी नहीं हैं। एक तस्वीर जिसमें मुर्गी ने अपनी आंखे बंद की है, वो मूल रूप से 'येलो ब्रेड शॉर्ट्स' नामक एक वेबसाइट से थी, जहां मुर्गी एस्परगिलोसिस नामक बीमारी से पीड़ित है।
मुर्गी की दूसरी तस्वीर जनवरी 2014 में, केंटो मोहम्मद नामक शख़्स ने एक शोध पत्र, 'एन आउटब्रेक ऑफ क कोलिबासिलोसिस इन ब्रोइल फार्म ' के लिए अपलोड किया था। इस तस्वीर को कैप्शन दिया गया है, "अ सिक चिक विद ओपन माउथ्ड ब्रीदिंग।"
कोरोनावायरस से संबंधित कई ग़लत जानकारी फैलाई जा रही है और ब्रायलर चिकन में वायरस पाए जाने की सूचना ने इस ग़लत जानकारी की सूची को और आगे बढ़ाया है। बूम वायरस से संबंधित ग़लत सूचनाओं को सक्रिय रूप से ख़ारिज कर रहा है।
#Thread🚨: Since the outbreak of #CoronaVirus, we have debunked #FakeNews around the novel Coronavirus. A WhatsApp forward is viral falsely claiming @MoHFW_INDIA has issued an emergency notification. (1/n) #CoronaVirusFacts @WHO https://t.co/0lbBu7FIfO
— BOOM FactCheck (@boomlive_in) January 30, 2020